बीजेपी के ‘गोसेवक’ ने 200 गायों की ‘जान लेने’ के बाद उन्हें कुत्तों के खाने के लिए छोड़ दिया

रायपुर : पैसे कमाने के लालच में खुद को गोभक्त बताने वाले बीजेपी के उस नेता ने 200 गायों की जान ले ली और उन्हें मरने के बाद आवारा कुत्तों के खाने के लिए छोड़ दिया. बीजेपी का कार्यकर्ता होने के कारण इसके खिलाफ न तो कोई मॉब लिंचिंग हुई न पुलिस ने कोई एक्शन लिया . हारकर जब स्थानीय कांग्रेस नेताओं और दूसरे लोगों ने हंगामा मचाया तो पुलिस न उसे गिरफ्तार कर लिया.
मामला छत्तीसगढ़ा का है और नेता का नाम हरीश वर्मा. हरीश वर्मा वह जमूल नगर पंचायत क्षेत्र में बीजेपी का उपाध्यछक्ष है. दुर्ग जिले के राजपुर गांव में बनी शगुन गौशाला के मेन गेट पर बाकायदा उसने कमल का निशाल गया हुआ है.

सिर्फ मामला 200 गायों की जान लापरवाही और लालच में लेलेने का नही है बल्कि यहां अभी भी सैकड़ों गाय मौत के कगार पर खड़ी हैं. यहां की गायें बेहद कमजोर हैं, पसलियां साफ दिखाई देती हैं. पिछले हफ्ते भर में मौत की शिकार हुई कई गायों के अवशेष भी पड़े हैं. कुछ लाशें खेतों में सड़ रही हैं और कुछ आवारा कुत्तों द्वारा नोचे जाने की श्रृंखला में हैं.
उधर बीजेपी नेता ने अपनी ही पार्टी की राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. नेता का दावा है कि सरकार ने इस स्तजर की गौशाला चलाने के लिए जरूरी सालाना ग्रांट नहीं दी, वह भी तब राज्य में गौ-हत्याइ पर प्रतिबंध है. स्था्नीय निवासी पिछले हफ्ते में भर में ”200 गायों की मौत” होने की बात कहते हैं, मगर पशु चिकित्सपक इस बात की पुष्टि करते हैं कि उन्हों ने दो दिन में 27 पोस्ट मॉर्टम किए हैं. शुक्रवार को, द इंडियन एक्सतप्रेस के रिपोर्टर को गौशाला में 30 ताजी लाशें देखने को मिलीं.

स्थालनीय लोगों के अनुसार, उन्हों ने शुक्रवार को ‘कुछ गलत’ महसूस किया जब जेसीबी गहरे गड्ढे खोदते और ट्रैक्टेर में गायों के अवशेष ले जाते दिखे. राजपुर गांव के सरपंच पति शिव राम साहू का कहना है, ”इससे पहले, उन्होंदने कभी किसी को गौशाला में घुसने नहीं दिया था. लेकिन जब हमने यह सब सुना तो हम अंदर गए और गायों की लाशें देखीं. जो बची हैं, उनके खाने-पीने को कुछ नहीं है.”

मौतों की खबर आई तो हंगामा हो गया. पिछले दो दिन में राज्यन के पशु चिकित्साए विभाग के कई डॉक्टेर व अधिकारी यहां आ चुके हैं. धमधा के एसडीएम राजेश पात्र कहते हैं, ”हम मामले की जांच कर रहे हैं और कानून के मुताबिक कार्यवाही की जाएगी. मैं आपको मृत गायों की निश्चित संख्याम नहीं बता सकता. लेकिन शुरुआत में ऐसा लगता है कि उनकी मौत चारे-पानी की कमी की वजह से हुई. अब हमने उनके खाने-पीने का इंतजाम कर दिया है.”

आरोपी बीजेपी नेता वर्मा सरकारी एजेंसियों और गौशाला की माली हालत पर ठीकरा फोड़ते हैं. उनके अनुसार, ”यहां 220 गायें होनी चाहिए, मगर 600 हैं. सरकार को मुझे हर साल 10 लाख रुपये गौशाला चलाने के लिए देने होते हैं, लेकिन उन्हों ने दो साल से कोई पैसा नहीं दिया है. मुझे पिछले साल के बाद से 10 लाख रुपये नहीं मिले हैं जबकि आपको हर तीन महीने पर कुछ पैसा देना पड़ता है. मुझे इस साल पैसा नहीं मिला. मैंने दिसंबर और मार्च में छत्तीहसगढ़ गौसेवा आयोग को इस बारे में लिखा भी था.
आयोग के डॉ पाणिग्रही कहते हैं कि गौशाला जिस तरह से चलाई जा रही थी, उसे देखते हुए भुगतान रोक दिया गया था. मामले में आईजी रेंज दीपांशु काबरा का कहना है, ”एक एफआईआर दर्ज कर वर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया है.”