बीजेपी के लिए डरावने हैं नगर निकाय के नतीजे, 2019 के लिए अशुभ संकेत

लखनऊ :  यूपी स्थानीय निकाय के परिणाम पर बीजेपी ढोल तो पीट रही है लेकिन उसे ये नतीजे आत्मचिंतन के लिए मजबूर करेंगे, पार्टी का जन समर्थन तेजी से कम हुआ है और ईवीएम वाले इलाकों को छोड़ दें तो वो बेहद शर्मनाक हालत में पहुंच गई है. इस खबर में हम उन आंकड़ों की बात करेंगे जो बीजेपी के लिए अहम है. सबसे पहले बात करते हैं विधान सभा चुनाव के मुकाबले पार्टी की हालत आज क्या है. लेकिन स्थानीय चुनाव के आंकड़े पार्टी के लिए डराने वाले हैं. मार्च से अब तक बीजेपी के गिरे ग्राफ का आंकड़ा देखें तो भाजपा को शहरी निकाय के चुनावों में जो सफलता मिली है वो खुशी नहीं गम देने वाली है.

भयंकर कम हुआ जनाधार

इसी साल 8 मार्च को 402 विधान सभा के नतीजे आए थे. इन नतीजों में बीजेपी को 325 सीटें मिली थीं.

यूपी में  नगर पालिका की 198 और  नगर निगम की 16 सीटें हैं. यानी उसे कुल मिलाकर  214 सीटों पर पार्टी ने चुनाव लड़ा. इनमें से पार्टी नगर पालिका की सिर्फ 78 और नगर निगम की 14 सीटें जीतीं यानी पार्टी को सिर्फ 92 सीटें मिली और वो 122 सीटें हार गई. जीत का ये प्रतिशन सिर्फ 45 है.

80 फीसदी से 45 फीसदी पर आए

मार्च से अब के बीच में पार्टी की हालत का अंदाज़ा लगाइए जिस पार्टी ने 9 महीने पहले 80 फीसदी जगहों पर जीत हासिल की थी वो सिर्फ 45 फीसदी सीटें जीत कर जश्न मनाने को मजबूर है. बड़ी बात ये हैं कि विधानसभा चुनाव में विपक्ष ने पूरी ताकत झोंकी थी जबकि इस बार उसने ज्यादा ध्यान भी चुनाव पर नहीं दिया. यहां तक कि अमेठी नगर निगम सीट पर कांग्रेस ने उम्मीदवार भी खड़ा नहीं किया था. 

अभी वोट प्रतिशत का आंकड़ा आना बाकी है. उसमें पार्टी को और तगड़ा झटका लग सकता है.

 

बीजेपी ने कभी नहीं सोचा होगा कि विधानसभा के चुनाव मार्च में हुए थे और नवंबर खत्म करते करते लोकप्रियता इतनी गिर जाएगी

नवंबर के शहरी चुनावों में नगर निगमों को छोड़ दिया जाए तो सबसे बड़ी जीत निर्दलीयों की हुई है- अगर अध्यक्ष के साथ साथ इसमें सदस्यों की भी गिनती करें तो. बीजेपी के खाते में 20 से 30 फीसदी सीटें ही आईं हैं.

सबसे ज्यादा सीटें किसे मिली यहां समझें

जबकि 625 नगरपालिका और नगर पंचायत अध्यक्ष मे से  सर्वाधिक 221 सीट निर्दलीयों के पास है, बाकी भाजपा-167 सपा-127 बसपा-72 कांग्रेस-26

ईवीएम वाली जगहों पर बीजेपी ज्यादा सफल

इस चुनाव में वोटिंग के लिए ईवीएम और बैलेट पेपर दोनों का इस्तेमाल हुआ था.

नतीजों के एनालिसिस से पता चलता है कि जिन वार्डों में ईवीएम से वोटिंग हुई वहां बीजेपी ने 45.85% जीत दर्ज की.

जहां बैलेट से वोट पड़े वहां बीजेपी की जीत 14.85% रही. यहां यह भी ध्यान रखना होगा कि 16 नगर निगमों के जिन 1300 वार्डों में ईवीएम से वोटिंग हुई, वह शहरी इलाके हैं.

नगर पालिका और नगर पंचायत के 10 हजार 707 वार्ड में बैलेट पेपर से वोट पड़े. ये कस्बाई इलाके हैं.

बड़े नेताओं को धक्का

उधर गोरखपुर के सीएम योगी आदित्यनाथ के वार्ड में बीजेपी हार गई. योगी ने यहां ही वोट डाला था. वहीं राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र अमेठी में नगर पालिका अध्यक्ष की दोनों सीटें कांग्रेस हार गई. बीजेपी ने 198 नगरपालिका में से 70 और 438 नगर पंचायतों में से 100 सीटों पर भी कब्जा जमाया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में मेयर सीट बीजेपी के कब्जे में गई है.वाराणसी नगर पालिका की 90 सीटों में से 36 पर बीजेपी को जीत मिली है. वहीं दूसरे नंबर पर 22 सीटों के साथ कांग्रेस है. समाजवादी पार्टी को यहां 13 सीट मिली हैं. बता दें कि 11 सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों को हासिल हुई हैं.

कौशांबी की 6 नगर पंचायत सीटों में सभी में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है. बता दें कि ये प्रदेश के डिप्टी सीएम और बीजेपी के पूर्व यूपी अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य का गृह जिला है.