क्या वाजपेयी ने की की थी राम रहीम को बचाने की कोशिश ?

नई दिल्ली : डेरा सच्चा सौदा के चीफ गुरमुख राम रहीम के खिलाफ यौन शोषण और बलात्कार की शिकायत वाली चिट्ठी तो प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी को लिखी गई थी. वो उन्हें मिली भी थी. लेकिन वाजपेयी ने चिट्ठी का क्या किया कोई नहीं जानता. किसी सरकारी रिकॉर्ड में ऐसा कोई जिक्र नहीं मिलता जिससे पता चले कि वाजपेयी के पास चिट्ठी लिखकर इन लड़कियों की सुनवाई हुई थी.

मामले के चीफ इनवेस्टीगेटर और तब के सीबीआई डीआईजी ने हाल में सीएनएन नेटवर्क 18 को अपने इंटरव्यू में साफ किया है कि इस मामले में वाजपेयी सरकार ने कुछ किया ही नहीं था. 2002 में ये चिट्ठी लिखी गई थी. हाईकोर्ट ने इस पर संज्ञान लिया और सीबीआई को फॉर्वर्ड कर दिया. सीबीआई खुद अटल जी के अधीन थी. प्रथानमंत्री के अंतर्गत आती थी. लेकिन इस मामले पर कोई प्रोग्रेस नहीं हुई. इस बीच 200 साध्वियां सच्चा सौदा छोड़कर चली गईं. यानी शिकायतकर्ता ही नहीं बचा. खबर छापने वाले पत्रकार की हत्या कर दी गई और पुलिस ने उसका बयान तक दर्ज नहीं किया. वो अस्पताल में मरने से पहले बयान दर्ज कराने के लिए परेशान था . हफ्तों वो ज़िंदा था लेकिन उसका बयान दर्ज नही किया गया.  मामला रफा दफा हो चुका था. मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. नारायणन को जब ये केस सौंपा गया तो उन्हें अधिकारियों ने कहा कि इसे बस क्लोज ही करना है.

2007 में हाई कोर्ट ने मामले में सीबीआई को जबरदस्त फटकार लगाई. तब तक सरकार बदल चुकी थी. विजय शंकर सीबीआई चीफ थे. उन्होंने नाराय़णन को 57 दिन में मामला दर्ज कराने की. इस बीच जबरदस्त राजनीतिक दबाव आने लगे. लेकिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि किसी दबाव की तरफ ध्यान न दें . यही वजह थी कि मामला खुल चुका था. आप आसानी से समझ सकते हैं कि अटल जी के वक्त में सीबीआई में केस क्यों लटका रहा होगा. और क्यों उन्होंने चिट्ठी पर कोई एक्शन लिया ही नहीं. आगे की कहानी आप पहले ही नॉकिंग न्यूज़ डॉट कॉम पर पढ़ चुके हैं.

 

नीचे पढिए कि इस मामले में कब-कब क्या क्या हुआ..

अप्रैल, 2002- तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को डेरा सच्चा सौदा के एक साध्वी की गुमनाम चिट्ठी मिली जिसमें उन्होंने बताया था कि डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने उनके साथ रेप किया है. ऐसी ही चिट्ठी पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को भी मिली.

मई, 2002- वाजपेयी ने कुछ नहीं किया लेकिन पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सिरसा के जिला और सत्र जज को मामले की जांच के आदेश दे दिए.

सितम्बर, 2002- जिला कोर्ट ने जब बलात्कार की संभावना जताई तो हाईकोर्ट ने मामले की सीबीआई जांच के आदेश दे दिए.

दिसंबर, 2002- सीबीआई ने राम रहीम के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज कर लिया.

जुलाई, 2007- सीबीआई ने अंबाला कोर्ट में राम रहीम के खिलाफ चार्जशीट दायर कर ली. इस चार्जशीट में डेरा प्रमुख द्वारा 1999 और 2002 के बीच दो सध्वियों के साथ बलात्कार का जिक्र था.

सितंबर, 2008- स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने गुरमीत के खिलाफ धारा 376 और 506 (बलात्कार और धमकी) का चार्जशीट दायर किया.

2009-2010- दोनों पीड़ितों ने अदालत में अपने बयान दर्ज करवाए.

अप्रैल, 2011- स्पेशल सीबीआई अदालत को अम्बाला से पंचकूला स्थानांतरित कर दिया गया.

जुलाई, 2017- सीबीआई कोर्ट ने दैनिक सुनवाई के आदेश दे दिए.

17 अगस्त, 2017- पीड़ित पक्ष और आरोपी पक्ष ने अपनी अपनी दलीलें पूरी कीं. जज ने आदेश दिया कि 25 अगस्त को फैसले के दिन राम रहीम को हाजिर रहना होगा.

25 अगस्त, 2017- सीबीआई कोर्ट जज जगदीप सिंह ने राम रहीम को बलात्कार का दोषी पाया और कहा कि सजा 28 अगस्त को दी जाएगी. इसके बाद हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और दिल्ली में हिंसा शुरू हो गई. इसमें 38 लोगों की मौत हो गई. ज्यादातर मौतें हरियाणा में हुईं.

आप कल्पना कर सकते हैं कि नेता लोग सिर्फ धार्मिक कारण से बाबाओं और साधुओं के कुकर्मों के छिपाते रहतेहैं. देश द्रोह और आतंकवादी गतिविधियों में शामिल लोग भी आसानी से बाहर आ जाते हैं.