पूर्व अमेरिकी वित्तमंत्री बोले- नोटबंदी का फैसला तानाशाही से भरा, इससे अराजकता फैलैगी, सरकार से भरोसा भी उठेगा

वॉशिंगटन: अमेरिका के पूर्व वित्तमंत्री लॉरेंस एच. समर्स ने नोटबंदी के कदम को लोगों की आज़ादी पर हमला बताया है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी अभियान की तीखी आलोचना की है. उन्होंने संदेह जताया कि इस कदम से दीर्घकालीन फायदा होगा. उन्होंने कहा कि इससे लोगों का सरकार में भरोसा उठ गया है. यहीं नहीं उन्होंने कहा कि यह उपाय भ्रष्टाचार रोकने में भी सक्षम नहीं होगा. बतादें कि लॉरेंस समर्स हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के जाने माने अर्थशास्त्री हैं और क्लिंटन के समय वित्तमंत्री रह चुके हैं. समर्स ने कई मौकों पर मोदी सरकार की तारीफ भी की है. खास तौर पर मेक इन इंडिया को उन्होंने सही कदम बताया था. ओबामा के भी वो अहम वित्तीय सलाहकार थे

समर्स ने हार्वड विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र की शोध छात्रा नताशा सरीन के साथ एक ब्लॉग में यह विचार व्यक्त किए. इसमें कहा गया है कि इस कदम ने अराजकता की स्थिति पैदा कर दी है और यह स्वतंत्र समाज की भावना के खिलाफ है. यह कदम किसी निर्दोष व्यक्ति को सजा देने, तथा कई अपराधियों को मुक्त कर देने का पक्ष लेता है.

ब्लॉग में 1000 और 500 रुपये के नोट बंद करने की नाटकीय कार्रवाई पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा गया है कि यह दशकों में दुनिया में कहीं भी मुद्रा नीति में हुआ सबसे व्यापक बदलाव है. इसमें कहा गया है कि ऐसा होने वाला है कि जिन लोगों ने नोट अभी रखे हैं, उनका कोई मोल नहीं रह जाएगा. इसकी वजह से भारत में खलबली और अव्यवस्था की स्थिति पैदा हो गई है. छोटे और मध्यम वर्ग के व्यापारी जो अपना अधिकतर व्यवसाय नकदी से ही करते हैं, उनकी दुकानें वीरान नजर आ रही हैं. आम भारतीयों का पिछला हफ्ता पुराने नोट बदले जाने की उम्मीद में बैंकों के सामने ही खड़े गुजरा.

समर्स ने कहा है कि भारत में बहुत सारे लोगों के पास बहुत अधिक अवैध कमाई से अर्जित नकदी है. इससे उनकी संपत्ति जब्त कर लिए जाने के लिए जांच होने की आशंका बढ़ गई है. ऐसे भी लोग हैं, जिन्होंने वैध तरीके से संपत्ति जमा की है, उन्हें नोट बदलवाने में डरने की कोई बात नहीं है. पूर्व वित्तमंत्री का कहना है कि क्या व्यापारिक प्रचलन में लंबे समय से जो भारत में प्रचलन में है, उसमें क्या अवैध या भ्रष्टाचार है, इसकी परिभाषा खुली बहस का मुद्दा है. इसमें यह भी आशंका जताई गई है कि अवैध तरीके से जमा धन का अधिकांश हिस्सा नकदी नहीं, बल्कि विदेशी मुद्रा, सोना या किसी अन्य रूप में जमा है.