अल्का लांबा मामले में मी़डिया ने ऐसे परोसा झूठ, ये है चिढ़ की पत्रकारिता

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी से मीडिया और पार्टियों की नफरत का एक और उदाहरण है अल्का लांबा फायर ब्रिगेड कांड.

मीडिया ने पूरे दिन आम आदमी पार्टी और अल्का लांबा के खिलाफ खबरें चालाईं और सच को तोड़ मरोड़ कर झूठ में बदलने का काम किया. आपको बताते हैं कि मीडिया ने कया तोड़ा क्या मरोड़ा.

  1. अल्का लांबा आग बुझने के बाद तबाही का नुकसान का जायजा लेने के लिए क्रेन से ऊपर गई थीं. मीडिया ने खबर दिखाई कि वो फायरकर्मियों के काम में दखल दे रही हैं.
  2. आग बुझाने का काम आराम से निपट गया. 3 घंटे मे आग काबू में आ गई. मीडिया लेट पहुंचा और लोगों से भड़काने वाले सवाल पूछे. एक रिपोर्टर ने बार बार पूछ रहा था कि अल्का जी से आप नाराज़ है या नही?
  3. अल्का लांबा ने फायरमैन को शाबाशी देकर उसकी तारीफ में दो उंगलियां दिखाईं. फायरमैन साथ में ही बैठा था. पहले अल्का ने उसके कंधे पर हाथ रखा फिर उसकी तरफ उंगली दिखाई और उसकी तरफ इशारा करते हुए दो उंगलियां दिखाईं. मिडिया ने दो उंगलियों पर वीडियो रोक दिया और गोल घेरे में दिखाने लगा कि अल्का विक्ट्री साइन दिखा रही थीं. पूरे दिन इस पर बहस करवाता रहा.
  4. बीजेपी कार्यकर्ता आग बुझने के बाद इकट्ठे हो गए और नारेबाजी करने लगे. मीडिया उन्हें आम दुकानदार दिखाता रहा. जबकि दुकानदारों ने तो खुद अल्का लांबा को फोन करके बुलाया था.
  5. अल्का लांबा को कोसने के चक्कर में मीडिया अग्निकांड से होने वाले नुकसान को भी भूल गया. 100 से ज्यादा दुकानें जलीं लेकिन नुकसान पर कई चैनल्स ने एक लाइन भी नहीं दिखाई.

मीडिया का काम जन जागृति पैदा करना है. लोगों को भड़काना नहीं लेकिन जब अलग अलग न्यूजरूम में संघ के कार्यकर्ताओं को साजिशन भर्ती कर लिया जेगा तो चैनल्स पर ऐसा ही प्रचार होगा.