सैलरीड क्लास के लिए मोदी का नया झ़टका, हाउस रेंट की फर्जी रसीद पर लगेगी रोक !

नई दिल्ली: मोदी  सरकार का नया फैसला हो सकता है मिडिल क्लास कर्मचारियों की मुस्कान छीन ले. टैक्स बचाने के लिए किराए की फर्जी रसीद लगाने वालों को अब हो सकता है भारी नुकसान. अब तक टैक्स की मार से बचने के लिए घटाने के लिए कई लोग फर्जी रेंट रसीद लगा दिया करते हैं. टैक्स रूल को धता बताने की ऐसी हरकत को ज्यादातर एंप्लॉयर्स नजरंदाज करते रहे हैं. टैक्स ऑफिस भी इसे मामूली गलती मानकर नज़रअंदाज़ कर देता था. अब हालात बदल सकते हैं. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को अब एक ठोस जमीन लग गई है, जिसके आधार पर वह टैक्सपेयर से इस बात का सबूत मांग सकता है कि वह संबंधित प्रॉपर्टी का वैध किराएदार है

इनकम टैक्स ट्राइब्यूनल की एक हालिया रूलिंग के अनुसार, असेसिंग ऑफिसर अब सैलरीड एंप्लॉयी की ओर से दिखाई गई टैक्सेबल इनकम का आंकड़ा मंजूर करते वक्त सबूत की मांग कर सकता है. वह लीज ऐंड लाइसेंस अग्रीमेंट, किराएदारी के बारे में हाउसिंग को-ऑपरेटिव सोसायटी को जानकारी देने वाले लेटर, इलेक्ट्रिसिटी बिल, वॉटर बिल जैसे सबूत मांग सकता है. आईटीएटी मुंबई ने ऐसे सैलरीड एंप्लॉयी का एचआरए इग्जेम्पशन क्लेम खारिज किया था, जिसने दावा किया था कि वह अपनी मां को रेंट पेमेंट कर रहा है.

डेलॉयट हास्किंस एंड सेल्स एलएलपी के सीनियर टैक्स अडवाइजर दिलीप लखानी ने कहा, ‘इनकम टैक्स अपीलेट ट्राइब्यूनल की रूलिंग ने सैलरीड एंप्लॉयी के क्लेम पर विचार करने और जरूरी होने पर उस पर सवाल करने के लिए असेसिंग ऑफिसर के सामने एक मानक रख दिया है. इससे सैलरीड क्लास पर यह जिम्मेदारी आएगी कि वह टैक्स छूट पाने के लिए नियमों का पालन करे.’

देश मे सबसे ईमानदार और ज्यादा टॅक्स देने वाला सालेरी क्लास ही है और हर सरकारे इसी क्लास को दबाने की कोशिश करती हैं …

माना जाता है कि फर्जी रेंट रसीदें देने वाले सैलरीड एंप्लॉयीज के पास इनमें से कोई भी जरूरी दस्तावेज नहीं होता है. हो सकता है कि वह व्यक्ति असल में रेंट चुका ही न रहा हो और अपने परिवार के घर में ही रह रहा हो और अपने पिता की दस्तखत वाली रसीदें दिखा रहा हो. कुछ मामलों में असल में किराएदार होने पर भी किराए की रकम बढ़ाकर दिखाई जाती है और इसमें तब तक दिक्कत नहीं आती है, जब तक कि किराया पाने वाला शख्स टैक्स चुकाने की लिमिट से बाहर हो.

ऐसे कई मामले देखे गए हैं, जिनमें कोई व्यक्ति भले ही अलग रह रहा हो, लेकिन वह दावा करता है कि उसी शहर में रहने वाले एक रिश्तेदार को किराया चुका रहा है, जिनकी वहीं कोई प्रॉपर्टी हो. कुछ मामलों में परिवार का एक सदस्य लोन पेमेंट डिडक्शन का क्लेम करता है तो दूसरा टैक्स से बचने के लिए फर्जी रेंट रसीद चिपका देता है. एचआरए को लेकर इस तरह की जैसी हरकतें होती हैं, उन्हें देखते हुए टैक्स अधिकारियों को बहुत ज्यादा क्लेम्स पर सवाल करने होंगे. एक टैक्स ऑफिसर ने कहा, ‘टेक्नॉलजी और सख्त रिपोर्टिंग सिस्टम से नजर बनाए रखने में आसानी होगी.’