टाटा की 110 कंपनियां बंद करने की तैयारी, जाएंगी 10 हज़ार से ज्यादा नौकरियां, स्लो डाउन का असर

नई दिल्ली : अर्थव्यवस्था के बुरे हाल का असर अब बड़े कॉर्पोरेट्स पर भी दिखाई देने लगा है. हालात ये हैं कि टाटा समूह जैसी कंपनी अपनी 100 से ज्यादा कंपनियां बंद करने की तैय़ारी में है. इसक नतीजा बड़ी छंटनी के तौर पर होगा. एक अनुमान के अनुसार समूह से करीब 10 हज़ार कर्मचारियों की नौकरियां जा सकती हैं. अकेली 5 हज़ार नौकरियां बड़ी कंपनी टाटा टेलीसर्विसेज से जाने वाली है. कंपनी ने लोगों को नौकरी से निकालने के लिए “एग्जिट प्लान” बना रही है. सिर्फ इतना ही नहीं इन कंपनियों से जुड़े डीलर और डिस्ट्रीब्यूटर और उनके स्टाफ की नौकरियों का अनुमान इस अनुमान में शामिल नहीं है.

 

इकोनॉमिक्स टाइम्स की खबर के अनुसार टाटा समूह इस योजना तीन महीने से छह महीने तक नोटिस देकर कर्मचारियों को निकालेगा. जो लोग इस नोटिस पीरियड से पहले छोड़ना चाहेंगे उन्हें अलगे से भत्ता दिया जाएगा.

वरिष्ठ कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति योजना (वीआरएस) लायी जाएगी और कुछ कर्मचारियों को समूह की दूसरी कंपनियों में स्थानांतरित कर दिया जाएगा. रिपोर्ट के अनुसार टाटा टेलीसर्विसेज पर काफी कर्ज है और कंपनी जल्द बंद होने वाली है. कंपनी ने अपने सभी सर्किल हेड को 31 मार्च 2018 तक नौकरी छोड़ने के लिए कहा है.

 

टाटा समूह की दूसरी कंपनियों के ऊपर भी बंदी की तलवार लटक रही है. टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखर ने टाइम्स ऑफ इंडिया समूह के अखबार इकोनॉमिक्स टाइम्स से कहा- “सबसे पहले मैं ये स्वीकार करूंगा कि हालात काफी जटिल हैं. हमें इसे सरल करना होगा. मैं चाहूंगा कि हम 5-6 या 7 समूह रहें न कि 110 कंपनियां. जब तक हम ऐसे (ढेर सारी कंपनियां) तब तक कुछ नहीं होगा.”
चंद्रशेखरन ने टाटा टेलीसर्विसेज में निवेश करने की संभावना को भी पूरी तरह खारिज कर दिया. चंद्रशेखरन ने इकोनॉमिक्स टाइम्स से कहा कि ऐसा करना “पैसा पानी में फेंकने जैसा होगा.” चंद्रशेखरन ने ईटी से कहा, “इसे सुधारने के लिए 50-60 हजार करोड़ रुपये चाहिए. हमारे पास इतने पैसे नहीं है.

 

” रिपोर्ट के अनुसार मुनाफा कमा रही टाटा की सॉफ्टवेयर कंपनी टीसीएस को छोड़कर बाकी कंपनियों पर करीब 25.5 अरब डॉलर का कर्ज है. 53 वर्षीय चंद्रशेखरन ने ईटी से कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता अपना “बहीखाता दुरुस्त करना है.” टाटा समूह अपने स्टील कंपनियों और ऑटो कंपनियों में बड़े रद्दोबदल कर सकती है ताकि उन्हें पहले से ज्यादा लाभदायक बनाया जा सके. इसकी शुरुआत करते हुए टाटा ने टाटा स्टील के यूरोपीय कारोबार और भारतीय कारोबार को अलग कर लिया है.