शहीद के घर को स्मारक बनाते हैं लेकिन सरकार ने बुल्डोजर चला दिया

नई दिल्ली: कारगिल के जांबाज कमांडो सुरेन्द्र को बार बार जेल में डालने के बाद अब पठानकोट हमले के शहीद के परिवार के साथ ज्यादतियों का मामला सामने आया है . हमले में शहीद हुए एनएसजी कमांडो लेफ्टिनेंट कर्नल निरंजन कुमार का घर सरार ने तोड़ दिया है. सरकार का कहना है कि पिछले महीने बैंगलोर में तूफान और भारी बारिश के बाद कई इलाके पानी में डूब गए थे. बारिश के पानी को बहाने वाले नालों के जाम होने से संकट की स्थिति पैदा हो गई. इसको बाद में हाईकोर्ट और मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के निर्देश पर बीबीएमपी ने उन सभी मकानों की सूची बनाई जो इन नालों का अतिक्रमण करके बनाए गए हैं. नालों को फिर से चालू करने के लिए बीबीएमपी ने 1100 मकानों की सूची बनाई और उसको गिराने का फैसला लिया. इसी सूची में शहीद निरंजन कुमार का घर भी शामिल है. गुरुवार को नगर निगम ने शहीद निरंजन के घर के साथ अन्य कई घरों को भी गिराया है. शहीद निरंजन के घर के तीन पिल्लरों में से एक को गिरा दिया गया. कर्नल निरंजन का परिवार इस फैसले से बिल्कुल खुश नहीं है.

नेशनल हीरो का घर गिराया 

निरंजन कुमार के भाई शशांक का कहना है कि यह अच्छी बात नहीं है, यह देश के लिए शर्म की बात है कि एक नेशनल हीरो का घर गिराया जा रहा है. शहीद निरंजन कुमार के भाई ने एएनआई को बताया कि यह बर्दाश्त करना हमारे लिए बहुत मुश्किल है, पहले पठानकोट हमले में भाई को खोया और अब अपने घर को गिरते हुए देखने होगा है. उन्होंने कहा, ‘मैं घर न गिराने का अनुरोध करता हूं क्योंकि निरंजन ने देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी, अगर मेरे अपील करने के बाद भी ऐसा होता है तो यह देश के लिए शर्म की बात होगी. उन्होंने बताया कि जिन तीन पिलर्स पर उनका घर खड़ा है उनमें से एक को गिराने के लिए बीबीएमपी प्रशासन ने चिन्हित किया है. शंशाक ने बताया कि वह यहां 20 सालों से रह रहे थे और अब बिना पहले से सूचित किए उनके घर को गिराया जा रहा है. अगर हमे पहले से जानकारी दी जाती तो हम इस मामले में कुुछ कर सकते थे. उन्होंने सरकार से इस मामले को देखने का अनुरोध किया है.

हम लाचार हैं – अफसर

अधिकारियों का कहना है कि शहर में पिछले महीने बारिश से इस तरह पानी जमा हो गया था कि सड़कों पर लोग मछलियां पकड़ने लगे थे. इन मकानों को गिराने के अलावा उनके पास कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है. निगम कमिश्नर बी. असलम ने कहा- “हमारी हमदर्दी निरंजन के परिवार के साथ है. उनके पैरेंट्स को सलाम. वो हमारी मदद कर रहे हैं. लेकिन हम पर्सनल प्रॉब्लम की जगह लोगों को समस्याओं का समाधान करने पर ज्यादा ध्यान देते हैं.’’

जैश के आतंकियों से लड़कर हुए थे शहीद

2 जनवरी को जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने पठानकोट एयरबेस पर हमला किया था. तब 34 साल के निरंजन एनएसजी के बम डिस्पोजल स्क्वॉड में कार्यरत थे. हमले के बाद एक बम को डिफ्यूज करते वक्त धमाका हुआ और निरंजन शहीद हो गए. उनकी फैमिली कई साल से बेंगलुरु में ही रह रही है. उनकी फैमिली में वाइफ डॉक्टर राधिका और डेढ़ साल की बेटी विस्मया है. एनएसजी दिल्ली में वो एक साल 10 महीने तक रहे. एनएसजी में जाने से पहले वे सेना के मद्रास इंजीनियरिंग ग्रुप में अप्वाइंट हुए थे.