रैनसम वियर हमलों के पीछे किम जोंग ? भारतीय एक्सपर्ट ने ऐसे लगाया पता

नई दिल्ली: दुनिया के 150 देशों में 3 लाख से भी ज्यादा कंप्यूटर्स को प्रभावित करने वाले रैंसमवेयर वानाक्राइ वायरस के साइबर हमले के पीछे किम जोंग के उत्तर कोरिया का हाथ होने की आशंका जताई जा रही है. दक्षिण कोरिया में साइबर सुरक्षा से जुड़े शोधकर्ताओं को इसके तकनीकी सबूत मिले हैं. उनका कहना है कि आगे इस तरह के और हमले हो सकते हैं.

दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल स्थित इंटरनेट सिक्युरिटी फर्म ‘हॉरी’ के निदेशक सिमोन चोई ने बताया कि हालिया साइबर हमलों में जो कोड इस्तेमाल किया गया है, उसमें उत्तर कोरिया के शामिल होने की आशंका है. उन्होंने कहा कि ये कोड और पिछले जिन हमलों में उत्तर कोरिया को दोषी बताया गया है, दोनों में काफी समानताएं देखी गई हैं.

वहां का लैजरस ग्रुप इस तरह के हमलों को अंजाम देता है. उत्तर कोरिया इससे पहले सोनी पिक्चर्स, सेंट्रल बैंक ऑफ बांग्लादेश पर हुए साइबर हमले में भी शामिल रहा है. जहां से पांच अरब की राशि हमलावरों ने चुराई थी. सोल पुलिस ने रैंसमवेयर साइबर हमले के लिए उत्तर कोरिया की मुख्य खुफिया एजेंसी को दोषी ठहराया और कहा कि इस तरह के और हमले भविष्य में हो सकते हैं.

उत्तर कोरिया का हैकिंग ऑपरेशन है ‘लैजरस’

साइबर सुरक्षा से जुड़ी सिमेंटेक और कैस्परस्काई लैब ने सोमवार को बताया कि वानाक्राइ सॉफ्टवेयर के एक पूर्व वर्जन में जो कोडिंग इस्तेमाल की गई थी, उसके कुछ कोड्स को लैजरस ग्रुप ने अपने प्रोग्राम में भी इस्तेमाल किया था. साइबर विशेषज्ञों का मानना है कि लैजरस असल में उत्तर कोरिया का हैकिंग ऑपरेशन है. कैस्परस्काई के एक शोधकर्ता ने कहा कि वानाक्राइ कहां से आया और किसने इसे बनाया, इससे जुड़ा यह सबसे अहम सबूत है.

सिमेंटेक और केस्परस्काई लैब ने कहा है कि उन्हें वानाक्राइ की कोडिंग को पढ़ने के लिए अभी और समय चाहिए. इस बीच, वॉशिंगटन में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के होमलैंड सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि इस वानाक्राइ हमले के पीछे विदेशी ताकतों से लेकर साइबर अपराधियों तक का हाथ हो सकता है.