तो इसलिए ओवैसी करना चाहते हैं, कथित आतंकियों की पैरवी

हैदराबाद: एमआईएम (ऑल इंडिया मजलिसे एत्तेहादुल मुस्लिमीन) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) पर समान नागरिक संहिता के नाम पर भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने की कोशिश करने का आरोप लगाया.

संवाददाताओं से बात करते हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एजेंडा को लागू करने की कोशिश कर ही है, क्योंकि वह चुनावों के दौरान किए गए वादों को पूरा करने में असफल रही है. बीजेपी नीत सरकार द्वारा समान नागरिक संहिता करने को लेकर पर विधि आयोग से विचार मांगे हैं.

ओवैसी ने आरोप लगाया, “1.5 नौकरियां देने, गैस और केरोसिन के दाम को विनियमित करने और अर्थव्यवस्था में जान फूंकने में नाकाम रहने के बाद अब बीजेपी आरएसएस के मुख्य एजेंडा ‘हिंदू राष्ट्र’ को लागू करने में जुट गई है.”

उन्होंने ताज्जुब जताते हुए कहा कि क्या सरकार धारा 371 को हटा सकती है जो मिजोरम और नागालैंड को सांस्कृतिक सुरक्षा व अधिकार देती है.

ओवैसी ने पूछा, “हिंदू संयुक्त परिवार को कर छूट मिलती है. क्या आप उसे हटानेवाले हैं?”

सांसद ने कहा कि सरकार को संविधान के 16 निर्देशक सिद्धांतों में से एक अल्कोहल पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना चाहिए, क्योंकि यह समाज में कई बुराइयों की जड़ है और सड़क हादसे भी सबसे ज्यादा इसी के कारण होते हैं.

ओवैसी ने इसके अलावा एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) द्वारा गिरफ्तार 5 युवाओं को कानूनी सहायता उपलब्ध कराने संबंधी बयान पर सफाई देते हुए कहा कि मीडिया ने उसे गलत ढंग से दिखाया.

उन्होंने कहा कि मुंबई हमले के दोषी अजमल कसाब को भी कानूनी सहायता उपलब्ध कराई गई थी. ‘अगर मैं उन्हें कानूनी सहायता नहीं दूंगा तो अदालत उनके लिए वकील की नियुक्ति करेगी. हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली में सभी आरोपियों को कानूनी सहायता पाने का हक है और हमारे देश की न्यायपालिका इसी तरह से काम करती है.’

उन्होंने कहा कि एनआईए ने उन युवाओं पर कुछ आरोप लगाए हैं, लेकिन उनके परिवारजनों ने मुझे बताया है कि वे निर्दोष हैं.

उन्होने कहा, “अदालत इस बात का फैसला करेगी कि वे दोषी हैं या निर्दोष हैं और हर किसी को अदालत का फैसला स्वीकार करना होगा.”

ओवैसी ने दोहराया कि आईएस (इस्लामिक स्टेट) की भर्त्सना सबसे पहले उन्होंने ही की थी और अभी भी वे उसकी निंदा करते हैं. उन्होंने कहा, “आईएस एक आतंकवादी संगठन है और इस पर कोई दो राय नहीं हो सकती. सभी इस्लामिक विद्वानों ने उसकी आलोचना की है.”

उन्होंने दोहराया कि अगर एनआईए द्वारा गिरफ्तार किए गए युवा अदालत में निर्दोष साबित होते हैं तो उनको गिरफ्तार करनेवाले अधिकारियों को निलंबित करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि ऐसे बहुत सारे मामले हैं जिसमें  युवाओं को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन अदालत से वे बरी हुए हैं. उन्होंने अक्षरधाम हमले और मालेगांव हमले में गिरफ्तार किए गए मुस्लिम युवाओं का हवाला दिया, जिन्हें अदालत ने निर्दोष बरी किया था.