गोल्डन बाबा की कहानी, 35 केस वाला हिस्ट्रीशीटर बन गया महंतश्री

कोई हिस्ट्रीशीटर मारपीट, अवैध वसूली, और हिंसा जैसे मामलों में जितने अनगिनत केस होने के बाद उसे हिंदू संतों की श्री महंत जैसी उपाधि मिल जाए. ये उपाधि भी उन्हें जूना अखाडे से मिली है जिसे आम तौर पर धन दौलत की चमक दमक के पीछे भागने वाला नहीं माना जाता. सुधीर कुमार मक्कड़ उर्फ गोल्डन बाबाउम्र- 54 साल के मामले से आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि भारत में धर्म के नाम पर क्या हो रहा होगा . खास तौर पर अखाड़ों के भीतर कैसे उपाधियां बांटी जाती होंगी.

अपहरण, मारपीट, जबरन वसूली के 35 मुकदमे

किसी भी शख्स के नाम पुलिस हिस्ट्रीशीटर तभी तैयार करती है, जब पुलिस को ये यकीन हो जाता है कि ये शख्स सुधर नहीं सकता.गोल्डन बाबा के खिलाफ इस वक्त भी हर तरह गुनाहों के तकरीबन तीन दर्जन मुकदमे अलग-अलग अदालतों में चल रहे हैं और इन मुकदमों में अपहरण, फिरौती, जबरन वसूली, मारपीट, जान से मारने की धमकी जैसे तमाम छोटे-बड़े गुनाह शामिल हैं. आज गोल्डन बाबा बेशक अपने जिस्म पर करोड़ों के जेवर लाद कर घूमते हों, हर ऊंगली पर सोने की अंगूठियां पहनते हों और कभी-कभी सोने की शर्ट से भी अपना मन बहलाते हों, लेकिन गोल्डन बाबा ने भी कभी फाका किया करते थे. ऐसे में ये समझना मुश्किल नहीं है कि कौड़ियों से शुरू कर करोड़ों में खेलने तक के बाबा के सफर में बाबा ने कैसे-कैसे गुल खिलाए होंगे और कैसे इतनी दौलत इकट्ठा की होगी.

 

अपराधी, व्यापारी या बाबा

बाबा पूर्वी दिल्ली के गांधीनगर इलाके के रहने वाले हैं. उसी गांधीनगर के जहां कपड़ों का अच्छा काम है. बाबा कभी बाबा गांधी नगर की इसी कपड़ा मार्केट में मामूली से दर्जी हुआ करते थे. लेकिन बाबा को जानने वाले लोग बताते हैं कि बाबा के अरमान शुरू से ही काफी बड़े थे. जल्द ही बाबा ने ट्रैक चैंज कर लिया कुछ दिनों तक प्रॉपर्टी काम भी करते रहे. लेकिन इसी बीच एक रोज बाबा अंतर्ध्यान हो गए और सीधे हरिद्वार में जा बसे. फिर जब वहां से लौटे तो बाबा का नया अवतार सामने आया. बाबा ने गांधीनगर में मंदिर बनवा लिया और धीरे-धीरे इसे आश्रम में बदल कर खुद इसके महंत बन बैठे. लेकिन महंत बनने के बावजूद सोने की चमक बाबा को लुभाती रही. बाबा आश्रम के लिए दान भी लेते तो सोने की शक्ल में. बाबा ने इतना सोना बटोरा कि इस सोने ने रातों-रात बाबा को गोल्डन बाबा बना दिया.

गोल्डन बाबा बाबा साल भर धंधा-पानी करते हैं. दोनों हाथों से खूब माल कूटते हैं. लेकिन सावन का महीना आते-आते वैरागी चोले में ऐसा गोल्डन अवतार धारण कर लेते हैं कि देखने वालों की आंखें चौंधिया जाती हैं.

एक तरफ तो बाबा भगवा चोला पहनते हैं. जो तमाम सांसारिक चीजों की मोह-माया से दूर रहने का संदेश देता है. वहीं दूसरी तरफ बाबा के जिस्म का आधे से ज्यादा हिस्सा सोने के जेवरों से लदा है. जो दोनों हाथों से दौलत बटोरने और इस दुनियावी मोह-माया में डूबे होने का सबसे बड़ा सबूत है.

100 कमांडो लेकर चलते हैं बाबा

कांवड़ यात्रा के दौरान सोने से लदे बाबा की सुरक्षा में थानों को पुलिस बंदोबस्त करना पड़ रहा है. बाबा खुद अपने साथ 100 कमांडो लेकर चलते हैं. लेकिन पुलिस उनके भरोसे रहना नहीं चाहती है.वहीं इलाके के पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने कोशिश की कि गोल्डन बाबा उनके इलाके को पास करके ही रुके. लेकिन गोल्डन बाबा की हठ के आगे उन्हें झुकना पड़ा और उनकी सुरक्षा में कमांडो टीम के साथ काफी संख्या में पुलिसबल लगाया गया है.

बाबा के हैं सैकड़ों भक्त

किसी भी दूसरे बाबा की तरह गोल्डन बाबा के भक्तों की भी कोई कमी नहीं है. बाबा कुंभ के मेले में भी प्रवचन बांटते हैं. देश-विदेश में बाबा के सैकड़ों भक्त हैं. गोल्डन बाबा की वजह से ही दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल भी कभी मुसीबत में फंस गए थे. विधानसभा चुनाव से पहले गोल्डन बाबा के साथ केजरीवाल की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी. बाबा के पुराने कारनामों के चलते केजरीवाल अपने विरोधियों के निशाने पर आ गए. हालांकि कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ भी बाबा ने तस्वीरें खिंचा रखी हैं. इनमें केजरीवाल की तरह ही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत की तस्वीरें भी बाबा के साथ सामने आ चुकी हैं.

कांवड़ियों को ज्ञान बांटते हैं बाबा

हालांकि बाबा ज्ञान बांटने में पीछे नहीं हैं. अपनी 24वीं कांवड़ यात्रा के दौरान बाबा कांवड़ियों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं, ये बताने से पीछे नहीं हटते.