एनडीए के 38 दलों का महाजुटान: क्या मोदी कैबिनेट में भी सहयोगियों की होगी बढ़त?

2 साल बाद बीजेपी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की बैठक मंगलवार को दिल्ली में हो रही है। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के मुताबिक मीटिंग में 38 दलों का महाजुटान होगा। बता दें कि आखिरी बार नवंबर 2021 में एनडीए नेताओं की संयुक्त बैठक हुई थी। एनडीए की मीटिंग को सियासी जानकार शक्ति प्रदर्शन के तौर पर भी देख रहे हैं। कांग्रेस, आरजेडी, सपा और तृणमूल समेत 26 दलों ने बीजेपी के खिलाफ साझा लड़ाई लड़ने की बात कही है, जिसके बाद बीजेपी भी एनडीए में जान फूंक रही है। 38 दलों के महाजुटान के बीच सियासी गलियारों में बड़ा सवाल बना हुआ है, क्या बीजेपी इन दलों को केंद्र की सत्ता में भी भागीदारी देगी? अगर हां, तो किन-किन दलों को मोदी कैबिनेट के संभावित फेरबदल में जगह मिल सकती है?

साल 1996 में 13 दिन के भीतर सरकार गिर जाने के बाद बीजेपी को भी सहयोगियों की जरूरत महसूस हुई। 1998 में समता पार्टी के जॉर्ज फर्नांडीज और अटल बिहारी वाजपेयी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन बनाने की कवायद शुरू की। उस वक्त 16 दलों का साथ बीजेपी को मिला। लोकसभा की कुल 541 में से 261 सीटों पर तब एनडीए गठबंधन ने जीत दर्ज की थी। वाजपेयी प्रधानमंत्री बनने में सफल भी रहे, लेकिन जयललिता के दबाव में 13 महीने के भीतर ही सरकार गिर गई। 1999 में फिर चुनाव हुए और इस बार 24 दल एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया। इसका फायदा भी एनडीए को हुआ और 302 सीटों पर जीत दर्ज की। वाजपेयी पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने, जिन्होंने पूरे 5 साल का कार्यकाल पूरा किया। एनडीए का उस वक्त साझा मेनिफेस्टो जारी हुआ था। सभी दलों से कॉर्डिनेट करने के लिए एक कमेटी बनाई गई थी।

हालांकि, 2004 में एनडीए को हार मिली और फिर इसमें बिखराव हो गया। 2014 में फिर से एनडीए में जान फूंकने की कोशिश शुरू हुई। 23 दलों के साथ मिलकर बीजेपी चुनाव लड़ी। इस बार बीजेपी अकेले दम पर सरकार बनाने में कामयाब हो गई। पार्टी ने केंद्र की सत्ता में अनुपातिक भागीदारी देने की बजाय सांकेतिक भागीदारी देना शुरू किया। इसके बाद से ही एनडीए में टूट शुरू हो गई। कई बड़े और पुराने दल साथ छोड़ गए। इसमें जेडीयू, शिवसेना और शिरोमणि अकाली दल का नाम प्रमुख है। साल 2021 में मोदी कैबिनेट का विस्तार हुआ था।

उस वक्त 4 सहयोगी दल को सरकार में शामिल किया गया था। जेडीयू से आरसीपी सिंह और रालोजपा से पशुपति पारस कैबिनेट मंत्री और अपना दल से अनुप्रिया पटेल और आरपीआई से रामदास अठावले राज्य मंत्री बने थे। साल 2022 में आरसीपी सिंह को कैबिनेट से इस्तीफा देना पड़ा था। वर्तमान में पशुपति पारस, रामदास अठावले और अनुप्रिया पटेल ही घटक दल के कोटे से सरकार में शामिल हैं। पारस के पास खाद्य प्रसंस्करण, अठावले के पास समाजिक न्याय (राज्य स्तर) और पटेल के पास वाणिज्य और उद्योग (राज्य स्तर) विभाग की जिम्मेदारी है।

Leave a Reply