इस तरह ओलंपिक से बाहर हुए योगेश्वर दत्त

रियो ओलिंपिक में भारत की आखिरी उम्मीद टूट गई. पहलवान योगेश्वर दत्त मंगोलिया के पहलवान से  0 के मुकाबले 3 से हार गए. , उनका मुकाबला 65 किलो वर्ग के क्वालिफाइंग राउंड में मंगोलिया के पहलवान मंदाखनारन गैंजोरिग से था और गैंजोरिंग ने उन्हें 0-3 से हरा दिया.

योगेश्वर के मुकाबले पहले पीरियड में गैंजोरिंग ने काफी अटैक किए. दत्त को अंपायर ने 30 सेकेंड के भीतर अटैक करने की चेतावनी दी, लेकिन वह सफल नहीं हुए और विरोधी को 1 अंक मिल गया. इस प्रकार दत्त पहले पीरियड की समाप्ति पर मंगोलियाई पहलवान से 0-1 से पीछे हो गए.
दूसरे पीरियड में योगेश्वर से वापसी की उम्मीद थी लेकिन ये उम्मीद भी जाती रही. मंगोलियाई पहलवान ने एक बार फिर अटैक किया. उसने 2 अंक हासिल करके बढ़त को 3-0 कर लिया. अंत में भारत की पदक की उम्मीद योगेश्वर दत्त हार गए और वापसी नहीं कर सके.
भारत को मिले 2 मैडल
ब्राजील की मेजबानी में चल रहे रियो ओलिंपिक खेलों में भारत को अब तक दो ही मेडल मिले हैं. पहला मेडल पहलवान साक्षी मलिक ने दिलाया, जो दूसरा मेडल सिल्वर के रूप में पीवी सिंधु ने जीता. ओलिंपिक में अब तक के अपने सबसे बड़े दल के साथ उतरे भारत को कई खिलाड़ियों से मेडल की उम्मीद थी, लेकिन अभिनव बिंद्रा, साइना नेहवाल, सानिया मिर्जा और लिएंडर पेस जैसे दिग्गज कुछ नहीं कर पाए.

योगेश्वर दत्त ने लंदन ओलिंपिक में 60 किग्रा भार वर्ग में ब्रॉन्ज जीता था.

चोट से पुराना रिश्ता
योगेश्वर दत्त को कुश्ती के गुर स्वर्गीय मास्टर सतबीर भैंसवालिया ने सिखाए थे. सतबीर पेशे से पीटीआई थे और रिटायर होने के बाद वह अखाड़ा चलाने लगे थे. योगेश्वर दत्त को अपने करियर को दौरान कई बार चोट लगी है. वास्तव में वह बचपन से ही चोट का शिकार रहे हैं, लेकिन उन्होंने कुश्ती के प्रति अपने लगाव को कम नहीं होने दिया. उन्होंने 8 साल की उम्र से ही कुश्ती से नाता जोड़ लिया था और अब उनकी सफलता से तो हर कोई परिचित ही है. सोनीपत, हरियाणा के योगेश्वर ने अपनी तैयारी किसी और के साथ नहीं बल्कि वर्ल्ड चैंपियनशिप और एशियन गेम्स में मेडल विजेता रहे बजरंग के साथ की है.