दिवालिया नहीं हो पाएगा Jaypee बिल्डर, सुप्रीम कोर्ट का स्टे

नोएडा: पीएम मोदी ने कानून बदला, 6 कानून बदलकर दिवालिया होने को आसान बनाया गया. इसे व्यापार के

लिए क्रांति बताकर महान कदम की तरह महिमा मंडित किया गया लेकिन इसके बाद भी जेपी बिल्डर को राहत नहीं मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने रियल एस्टेट फर्म जेपी इन्फ्राटेक और अन्य को मकान खरीदने वाले उन लोगों की अपील पर नोटिस जारी किया जिन्हें अब तक फ्लैट का कब्जा नहीं मिला है. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद के ‘नेशनल कंपनी ला ट्रिब्यूनल’ में कंपनी के खिलाफ दिवालिया होने की कार्यवाही पर भी रोक लगा दी.

गौरतलब है कि नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल एनसीएलटी ने आईडीबीआई बैंक द्वारा कर्ज में डूबी जेपी इंफ्राटेक के खिलाफ दायर ऋण शोधन याचिका (इंसॉल्वेंसी पेटीशन) स्वीकार कर ली थी. एनसीएलटी की इलाहाबाद पीठ ने दिवाला एवं रिण शोधन अक्षमता संहिता 2016 की धारा सात के तहत आईडीबीआई बैंक की याचिका स्वीकार की थी.
इसमें कहा गया है कि कंपनी की तरफ से याचिका के बाद एनसीएलटी की इलाहाबाद पीठ ने नौ अगस्त को आईडीबीआई बैंक की याचिका स्वीकार कर ली और अंतरिम समाधान पेशेवर नियुक्त किया है.

जेपी इंफ्राटेक समस्या से जूझा रही है. कंपनी ने नोएडा और आगरा को जोड़ने वाले यमुना एक्सप्रेसवे का निर्माण किया है. कंपनी कर्ज में कमी लाने के लिये अपनी संपत्ति बेच रही है. इस फैसले के बाद एनसीएलटी की तरफ से अब जेपी इंफ्रा को 180 दिन की मोहलत दी जाएगी जिसमें उसे अपना कर्ज लौटाने का रोडमैप देना होगा. यदि जेपी इंफ्रा रोडमैप देने में फेल होती है तो अगले 90 दिनों की नोटिस के बाद जेपी इंफ्रा की पूरी संपत्ति बेचने और उसे दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी.

गौरतलब है कि दिल्ली एनसीआर में बड़े रेजिडेंशियल और कॉमर्शियल प्रोजेक्ट में निवेश कर चुकी जेपी इंफ्रा लगभग 32 हजार रेजिडेंशियल यूनिट बना रहा है. इस निर्माणाधीन प्रोजेक्ट के लिए वह ग्राहकों से पैसे भी ले चुकी है. लिहाजा, यदि जेपी इंफ्रा को दिवालिया घोषित किया जाता है तो इसका सबसे बड़ा असर उन ग्राहकों पर पड़ेगा जिन्होंने लंबे समय से जेपी प्रोजेक्ट में अपना पैसा लगाया है. दिवालिया घोषित होने के बाद लोगों का घर का सपना तो टूटना तय है लेकिन खतरा उनके निवेश किए गए पैसे पर भी मंडरा रहा है.