दिल्ली में फिर शुरू होगी सीलिंग ! मच सकती है तबाही, तनाव में व्यापारी


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नई दिल्ली :  यही हाल रहा तो दिल्ली में फिर से अतिक्रमण और सीलिंग की कार्रवाई शुरू हो सकती है. राजधानी के लाखों अवैध निर्माणों पर एक बार फिर से हथौड़ा चलने की संभावना बनने लगी है. दर असल सीलिंग टालने के लिए बनाए गए इन निर्माणों को बचाने के लिए केंद्र ने बनाए विशेष कानून ‘एनसीटी स्पेशल लॉ प्रोविजन एक्ट’  बनाया था. इस कानून का मकसद दिल्ली में सीलिंग रोकना था. अब ये कानून 31 दिसंबर को समाप्त हो रहा है. अगर ये कानून नहीं बढ़ता तो दोबारा से दिल्ली में सीलिंग और अतिक्रमण के खिलाफ अभियान फिर शुरू हो सकता है.

इस कानून को उस वक्त लाने का निर्णय लिया गया था जब सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2007 में राजधानी के अवैध निर्माणों खासकर गांवों और अनधिकृत कॉलोनियों में बने ऐसे निर्माणों को तोड़ने का आदेश जारी किया था. इसके बाद बड़े पैमाने पर दिल्ली एनसीआर में सीलिंग हुई थी. व्यापारी सड़कों पर उतर आए थे. इसके बाद व्यापारियों को राहत देने के लिए मनमोहन सिंह की सरकरा एक कानून लेकर आई थी. जिसके बाद अवैध निर्माणों की तोड़फोड़ और सीलिंग बंद हो गई थी.

अब केन्द्र सरकार ने संसद का सत्र भी नहीं बुलाया है और कोई कानून प्रस्तावित भी नहीं है ऐसे में कानून के आगे बढ़ने की कोई गुजाइश भी नहीं लगती. गुजरात चुनाव में व्यस्त होने के कारण कैबिनेट की बैठक के भी हालात नहीं दिख रहे.

उनके घर, दुकानों, कमर्शल स्पेश पर एक बार फिर से सीलिंग और तोड़फोड़ की तलवार लटकने लगी है. उन्होंने कहा कि अगर इस कानून की मियाद नहीं बढ़ाई गई तो एमसीडी व अन्य निकायों के अधिकारी तोड़फोड़ अभियान शुरू कर देंगे, जिसमें जनता तो परेशान होगी ही, साथ ही भ्रष्टाचार भी फैलेगा.

 

गु्स्से में सुप्रीम कोर्ट

उधर सुप्रीम कोर्ट भी अवैध निर्माण को लेकर गुस्से में है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अवैध निर्माण के कारण दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति बदतर हो गई है. हल्की बारिश में भी हर जगह पानी भर जाता है. रिहायशी इकाइयों का व्यावसायिक इस्तेमाल जमकर हो रहा है.

जस्टिस मदन लोकुर और दीपक गुप्ता की बेंच ने कहा कि दिल्ली को चेन्नई तथा अन्य शहरों की तर्ज पर जाने से रोकना होगा. वर्षा होने पर बाढ़ की स्थिति उत्पन्न न हो, इसके लिए अवैध निर्माण पर सख्ती जरूरी है. अवैध निर्माण से सिर्फ प्रदूषण ही नहीं बढ़ रहा है, बल्कि सीवेज सिस्टम, पार्किंग और कूड़ा निस्तारण बुरी तरह प्रभावित हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार से पूछा कि क्यों न मॉनिटरिंग कमेटी को उसके अधिकार बहाल कर दिए जाएं.

पहली नजर में हम इस बात से संतुष्ट हैं कि कानून का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है. इससे पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एएस नदकर्णी से कहा कि वह 14 दिसम्बर को सुनवाई के दौरान अदालत की मदद करें. सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख लहजे में कहा कि जहां तक अवैध निर्माण का संबंध है तो इसके लिए कानून-व्यवस्था ध्वस्त नहीं हुई है.

सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2012 में मॉनिटरिंग कमेटी से सीलिंग के अधिकार छीन लिए थे. अदालत ने उम्मीद जताई थी कि दिल्ली नगर निगम वैधानिक दायित्व निभाएगा और कानून के अनुसार अवैध निर्माण पर अंकुश लाएगा. बेंच ने कहा कि हमारे विश्वास और उम्मीदों को झटका लगा है. सिविक प्रशासन अवैध निर्माण को रोकने में विफल रहा है.