जब सरकार खुद हारने को तैयार बैठी हो तो जज क्या कर सकता है

नई दिल्ली : 2जी घोटाले में फैसला सुनाने वाली सीबीआई कोर्ट के विशेष जज ओ पी सैनी ने जो कहा उसका मतलब है कि राजनीति बेहद गंदी चीज़ है और लोग सिर्फ अटकलों के आधार पर अदालत पहुंच जाते हैं और देश की अदालतों का कीमती वक्त खराब करते हैं. उन्होंने कहा कि उन्होंने साल 2011 से लगातार सात साल तक बिना छुट्टी लिए इस केस मे सबूत ढूंढा लेकिन सब बेकार गया. उन्होंने कहा कि केस का आधार ही गॉशिप, अफवाह और अटकलों पर आधारित था.

1552 पेज के अपने फैसले में जज सैनी ने लिखा है, “पिछले लगभग सात साल, सभी वर्किंग डेज जिसमें गर्मी की छुट्टी भी शामिल है, मैं लगातार सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक ओपन कोर्ट में बैठकर इंतजार करता रहा ताकि कोई भी मामले से जुड़ा वैध सबूत लाकर दे लेकिन सब बेकार गया.” जज सैनी ने आगे लिखा है, “मामले में एक भी गवाह टर्नअप नहीं हुआ. इसका मतलब साफ था कि सभी लोग अटकलों, अफवाहों और गॉशिप के पीछे भाग रहे थे, जबकि लोग क्या सोचते हैं इससे कानूनी पक्रिया नहीं चलती. इसका कानूनी प्रक्रियाओं में कोई महत्व नहीं होता है.”

जज ने लिखा है कि इस केस की सुनवाई ने अक्सर बड़ी संख्या में लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है और सभी लोग कोर्ट की टिप्पणी और फैसलों पर नजरें गड़ाए रहते थे. कोर्टरूम में भी सुनवाई के दिन अक्सर भीड़ जमा हो जाती थी. जज ने अपने फैसले में उन दर्जन भर लोगों के बारे में भी लिखा है जिन्होंने लिखित आवेदन देकर मामले में अतिरिक्त आरोपियों को बुलाने और पूछने का दवाब बनाया था जिन्हें सीबीआई छोड़ चुकी थी लेकिन इनमें से एक भी आवेदन के पास लीगल मैटेरियल नहीं था. इनमें से कुछ ने जो मैटेरियल दिया था वो पहले से ही कोर्ट प्रोसिडिंग में मौजूद थे.

बता दें कि दिल्ली की सीबीआई कोर्ट ने गुरुवार (21 दिसंबर) को 1.76 लाख करोड़ रुपये के 2जी घोटाले के सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार के समय स्पे क्ट्रपम आवंटन में 1.76 लाख करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होने की बात तत्कालीन सीएजी विनोद राय ने उठाई थी. तब विपक्ष ने इसे घोटाला कहा था. इसमें पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा और द्रमुक सांसद कनीमोई के अलावा अन्या को भी आरोपी बनाया गया था. आरोपियों के खिलाफ सीबीआई के साथ ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी मामला दर्ज किया था.

सीबीआई की चार्जशीट पर विशेष अदालत ने वर्ष 2011 में मामले के 17 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए थे. सीबीआई ने 2जी घोटाला मामले में अप्रैल 2011 में आरोपपत्र दाखिल किया था. जांच एजेंसी ने आरोप लगाया था कि स्पेनक्ट्रपम के लिए 122 लाइसेंस जारी करने में गड़बड़ी के कारण 30,984 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. सुप्रीम कोर्ट ने 2 फरवरी 2012 को लाइसेंस को रद कर दिया था.