आलोचनाओं से घबड़ाए मोदी. डायरी वाले फोटो से पल्ला झाड़ा. बिना इजाजत फोटो छापने का तर्क

नई दिल्ली: समर्थकों के लिए एक नयी दुविधा खड़ी होने वाली है. अबतक वो खादी ग्रामोद्योग आयोग के कैलेण्डर में गांधी जी की तस्वीर हटाकर प्रधानमंत्री की तस्वीर छापने को सही ठहरा रहे थे लेकिन अब खुद मोदी ही इस मामले में एक्शन लेने वाले हैं. मोदी नाराज़ हैं कि उनकी इजाज़त के बगैर उनकी तस्वीर क्यों छापी गई.  सूत्रों को मुताबिक  PM खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के कैलेंडर और डायरियों पर बिना अनुमति प्रयोग के कारण प्रधानमंत्री कार्यालय बेहद खफा हैं. बताया जा रहा है कि इस मामले में लघु, सूक्ष्म और मझौले उद्योग मंत्रालय (एमएसएमई) से जवाब मांगा गया है.

ये अलग बात है कि मोदी को इस पर भी आलोचना झेलनी पड़ेगी. एक नेता का कहना था कि पार्टी की ऑफिशियल लाइन जब आएगी तभी इसपर बयान दिया जा सकता है लेकिन ये मोदी की नाटकबाजी है. अपना फोटो भी डायरी पर छपवा लिया अब कह रहे हैं इजाज़त नही ली. ये दिखावे वाली बात है. क्या सरकार का इन चीज़ों पर कोई नियंत्रण ही नहीं है. बिना इजाजत मोदी का ही फोटों क्यों छापते हैं लोग. कई और नेता भी तो हैं. जाहिर है कि लोग जानते हैं कि अपना मोदी देखकर मोदी खुश होते है.

केवीआईसी के मुद्दे पर जानकारी रखने वाले बड़े सरकारी अधिकारियों के अनुसार कि पीएम इससे नाराज हैं. इस मुद्दे को लेकर  मोदी को राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल जैसे विपक्षी दलों के कई नेताओं की आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा था.

नाम नहीं छापने की शर्त पर अधिकारियों ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया कि बिना सरकारी इजाजत के पीएम के फोटो का प्रयोग करने का यह पहला मामला नहीं है. एक बड़े अधिकारी ने बताया, ‘प्रधानमंत्री को खुश करने या उनके करीब दिखने के लिए ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. इससे पहले रिलायंस इंडस्ट्रीज की टेलीकॉम कंपनी जियो और मोबाइल वॉलेट कंपनी पेटीएम के विज्ञापन में भी बिना इजाजत के पीएम मोदी की फोटो का इस्तेमाल किया गया था.’

खादी और ग्रामोद्योग आयोग एक संवैधानिक निकाय है जिसका कार्य देश में खादी को बढ़ावा देना है. केवीआईसी के कैलेंडर और डायरी में आमतौर पर महात्मा गांधी के चरखा कातने वाले ऐतिहासिक फोटो का इस्तेमाल होता हुआ आया है. हालांकि, केवीआईसी के अधिकारियों ने बताया कि कैलेंडर और डायरी में महात्मा गांधी के फोटोग्राफ का इस्तेमाल नहीं करने का यह पहला मामला नहीं है.

केवीआईसी के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया, ‘पिछले साल अक्टूबर के दौरान पीएम मोदी ने लुधियाना में महिला बुनकरों के बीच 500 चरखे वितरित किए थे और इसी वजह से कैलेंडर पर उनका फोटो छापने का फैसला किया गया.’

2015 में एनडीए सरकार द्वारा केवीआईसी के मुखिया के रूप में नियुक्त किए गए वीके सक्सेना ने हाल ही में कहा था कि पीएम की तस्वीरों का इस्तेमाल संस्थान के मूल आदर्शों से मेल खाता है. उन्होंने कहा था कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से खादी को बढ़ावा मिला है. इसलिए उनके फोटो का प्रयोग किया गया था. सक्सेना के अनुसार, 2015-16 में खादी की बिक्री में 34 फीसदी का इजाफा हुआ था. वहीं इससे पहले के दशक में इसमें 2-7 पर्सेंट का इजाफा हुआ था.