नोटबंद के कारण लोगों ने दवा खानी बंद की, 40 फीसदी गिरी सेल

नोटबंदी का असर हर सेक्टर पर पड़ा है। मेडिकल के रिटेल मार्केट पर ही इसका जबरदस्त असर हुआ है। पहले की अपेक्षा यहां करीब 40 पर्सेंट सेल गिरी है। बड़े नोटों के साथ खुल्ले की परेशानी और 500 और एक हजार के पुराने नोट नहीं लेने की वजह से मेडिकल शॉप पर मरीज नहीं आ रहे हैं। मौजूदा समय में मेडिकल शॉप पर दवाईयों की कोई शॉर्टेज नहीं है, लेकिन रिटेल और होल सेलर्स का मानना है कि छोटे नोटों का फ्लो सिस्टम मार्केट में नहीं बना और बैंकों के बाहर लाइन खत्म नहीं हुई तो दवाओं की शॉर्टेज हो सकती है। ऐसे में रिटेल दवा कारोबारी दुकान बंद कर सकते हैं। पेश है एक रिपोर्ट :

तीन तरीके से होता है दवा का कारोबार

गाजियाबाद में दवा का कारोबार 3 तरीके से होता है। पहले सीएनएफ(कैरिंग एंड फॉवर्डिंग एजेंट), उसके बाद होल सेल डिस्ट्रब्यूटर्स और फिर आखिर में रिटेल, जहां से कस्टमर दवा खरीदते हैं। डिस्ट्रिक्ट गाजियाबाद केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट असोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी राजीव त्यागी के मुताबिक गाजियाबाद में करीब 20 सीएनएफ हैं और 350 के करीब होलसेल डिस्ट्रब्यूटर्स। गाजियाबाद में रोजना दवाओं का करीब 7 करोड़ का कारोबार है। मौजूदा समय में दिक्कत कैश को लेकर बनी हुई है। इसे देखते हुए असोसिसएशन ने रिटेल कारोबारियों से कहा है कि जिनके पास अब तक अकाउंट नहीं है वे अपना अकाउंट ओपन करवा लें। लेकिन जो स्थिति है, उसमें बैंक में अकाउंट खुलवाना भी आसान नहीं है। इसलिए दवाओं की जरूरत को देखते हुए और जो पुराने रिटेल कारोबारी हैं, उन्हें पर्चें पर या कुछ कार्ड पर होल सेल डिस्ट्रब्यूटर दवाईयां दे रहे हैं। रिटेल कारोबारियों से कहा गया है कि अकाउंट खुलने के बाद चेक से पेमेंट करें। त्यागी के अनुसार रिटेलर्स के लिए भी गाइडलाइन होनी चाहिए, जिससे उन्हें भी पेमेंट लेने में दिक्कत न आए। उन्होंने बताया कि कुछ बड़े होलसेलर्स के पास 8 नवंबर तक का कैश इन हैंड बताने का नोटिस इनकम टैक्स की तरफ से आया हुआ है।

इस तरह होता है रिटेल कारोबार

टीएचए की बात करें तो यहां छोटे बड़े करीब 700 मेडिकल स्टोर्स हैं। स्थानीय दवा कारोबारी बताते हैं कि कुछ रिटेल दवा कारोबारी टिन नंबर के जरिये गाजियाबाद के बड़े होलसेल डिस्ट्रब्यूटर्स से दवा खरीदते हैं। उनकी 60 फीसदी पेमेंट चेक के जरिये होती हैं। इसमें किसी तरह की परेशानी नहीं आती है। अगर अमाउंट छोटा है तो वह कैश से भी पेमेंट कर देते हैं, लेकिन 8 नवंबर से पहले वे कारोबारी जिनके पास टिन नंबर नहीं है, उन्हें दिक्कत अधिक आ रही है। क्योंकि बड़े नोट डिस्ट्रिब्यूटर ले नहीं रहा है और उन्हें दवा नहीं मिल पा रही है। ऐसे दुकानदारों के पास कुछ समय बाद दुकान बंद करने की नौबत आ जाएगी।

मरीज कहां से लाएं प्रिसकिप्शन

रिटेल दवा करोबारियों ने बताया कि प्रिसक्रिप्शन पर दवाए देने की बात कही गई है, लेकिन वे मरीज जो सालों से बीपी, कलेस्ट्रॉल, शूगर और अन्य दवाईयां रोज खाते आ रहे हैं, वे प्रिसकिप्शन कहां से लाएंगे। ऐसे में उन्हें थोड़ी दिक्कत आ रही है। या तो वे नया प्रिसक्रिप्शन बनवाएं या फिर पुराना ढूंढे। ऐसे में दवा कारोबारी गुडविल वाले कस्टमर को ही दवाई दे रहे हैं।

सेल घटी मगर शार्टज नहीं

इंदिरापुरम के शक्ति खंड-1 स्थित पायल मेडिकल स्टोर के संचालक विकास ने बताया कि मार्केट में करीब 40 पर्सेंट सेल जरूर घटी है, लेकिन दवाईयों की कोई शॉर्टेज मार्केट में नहीं है। कैश ट्रांजेक्शन में दिक्कत दोनों तरह से हैं। जिनके पास पुराने नोट हैं, लेकिन दवाओं का बिल 150 या 200 है तो वैसे कस्टमर और दुकानदार दिक्कत में है। वैसे ही जिसके पास नए बड़े नोट हैं, लेकिन दुकानदार के पास खुल्ले वापस करने के लिए छोटे नोट नहीं है। – विकास, संचालक, पायल मेडिकल स्टोर

कार्ड का इस्तेमाल बढ़ा

स्थानीय दवा कारोबारियों ने बताया कि अब तक कैश ट्रांजिक्शन अधिक होता रहा है, लेकिन क्राइसिस को देखते हुए कार्ड का इस्तेमाल बढ़ गया है। इसके लिए कोई चार्ज नहीं लिया जा रहा है।

ऑनलाइन से कम होती है शॉपिंग

रिटेल दवा कारोबारी बताते हैं कि ऑनलाइन शॉपिंग न के बराबर है। इससे दवा की क्वॉलिटी और बिलिंग को लेकर दिक्कत आ सकती है। ऑनलाइन खरीदी गई दवाईयों के लिए किससे संपर्क किया जा सकेगा, यह दिक्कत बनी रहती है। इसलिए रिटेल के अच्छे कारोबारी ऑनलाइन दवा खरीदने से बचते हैं।

आ सकती है परेशानी

रिटेल कारोबारियों को बड़े पुराने नोट लेने के आदेश हैं, लेकिन बैंकों की जो स्थिति है, वे इसे कैसे और कब लंबी लाइनों के बीच जमा कराएं। बैंकों में अफसर डीडी बनाने तक को तैयार नहीं हैं। दुकानदार दुकान बंद कर बैंक की लाइन में लगने को मजबूर हैं। उसके लिए कोई वैकल्पिक इंतजाम नहीं किया गया है। हर रिटेल कारोबारी अपने कारोबार को ऑनलाइन ऑपरेट नहीं कर सकता है। अगर हालात सामान्य नहीं हुए तो रिटेल कारोबारियों के पास ड्रग्स की दिक्त आने वाले दिनों में बढ़ जाएगी और ऐसी हालत में परेशान होकर दुकानदार दुकानें बंद कर देंगे। – राजेदव त्यागी, प्रेजिडेंट, गाजियाबाद केमिस्ट असोसिएशन,

बहुत की कंफ्यूजन की स्थिति है। रिटेल कारोबारी बड़े नोट लेकर आ रहे हैं। फिर ऐसे में कैश जमा करने की टेंशन भी है। कुल मिलाकर बहुत परेशानी है। इसके अलावा बहुत सारा काम सालों से क्रेडिट पर होता रहा है। उनकी पुरानी पेमेंट भी फंसी हुई है। ऐसे में नए डिमांड को पूरा करना इस समय संभव नहीं हो रहा है। अगर हालात में सुधार नहीं हुआ तो डिमांड और सप्लाई का सिस्टम चौपट हो सकता है। – विशाल, होल सेल कारोबारी

जानकार बताते हैं कि दवाओं का कारोबार अब तक कैश में होता रहा है। ऐसे में नोट बंदी के असर से रिटेल और होल सेल दोनों के बिजनेस पर बड़ी चोट लगी हुई है। क्रेडिट पर उठने वाले माले की पेमेंट कैसे होगी इसे लेकर सभी टेंशन में हैं।

नोटों पर बैन लगने से छोटे केमिस्टों की रोजमर्रा की सेल प्रभावित हो गई है। 500 और 1000 रुपये का नोट लेकर आने वाले कस्टमर को दवाई नहीं दी जी रही है। जो लोग छोटी करेंसी और नई करेंसी लेकर आ रहे हैं, उन्हें ही दवा दी जा रही है। – विरेन्द्र कुमार शर्मा, वसुंधरा सेक्टर -16 बी

थोक में दवाईयों की खेप खरीदने में कोई प्रॉब्लम नहीं आ रही है, क्योंकि थोक विक्रेताओं को चेक से पेमेंट दी जाती है। मगर छोटे केमिस्टों के लिए फुटकर में दवा बेचना चुनौती बना हुआ है। दो हजार के नए नोट लाने वाले कस्टमर को 100 या 200 रुपये की दवाईं नहीं दी जा रही है। – नरेश त्यागी, श्यामपार्क मेन

पुरानी करेंसी पर मेडिसन नहीं दी जा रही है, लेकिन मेडिकल स्टोर पर दवाईयों की कमी नहीं है। जान- पहचान वाले लोगों को उधार पर मेडिसन दी जा रही है। कस्टमर से अपील की जा रही है वह चेंज मनी लेकर आएं, जिससे मेडिकल स्टोर के रोजमर्रा के खर्च निकल सकें। – सनी, श्यामपार्क मेन

केस स्टडी

मैं फीवर और बॉडी पेन से काफी परेशान हूं, लेकिन चेंज करेंसी न होने के चलते दवा खरीदना मुश्किल हो गया। फीवर होने के बावजूद मुझे बैंकों की लंबी लाइन में लगना पड़ रहा हैं। जिसके चलते मेरी तबीयत और खराब हो रही है। – प्रवीण तोमर, वसुंधरा

मेरे पति को स्किन एलर्जी है और मैं हाल ही में चिकनगुनिया से ठीक हुई हो लेकिन प्रोपर रिकवर नहीं हुई हूं। मुझे और मेरे पति को रोजाना दवा की जरूरत होती है, लेकिन केमिस्ट शॉप में 500 और 1000 के नोट नहीं चल रहे हैं। वहीं, 2000 के नए नोट को चेंज कराना मुश्किल हो गया है। – अनीता शर्मा, इंदिरापुरम

रिपोर्ट टाइम्स ऑफ इंडिया समूह के नवभारत टाइम्स से साभार