मणिशंकर अय्यर के एक बयान ने बीजेपी की चुनावी हवा खराब कर दी

नई दिल्ली : जहां एक तरफ गुजरात विधानसभा को लेकर कांग्रेस और भाजपा पूरी ताकत झोंक रही हैं वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर के बयान से राजनीतिक तुफान आ गया। इस बयान  बाद राहुल गांधी ने मणिशंकर अय्यर को हिदायत भी दे डाली , मणिशंकर अय्यर पर एक्शन भी हो गया लेकिन राजनीति की गहरी समझ रखने वाले इसे काग्रेस का मास्टर स्ट्रोक मान रहे हैं. मणिशंकर अय्यर के इस बयान से कांग्रेस ने एक तीर से कई निशाने लगाए हैं. इसका फायदा कांग्रेस पार्टी को गुजरात चुनाव में पक्का मिलेगा.

पहला निशाना

जिस दिन मणिशंकर अय्यर ने ये बयान दिया कांग्रेस की हालत बहुत खराब थी. बीजेपी आक्रामक मुद्रा में थी लगातार राम मंदिर का मुद्दा उठाया जा रहा था. कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट नें लूज बॉल डालकर छक्के पर छक्के पड़वा रहे थे. ऐसी हालत में विमर्श को राम मंदिर जैसे संवेदनशील मुद्दे से हटाने में अय्यर के बयान ने अहम भूमिका निभाई. पूरी बीजेपी कांग्रेस की धुनाई छोड़कर मोदी के बचाव में आ गई .

दूसरा निशाना

राहुल गांधी ने जो बयान दिया वो काबिल करने लायक है. राहुल गांधी ने कहा कि पीएम मोदी और बीजेपी हमारे उपर भद्दी भाषा का इस्तेमाल करती है. हमारी संस्कृति फर्क है कांग्रेस ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं करती इसलिए अय्यर को माफी मांग लेनी चाहिए. इसके बाद अय्यर ने 6 बार माफी भी मांग ली. बाद में सुरजेवाला ने  फिर बीजेपी पर हमला किया. उन्होने कहा कि अब मोदी भी अपने भद्दे बयान वाले नेताओं से माफी मांगने को कहें. जाहिर बात है इससे जहांगीर बाबर जैसी भाषा पर भी कांग्रेस ने हमला कर दिया. विमर्श में जो राम मंदिर का मसला था वो बदल कर राजनीति में भाषा की गरिमा पर आ गया.

तीसरा निशाना

इस मामले में मणिशंकर अय्यर ने नीच शब्द का इस्तेमाल किया था. जवाब में मोदी ने अपने भाषण में नीच शब्द को बदलकर नीच जात कर दिया. आजकल सोशल मीडिया का जमाना है लोगों ने दोनों बयान सुने थे. जाहिर बात है प्रधानमंत्री का ये अर्धसत्य लोगों को उनकी गरिमा के मुताबिक नहीं लगा होगा. इससे मोदी का वजन तो कम होगा ही. क्योंकि मोदी को लोग जिस ऊंची जगह पर रखते हैं उसके मुताबिक  बयान नहीं. दूसरी तरफ राहुल गांधी ने मणिशंकर अय्यर को माफी की सलाह देर अपनी बेहतर पहचान बनाई है.

कुल मिलाकर बीजेपी के जो मजबूत समर्थक हैं. या मोदी के साथी हैं. उनके लिए तो मोदी का साथ अहम हो सकता है लेकिन बाकी मतदातों के ऊपर इसका असर ठीक ही पड़ेगा. जाहिर बात है कांग्रेस को इससे फायदा होगा.