क्या होम बायर्स को धोखा दे रही है योगी सरकार? बिल्डरों को राहत के लिए थी बयानबाज़ी ?

ग्रेटर नोएडा: सितंबर में उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने होम बायर्स के सामने एक पासा फेंका था. इसमें बेचारे घर खरीदार फंस गए नतीजा ये हुआ है कि लोगों को न तो घर मिले न बिल्डर के खिलाफ एक्शन हो पाया. हुआ ये कि सितंबर महीने में योगी सरकार ने प्रेस कांफ्रेंस कर ऐलान किया था कि दिसंबर तक प्रदेश सरकार 50 हज़ार घरों की डिलवरी कराएगी.

लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हों बायर्स ने इस पर भरोसा किया . ही वो पासा था जो सीएम ने फेंका था. प्रदर्शन रोकने के लिए सरकार की तरफ़ से बिल्डरों के ख़िलाफ़ एफआईआर कर उन्हें लॉलीपाप दी गई थी. नोएडा एक्सटेंशन बायर्स बताते हैं कि “कुछ नहीं हुआ झूठ था हमें धोखा दिया गया. ये बार बार मींटिंग कर टाइम निकाल रहे हैं. ये तीनों मंत्री हर महीने यहां आते हैं मीटिंग करके चले जाते हैं. जो घर इन्होंने अब तक दिए हैं, वो तो पहले से बने हुए थे, इन्होंने सिर्फ़ अथॉरिटी से कंप्लीशन सर्टिफ़िकेट देकर नंबर बढ़ा रहे हैं.” यानी नियम के मुताबिक जो प्रोजेक्ट तैयार भी नहीं थे उनके कुछ बायर्स के देकर सरकार वाहवाही लूटना चाहती है.

बायर्स का कहना है कि योगी सरकार लगातार ढिलाई बरत रही है. तीन महीने पहले ही सरकार के आदेश पर आम्रपाली, सुपरटेक जैसे बड़े बिल्डरों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज़ की गई थी, लेकिन इतना वक़्त गुज़र जाने के बाद इन मामलों में अभी तक चार्जशीट तक दायर नहीं हुई है.

बैंक की ईएमआई और घर किराए के बोझ के तले दबे बायर्स कहते हैं कि योगी सरकार से बड़ी उम्मीद थी, लेकिन हालत ऐसी है कि उनका घर दिसंबर 2019 तक भी तैयार होता नहीं दिख रहा.योगी सरकार नें बिल्डर-बॉयर समस्या को सुलझाने के लिए अगस्त में तीन मंत्रियों सुरेश खन्ना, सतीश महाना और सुरेश राणा की एक समिति बनाई थी, जिनके निर्देश पर आम्रपाली, सुपरटेक और टुडे होम्स जैसे बड़े 8 बिल्डरों के ख़िलाफ़ अगस्त महीने में एफआईआर  दर्ज़ की गई. इसके बाद से ये कमिटी नोएडा में बैठक तक नहीं करती वो दिल्ली के फाइव स्टार होटलों में बैठती है. बिल्डर्स से बात करती है और चली जाती है. हाल में बीजेपी के एक विधायक ने इन मंत्रियों  की गंभीरता पर संदेह भी जताया था .

कुल 1.5 लाख घर पूरे नोएडा-ग्रेटर नोएडा में फंसे हुए हैं. बॉयर संघ योगी सरकार को पत्र लिखकर दिसंबर की मियाद ख़त्म होने की याद दिला रहा है, लेकिन इन्हें उम्मीद कम ही है कि इस साल उनका सपनों का घर उन्हें मिलेगा.

जानकारों का कहना है कि सरकार ऐसा करके विरोध कर रहे बायर्स की संख्या को कम करने की कोशिश में है. कुछ बायर्स आधे अधूरे प्रोजक्ट के घर लेकर संघर्ष से बाहर हो जाएंगे. बाकी को डील करना आसान होगा लेकिन ये काम भी पूरी तरह हो नहीं पा रहा क्योंकि बिना बिल्डरों के कान उमेठे इस समस्या का समाधान मुमकिन नहीं है.