मैक्स मामले के बाद डॉक्टरों पर सख्त लगाम, इलाज हो जाएगा 40% सस्ता

नई दिल्ली: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने मैक्स अस्पताल के बाद पैदा हुए हालात के बाद अपनी हड़ताल को टाल दिया है. इतना ही नहीं एसोसिएशन ने कई गाइडलाइंस जारी की हैं जिनका मकसद मेडिकल व्यवसाय को ज्यादा पारदर्शी और भरोसेमंद बनाना. आज पत्रकारों से बात करते हुए एसोसिएशन के अध्यक्ष केके अग्रवाल ने बताया कि देश डॉक्टरों के बारे में काफी नकारात्मक बातें कर रहा है जो ठीक नहीं है. डॉक्टरों को अपना आचरण सुधारना होगा ताकि उनकी साख बची रहे.

अग्रवाल ने कई बड़े कदमों के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि आज से डॉक्टर इन सख्त नियमों के तहत काम करेंगे जिससे अस्पतालों की लूट पर लगाम लगेगी. और मरीज़ों के अंदर विश्वास पैदा होगा.

-आईएमए हर राज्य मे एक शिकायत निवारण आयोग बनाएगा जिसमें डॉक्टरों के खिलाफ शिकायतों पर सुनवाई की जा सकेगी.

-महंगी दवाई लिखने पर रोक लगाई जाएगी. डॉक्टरों को मरीजों को आवश्यक दवाएं ही लिखनी होंगी. अगर वो कोई महंगी दवा लिखते हैं तो उन्हें मरीज़ को बताना होगा कि वो क्यों ऐसा करना चाहते है. क्या इसके बगैर काम चल सकता है.

-आईएमए ने कहा कि अस्पतालों में सस्ती दवाएं उपलब्ध कराना ज़रूरी होगा ताकि डॉक्टर ये बहाने न बना सके कि जो दवा मिलती हैं वही लिखनी पड़ रही हैं. एक दवा का एक ही दाम होना चाहिए. सरकार इसके लिए कानून बनाए. एक ही कंपनी एक ही दवा को तीन अलग अलग दाम में बेचती है जो गलत है.

-सरकार ग्लब्ज़ सीरिंज जैसे सामान के दाम तय करे ताकि इनका दाम अंधाधुंध न वसूल किया जा सके.

-कुछ अस्पताल अपनी मर्जी से एमआरपी लिखवा लेते हैं. ये अपराध है ऐसे अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.

-अस्पताल में महंगे और सस्ते सभी प्रकार के विकल्पों की जानकारी ग्राहक को देना ज़रूरी होगा. अगर कोई महंगा टेस्ट करवाया जाता है तो मरीज़ को बताना ज़रूरी है कि वो क्यों करवाना ज़रूरीहै. मरीज़ या उसके परिजनों की इजाजत इसके लिए ज़रूरी है.

-डॉक्टर को मरीज़ को बताना चाहिए कि कि इलाज में कितना जोखिम है. प्राण जाने की कितनी आशंका है. अगर इलाज के दौरान हालात बिगड़े तो कितना खर्च बढ़ सकता है. खर्च का सही हिसाब भी डॉक्टर को देना होगा.

-मरीज़ के इमरजेंसी इलाज का खर्च बढ़ने की संभावना होतो वो भी पहले बता दिया जाए.

-इमरजेंसी और आईसीयू के खर्च की जानकारी भी मरीज़ को दी जानी चाहिए. पर्चे में दवा के साथ अनुमानित कीमत भी डॉक्टर को बताई जाए. अगर अस्पताल में रैफर करने पर किसी डॉक्टर ने कोई कमीशन लिया है तो उसका जिक्र भी बिल में होना चाहिए. मरीज को इसकी जानकारी देनी चाहिए.

-अगर मरीज़ की मौत हो गई है तो शव देने में आनाकानी नहीं करनी चाहिए. मृत शरीर का सम्मान करना आपकी ज़िम्मेदारी है.

-सीजेरियन के लिए दो डॉक्टरों के दस्तखत ज़रूरी है.

-पैसे नहीं होने पर किसी का इलाज बंद नहीं किया जा सकता है.

-कम पैसे में इलाज के विकल्प डॉक्टर को बताना चाहिए. कहीं भी ले जाओ कहना ठीक नहीं.

आप यहां सभी सुधारों को वीडियो में सुन सकते हैं.