लगातार बढ़ रहे किसानों का हुजूम देखकर कांपी मुंबई, सरकार परेशान

मुंबई: दिल्ली में अन्ना हज़ारे की कुछ हज़ार लोगों की मजलिस की मीडिया पर जबरदस्त कवरेज़ मिला था. यहां स्पेशल कैमरे लगाए गए थे. लेकिन त्रिपुरा में वामपंथियों की 25 साल पुरानी सरकार गिरने पर उनकी बरदस्त हार बताने वाला मीडिया उनके किसानों के लिए संघर्ष पर उत्साहित नहीं दिख रहा. ये तो अच्छी बात है कि कोई पार्टी चुनाव जीते या न जीते गरीब, किसान, महिलाओं, दलितों और अल्पसंख्यकों के लिए हमेशा संघर्ष करती है और आगे रहती है.

इस बार आत्महत्या करने वाले किसान वामपंथियों के कारण हौसले के साथ सड़कों पर आए हैं.  ऑल इंडिया किसान सभा के महाराष्ट्र विधानसभा का घेराव करने निकले क़रीब 50 हज़ार किसान मुंबई पहुंच चुके हैं और सड़कों पर एक के बाद एक किसानों के हुजूम बढ़ते कहीं भी देखे जा सकते हैं.

 

इस संघर्ष का ही नतीजा है कि किसानों की सिर्फ भाषणों में बात करने वाली पार्टियां अब सीरियस हो गई है. महाराष्ट्र में दिन रात बैटकें चल रही हैं. प्रशासन परेशान है कि इस भीड़ को कैसे नियंत्रित करे. लेकिन प्रशासन आश्वस्त भी है. क्योंकि लाखों की संख्या में लोगों के साथ रैलियां करने वाले वामपंथियों ने कभी अनुशासन नहीं तोड़ा.

नासिक से शुरू हुई किसानों की ये रैली कल रात वासिंद में रुकी और आज ये किसान वासिंद से आगे बढ़ ठाणे पहुंच चुके हैं. 12 मार्च को ये किसान महाराष्ट्र विधानसभा का घेराव करेंगे. इन किसानों की मांगों में क़र्ज़मुक्ति, फसलों का उचित भाव, स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिशों को लागू करने और पेंशन के मुद्दे शामिल हैं.

 

मोर्चे में खुदकुशी करने वाले किसानों के 25 छोटे बच्चे भी शामिल हो गये हैं. किसान सभा के राज्य सचिव डॉ अजित नवले ने बताया कि बच्चों ने अपनी करुण कथा सुनाकर जहां मोर्चे में शामिल किसानों को भावविभोर कर दिया वहीं अन्याय के विरुद्ध खुदकुशी नहीं संघर्ष ही एकमात्र मार्ग है कहकर सभी में उत्साह का संचार भी किया.

चिल-चिलाती धूप में पैदल चल रहे किसानों में कुछ की तबियत खराब होने की भी सूचना है. नासिक से साथ चल रही डॉक्टरों की टीम किसानों को जरूरी दवाइयां और देखभाल कर रही है.