उन्माद के बीच मोदी से क्या चाहते हैं हम भारत के लोग, देखिए रिसर्च रिपोर्ट

सोमवार को जारी 40 पन्ने की अपनी सर्वे रिपोर्ट में प्यू रिसर्च सेंटर ने कहा, “आधे से ज्यादा (52 प्रतिशत) भारतीय लोग अपने देश को इस्लामिक स्टेट से होने वाले खतरे को लेकर चिंतित हैं जबकि 62 प्रतिशत लोगों की राय है कि दुनिया भर में आतंकवाद को हराने के लिए सैन्य ताकत का इस्तेमाल सबसे अच्छा तरीका है. वहीं सिर्फ 21 प्रतिशत लोगों की राय है कि ताकत पर बहुत ज्यादा भरोसा करने से नफरत ही फैलती है जो बाद में आतंकवाद की तरफ ले जाती है.”

सर्वे में 68 प्रतिशत लोगों का कहना है कि 10 साल पहले के मुकाबले अब भारत दुनिया में ज्यादा अहम रोल निभा रहा है. ये सर्वे 7 अप्रैल से 24 मई के बीच किया और इसमें 2,464 लोगों ने हिस्सा लिया. इनमें से आधे लोग प्रधानमंत्री मोदी की पाकिस्तानी नीति से सहमत नहीं हैं. सिर्फ 22 प्रतिशत लोग ही इससे खुश हैं. ये सर्वे पठानकोट एयर बेस पर हमले के कुछ महीने बाद किया गया था.

सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है,“खास बात ये है कि भाजपा के भी आधे समर्थक (54 प्रतिशत) और कांग्रेस के 45 फीसदी लोग पाकिस्तान से निपटने के मोदी के तौर तरीकों को ठीक नहीं मानते हैं.”प्यू का कहना है कि भारतीय देश के रक्षा खर्च में बढ़ोतरी के समर्थक हैं. 63 प्रतिशत लोगों का कहना है कि भारत को राष्ट्रीय रक्षा खर्च का बजट बढ़ाना चाहिए जबकि इसमें कटौती के समर्थक लोगों की तादाद सिर्फ छह प्रतिशत है. रक्षा खर्च को मौजूदा स्तर पर रखने के समर्थक लोग 20 प्रतिशत हैं.

दुनिया भर में आयात किए जाने वाले कुल हथियारों का 14 फीसदी केवल भारत में आता है. हथियारों का आयात भारत में चीन और पाकिस्तान से तीन गुना ज्यादा है. सिपरी की रिपोर्ट में इसका कारण “भारत की अपनी आर्म्स इंडस्ट्री में प्रतिस्पर्धी स्वदेशी हथियार डिजाइन कर पाने में असफल रहना” बताया गया है. सबसे ज्यादा हथियार रूस (70%), अमेरिका (14%) और इस्राएल (4.5%) से आते हैं.

चीन की बढ़ती सैन्य ताकत को खतरा मानने वाले भारतीयों की संख्या भी अच्छी खासी है. सर्वे में कहा गया है कि देश की दिशा को लेकर भारत में संतुष्ट लोगों की संख्या में 2013 के मकाबले 36 प्रतिशत अंक का इजाफा हुआ है. सर्वे कहते है कि अर्थव्यवस्था को लेकर भी भारतीयों की समझ बढ़ी है. वो मानते हैं कि वित्तीय रूप से उनके बच्चों की स्थिति उनसे बेहतर होगी.

एके/वीके (पीटीआई)