अंबानी की तिजोरी भरने वाले हैं जीएसटी काउंसिल के नये फैसले, जानिए कैसे रिलांयस को किया निहाल


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नई दिल्ली: कल आए जीएसटी काउंसिल के फैसले को सारे मीडिया हाऊस राहत देने वाला और जबरदस्त जनहितकारी बता रहे हैं लेकन क्या आपको पता है कि ये फैसला अगर किसी के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद है तो वो है पेट्रोलियम कंपनियां जैसे रिलायंस . हैंडीक्राफ्ट प्रोडक्ट्स को अगर आप छोड़ दें तो ज्यादातर टैक्स के फायदे सीधे सीधे रिलांयस इंडस्ट्रीज को मिले हैं. इसके अलावा गुजरात के नाराज़ व्यापारियों खास तौर पर सूरत के हीरा व्यापारियों की लॉटरी लगी है.

सबसे पहले बात रिलायंस को होने वाले फायदे की. सरकार ने पेट्रोलियम क्रूड की माइनिंग, ड्रिलिंग सर्विसेज पर टैक्स घटाकर 12 फीसदी कर दिया गया है यानी तेल उत्खनन करने वाली कंपनी रिलायंस को सीधा फायदा.

प्राइवेट कंपनियों जैसे रिलायंस और एस्सार के सिलेंडर सरकारी कंपनियों से महंगे न हों इसलिए पहले प्रचार प्रसार करके लोगों को बहलाया गया और उनकी सब्सिडी खत्म कर दी गई. अब नया फायदा जीएसटी में दिया गया है. इन प्राइवेट कंपनियों की डॉमेस्टिक एलपीजी के लिए टैक्स रेट 18 से घटाकर 5% कर दिया है. जाहिर बात है इन कंपनियों की गैस अब सरकारी गैस से सस्ती हो जाएगी क्योंकि टैक्स छूट सिर्फ प्राइवेट कंपनियों को दी गई है.

पुरानी कारों पर टैक्स रेट में भी कटौती की गई है, जिन्हें 28 फीसदी से 18 फीसदी के टैक्स स्लैब में डाल दिया गया है. इसका सीधा असर पेट्रोलियम पदार्थों की खपत में बढ़ोत्री के रूप में देखने को मिलेगा. जाहिर बात है पुरानी कारों का इस्तेमाल बढ़ने से पेट्रोल-डीजल की खपत बढ़ेगी, सड़क पर ट्रेफिक का बोझ बढ़ने से भी पेट्रोल डीजल की खपत में इजाफा होता है.

पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स के ट्रांसपोर्टेशन पर टैक्स क्रेडिट के साथ जीएसटी को घटाकर 12 फीसदी कर दिया गया है. टैक्स क्रेडिट के बिना पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर जीएसटी को घटाकर 5 फीसदी कर दिया गया है. यानी पेट्रोलियम प्रोडक्ट को फिर से फायदा और इन दोनों कंपनियों की पौ बारह.

बायो-डीजल पर टैक्स 18 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी कर दिया गया है. इसका फायदा ये होगा कि डीजल में रतन जोत के तेल की मिलावट होगी.

मेट्रो रेल, मोनोरेल कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स पर जीएसटी 18 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी कर दिया गया है. बताने की ज़रूरत नहीं है कि इस कारोबार में कौनसी कंपनियां शामिल हैं.

इसके अलावा डि-ऑयल्ड राइस ब्रान पर रेट शून्य कर दिया गया. यानी राइस ब्रान का तेल निकालने के बाद जो खली निकलती है उसे ठिकाने लगाने में भी अडानी विल्मर जैसी कंपनियों को लाभ होगा