तोगड़िया बेहोश हुए तो सीसीटीवी में क्या कर रहे थे. जानिए मोदी के साथ कैसे हुई “दुश्मनी”

अहमदाबाद: जैसे जैसे जांच आगे बढ़ रही है प्रवीण तोगड़िया मामले में रहस्य की एक परत खुल रही है और दो परतें चढ़ जा रही हैं. अब खबर मिली है कि तोगडिया के बेहोशी की हालत में मिलने की कहानी में भी झूठ का पुट हो सकता है. पुलिस की जांच में नये तथ्य सामने आए हैं वो कह रहे हैं कि मामला सुगर लेवल कम होने से कहीं कुछ अलग है. ताज़ा पड़ताल के मुताबिक प्रवीण तोगड़िया वीएचपी दफ्तर से निकलकर धीरू कपूरिया के यहां गए. कपुरिया वीएचपी के आयुर्वेदिक स्टोर में दवाई के सप्लायर हैं.  इसके बाद प्रवीण तोगड़िया धीरो कपूरिया और घनश्याम कपूरिया के साथ निकले. यानी प्रवीण तोगड़िया अकेले नहीं ते उनके साथ दो लोग और थे. दोपहर साढ़े बारह बजे सीसीटीवी में तीनों की तस्वीरें भी कैद हुई हैं. यानी अगर लो शुगर से बेहोश होने की बात में दम है तो फिर दो लोगों के साथ होते हुए भी तोगड़िया  बेहोश कैसे हो गए. और लावारिस हालत में कैसे मिले. जब तोगड़िया के गायब होने के मामले पर चर्चा हो रही है तो एक चीज़ और अहम है. वो है प्रधानमंत्री मोदी और तोगड़िया के संबंध. तोगड़िया खुद एक सभा में कह चुके हैं कि उन्हें हटाने की साजिश हो रह है.

नवभारत टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि 2002 तक पीएम मोदी और तोगड़िया गहरे दोस्त हुआ करते थे और दोनों एक ही स्कूटर से आरएसएस कार्यकर्ताओं से मिलने जाया करते थे. वर्ष 2002 में मोदी के गुजरात का मुख्यमंत्री बनते ही दोनों के संबंधों में कड़वाहट आ गई.

वीएचपी के नेताओं कुछ नेताओं का मानना है कि तोगड़िया के खिलाफ पिछले एक महीने से घटनाक्रम तेजी से बदल रहा था जो राजनीति से प्रेरित और उन्हें ‘नीचा दिखाने की’ साजिश थी. सूत्रों ने बताया कि आरएसएस और बीजेपी दोनों ही चाहते थे कि वीएचपी तोगड़िया को मुक्त करे ताकि वे संघ के बैनर तले नए कार्यक्रम शुरू कर सकें. तोगड़िया ने इसका कड़ा विरोध किया था जिसके फलस्वरूप उनके खिलाफ पुराने मामलों में कार्रवाई तेज कर दी गई.

गुजरात के एक वरिष्ठ वीएचपी नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘हाल ही में भुवनेश्वर में वीएचपी के कार्यकारी बोर्ड की बैठक हुई थी. तोगड़िया का अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष का कार्यकाल 31 दिसंबर 2017 को खत्म हो रहा था और उनके साथ ही अध्यक्ष राघव रेड्डी का भी कार्यकाल समाप्त हो रहा था. आरएसएस रेड्डी की जगह वी. कोकजे को अध्यक्ष बनाना चाहता था लेकिन तोगड़िया ने इसका कड़ा विरोध किया और रेड्डी को पद पर बनाए रखने पर जोर दिया.’

उन्होंने बताया, ‘बाद में तोगड़िया ने एक विशाल सभा को संबोधित किया और कहा कि कुछ नेता उन्हें हटाना चाहते हैं. तोगड़िया ने राम मंदिर और गोरक्षा को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला था. यही नहीं उन्होंने गोसेवा के लिए कांग्रेस की प्रशंसा भी की.’ वीएचपी नेता ने कहा, ‘ पिछले 15 दिन में तोगड़िया का नाम दो मामलों में उभरकर सामने आया है. इसमें एक गुजरात और दूसरा राजस्थान से है. गुजरात के 22 साल पुराने मामले में तोगड़िया अपने समर्थकों के साथ कोर्ट गए थे. हालांकि उन्हें तलाश करने पहुंची राजस्थान पुलिस खाली हाथ लौट गई थी. जिस तरह से चीजें तोगड़िया के खिलाफ जा रही हैं, उससे लगता है कि बीजेपी तोगड़िया को छोड़ने वाली नहीं है.’

बता दें, वर्ष 2002 में गुजरात के तत्कालीन सीएम मोदी ने स्पष्ट कर दिया था कि तोगड़िया सरकार के कामकाज विशेषकर गृह विभाग के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे. माना जाता है कि यहीं से दोनों के बीच संबंधों में दरार शुरू हुई. मोदी द्वारा साइडलाइन किए जाने से तोगड़िया ने खुद को ठगा हुआ महसूस किया.

यह विवाद तब और बढ़ गया जब मोदी सरकार ने गांधीनगर में 200 मंदिरों को ढहा दिया और मोहम्मद अली जिन्ना पर लाल कृष्ण आडवाणी के बयान के बाद प्रदर्शन कर रहे वीएचपी कार्यकर्ताओं की पुलिस ने पिटाई कर दी. तोगड़िया ने मोदी के वर्ष 2011 में मुसलमानों के लिए ‘सद्भावना’ संदेश का मजाक उड़ाया और कहा कि उन्होंने छवि बदलने के लिए हिंदुत्व के अजेंडे का त्याग कर दिया है.