सुप्रीम कोर्ट के जजों के बीच ये है चौंकाने वाली खबर, फिर उलट गई तस्वीर

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और प्रेस कांफ्रेंस करने वाले 4 जजों के बीच विवाद खत्म नहीं हुआ है. कल खबर आई थी कि न्यायधीशों के बीच चाय पर चर्चा के बाद समझौता हो गया है. एटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने भी कल कहा था कि मामसा सुलझ गया है. समझौते की खबरों के अगले ही दिन सीजेआई की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के गठन की घोषणा की जिसमें ये चारों न्यायाधीश शामिल नहीं हैं.

ये संविधान पीठ कई अहम मामलों पर सुनवाई करेगी. सोमवार की कार्यसूची के अनुसार पांच न्यायाधीशों की पीठ आधार कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले मामले और सहमति से वयस्क समलैंगिकों के बीच यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने के फैसले को चुनौती देने से जुड़े महत्वपूर्ण मामलों में सुनवाई करेगी. इन्हीं न्यायाधीशों ने पिछले साल 10 अक्तूबर से संविधान पीठ के विभिन्न मामलों में सुनवाई की थी. इनमें प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच टकराव का मामला भी है.

संविधान पीठ में हैं ये 5 जज

आधिकारिक जानकारी के अनुसार पांच न्यायाधीशों की पीठ में सीजेआई दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.के. सीकरी, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति अशोक भूषण शामिल हैं. यह संविधान पीठ 17 जनवरी से आधार समेत कई महत्वपूर्ण मामलों पर सुनवाई शुरू करेगी.  इस बीच अदालत के सूत्रों ने कहा कि इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि सीजेआई ने उन चार न्यायाधीशों से मुलाकात की या नहीं जिन्होंने 12 जनवरी को संवाददाता सम्मेलन में सीजेआई के खिलाफ आरोप लगाए थे.

इस बीच अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के हवाले से मंगलवार को एनडीटीवी ने कहा कि जजों के बीच विवाद नहीं सुलझा है और मतभेद बना हुआ है. इससे पहले सोमवार को अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि कोर्ट में काम ठीक से जारी और अब विवाद नहीं. उन्‍होंने कहा कि सुबह हुई अनौपचारिक बैठक हुई थी.

इस बीच अदालत के सूत्रों ने कहा कि इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि सीजेआई ने आज उन चार न्यायाधीशों से मुलाकात की या नहीं जिन्होंने 12 जनवरी को संवाददाता सम्मेलन में सीजेआई के खिलाफ आरोप लगाये थे.

सूत्रों का कहना है कि जजों के बीच मतभेद सुलझाने की कोशिश की जा रही है. वहीं सोमवार को आठ बड़े मामलों को लेकर संविधान पीठ के गठन को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया गया. इस संविधान पीठ में प्रेस कॉन्‍फ्रेंस करने वाले चारों जस्टिस को शामिल नहीं किया गया. बताया जा रहा है कि संविधान पीठ का गठन दिसंबर में ही हो गया था और उसका नोटिफिकेशन सोमवार को जारी हुआ है.

पीठ केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओें के प्रवेश पर रोक के विवादास्पद मुद्दे पर भी सुनवाई करेगी और इस कानूनी सवाल पर सुनवाई फिर शुरू करेगी कि क्या कोई पारसी महिला दूसरे धर्म के व्यक्ति से शादी के बाद अपनी धार्मिक पहचान खो देगी. संविधान पीठ अन्य जिन मामलों को देखेगी उनमें आपराधिक मुकदमे का सामना कर रहे किसी जनप्रतिनिधि के अयोग्य होने से संबंधित सवाल पर याचिकाएं भी हैं.