गांव की शमशाद का दंगे कराने वालों को तमाचा,  हिंदू को दान की किडनी

जहां रोज़ देश में सांप्रदायिक दंगों की 2 वारदात होती हैं, रोज़ 6 लोग घायल हो जाते हों,  हर चौथे दिन किसी इनसान की जान ले ली जाती हो उस हिंदुस्तान के गाल पर शमशाद बेगम ने जबरदस्त तमाचा जड़ा है. फतेहपुर जिले की शमशाद बेगम ने आपसी भाईचारे की जबरदस्त नजीर पेश की है. छोटे से गांव की रहना वाली शमशाद बेगम ने पुणे की रहने वाली एक हिंदू महिला को अपनी किडनी देने का फैसला किया है.

जिले के रारीबुजुर्ग गांव की रहने वाली शमशाद बेगम कुछ दिन पहले पुणे में रहने वाली अपनी बहन जुनैदा खातून से मिलने गई थी. जहां वे अस्पताल में भर्ती जुनैदा की सहेली आरती को देखने पहुंची शमशाद बेगम से आरती का दुःख देखा नहीं गया और उसने आरती को उसकी बीमारी से छुटकारा दिलाने के लिए अपनी किडनी दान देने का फैसला किया .

जुनैदा खातून की सहेली आरती एयरइंडिया में नौकरी करती है और गम्भीर रूप से बीमार हैं. पुणे के शिवाजी नगर की रहने वाली आरती की दोनों किडनियां खराब हो चुकी हैं. जिंदगी और मौत से जूझ रही आरती की तकलीफ गांव की अनपढ़ महिला शमशाद बेगम से देखा नहीं गया. लंबी बीमारी के बाद अपने पति को खोने वाली शमशाद बेगम ने अस्पताल में ही यह फैसला कर लिया कि वह आरती को नया जीवन देने के लिए अपनी किडनी दान करेंगी.

शमशाद बेगम के इस फैसले का जहां उसके पूरे परिवार ने साथ दिया है, वहीं जनपद के अधिकारी भी उसका भरपूर सम्मान कर रहे हैं.

मुम्बई के हीरा नंदानी अस्पताल में भर्ती आरती को उसके परिवार और रिश्तेदारों ने भी अपनी किडनी देनी चाही थी लेकिन चिकित्सीय परीक्षण के बाद आरती के परिजनों की किडनी उनसे मेल नहीं खा रही थी. लेकिन जब शमशाद बेगम की जांच हुई तो उनका ब्लड मैच कर गया. जिसके बाद वे आरती को नया जीवन दान देने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.

डोनर शमशाद बेगम (40) और रेसिपेंट आरती (38) ने सभी मेडिकल एग्जामिनेशन को पूरा कर लिया है. इतना ही नहीं, बेगम ने जिला स्वास्थ विभाग में किडनी देने के लिए सभी दस्तावेज भी जमा कर दिए हैं. अब इन्तजार है तो राज्य सरकार की ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन कमेटी की ओर से हरी झंडी की.

उन्होंने कहा, “मैं किडनी देने के लिए तैयार हूं. किसी भी इन्सान का धर्म इंसानियत होना चाहिए. यह एक इन्सान के लिए महज छोटा सा बलिदान है.”

शमशाद बेगम के पति की मौत दस साल पहले हो गई थी और वे अपने पिता जाकिर और बेटी के साथ रारिबुजुर्ग गांव में रहती हैं. शमशाद की मुलाकात आरती से उस समय हुई जब वे अपने बहन के यहां पुणे गईं.

उन्होंने आरती को डायलिसिस पर देखा. आरती की दोनों किडनी ख़राब हो चुकी थी और वे मौत से जूझ रही थी. शमशाद ने बिना कुछ सोचे अपनी किडनी देने का फैसला किया.