2019 के लोकसभा EVM के बगैर होंगे चुनाव ?

नई दिल्ली :  सुनने में अटपटा लग सकता है लेकिन भारत तेज़ी से पेपर वैलेट से चुनाव की ओर बढ़ रहा है. अब तक ईवीएम के मामले पर कोल मोल रवैया अपना रही पार्टियों ने भी अब खुलकर चुनाव पेपर वैलेट से चुनाव कराने की मांग रख दी है. हालात ये हैं कि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी एक साथ अगला चुनाव के बगैर कराने के पक्ष में हैं.

उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव ने इन पार्टियों का भरोसा फिर  से मजबूत कर दिया है कि ईवीएम के बगैर चुनाव हुए तो हालात कुछ और हो सकते हैं. दर असल इस बार चुनाव में भी कई उम्मीदवार ऐसे सामने आए जिनके सभी वोट गायब हो गए थे यहां तक कि खुद कैंडीडेट का वोट भी उनको नहीं मिला. इतना ही नही बीजेपी की हालत उन जगहों पर खस्ता रही जहां चुनाव बिना ईवीएम के हुए.

बसपा प्रमुख मायावती ने सबसे पहले ईवीएम हटाने की मांग की थी एब एक बार फिर उन्होंने कहा कि बैलेट पेपर से चुनाव हो तो भाजपा पावर में आने वाली नहीं. उधर, कोलकाता में पार्टी के राज्य सम्मेलन में सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि जहां ईवीएम से मतदान हुआ वहां भाजपा ने 46 फीसद सीटें जीतीं और जहां बैलेट पेपर से वहां मात्र 15 फीसद. उन्होंने इसे ट्वीट भी किया.

बसपा प्रमुख मायावती ने निकाय चुनाव के परिणाम पर ईवीएम को कठघरे में खड़ा किया. कहा कि भाजपा को 2014 में ईवीएम में गड़बड़ी कर सत्ता मिली. 2017 में पूर्ण बहुमत से बीएसपी की सरकार बननी थी लेकिन, ईवीएम में छेडख़ानी कर दी गई. बीजेपी बीएसपी को खत्म करना चाहती है. निकाय चुनाव में हम दूसरे नंबर पर हैं. मेरठ और अलीगढ़ इसके उदाहरण हैं. उन्होंने 2019 का आम चुनाव बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की. उन्होंने कहा इसके बाद पता चल जाएगा कि बीजेपी के सात कितने लोग हैं.

सपा प्रमुख अखिलेश यादव का गुस्सा भी फूटा और उन्होंने कोलकाता में पार्टी के राज्य सम्मेलन में कहा कि भाजपा ईवीएम में गड़बड़ी कर उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव जीती है. उन्होंने कहा कि अफवाह फैलाई जा रही है कि कांग्रेस व सपा गायब हो गई है. ईवीएम में गड़बड़ी की वजह से भाजपा जीती है. इसका सबसे बड़ा प्रमाण है कि जहां बैलेट पेपर से चुनाव हुए वहां भाजपा का मत प्रतिशत या तो बहुत कम हो गया या वहां वह हार गई.

उधर निकाय चुनावों में बुरी तरह पराजित कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दीपक सिंह ने भी इसी तरह के आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि परिणाम से साबित है कि भाजपा का जनाधार घट रहा है.

दरअसल अगर एकजुट होकर सभी पार्टियां चुनाव आयोग पर दबाव बनाती हैं तो उसे गंभीरता से सोचना पड़ेगा. अगर कोई ईवीएम में गड़बड़ी की बात कहे तो आयोग साबित करने की चुनौती दे सकता है क्योंकि ये सीधे चुनाव में धांधली के आरोप की तरह होगा. लेकिन पार्टियां अपील करती है ंकि वोट ईवीएम से न पड़ें तो आयोग को मानना होगा क्योंकि एक पार्टी की मर्जी से लोकतंत्र नहीं चल सकता.