पेड न्यूज़ में फंसे मंत्री लेकिन मीडिया क्यों छिपा रहा है बेईमान अखबार का नाम ?

नई दिल्ली: शिवराज सिंह की सरकार में दूसरे नंबर पर टिके हुए मध्यप्रदेश के मंत्री नरोत्तम मिश्रा के खिलाफ अखबारों को नंबर दो में पैसे देकर अपनी छवि चमकाने का आरोप साबित हो गया है. चुनाव चुनाव आयोग ने 3 साल के लिए उन्हें विधायक पद. मिश्र की मौजूदा विधायकी तो गई ही अगला विधान सभा चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे.

पूरे मीडिया ने ये खबर दिखाई है लेकिन मीडिया ने इस खबर का सबसे अहम पहलू उड़ा दिया है. उसने वो जानकारी छिपा दी है जो सबसे अहम थी. जानकारी ये कि वो कौन सा अखबार था जिसने पैसे लेकर पेड न्यूज़ छापी ? सारे चैनल खबर दिखा रहे हैं. सारे अखबारों के वैबसाइट पर खबर है लेकिन कोई ये क्यों नहीं बता रहा कि किस अखबार ने चुनाव में ईमान बेचा था? क्या वो दैनिक भास्कर था ? क्या वो नवभारत था ? क्या वो स्वदेश था? क्या वो जागरण था या कोई और अखबार था ?

प्रत्रकारिता में पेड न्यूज के खिलाफ संघर्ष कर रहे एक वरिष्ठ पत्रकार का कहना है कि सभी अखबार एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं. सभी पेड न्यूज़ दिखाते हैं. ज्यादातर अखबारों में चुनाव के समय उन्हीं उम्मीदवारों और पार्टियों की खबरें छपती हैं जो इन अखबारों को मोटी रकम देते हैं.

अपना नाम छापने से इनकार करने वाले इन शख्स का कहना है कि वो खुद और उन जैसे पत्रकार सालों तक नौकरियों से विहीन रहते हैं. इसकी वजह ये ही ये है कि मालिकों के भ्रष्टाचार में वो साथ देने से इनकार कर देते हैं.

दिल्ली के एक नामी पत्रकार कई चैनल सफलता पूर्वक शिखर तक पहुंचा चुके हैं. जिस चैनल को हाथ लगाते हैं सोना हो जाता है. उनकी धारदार पत्रकारिता से वो धूम मचा चुके हैं लेकिन जब चैनल को लोकप्रिय बनाना होता है तो उनकी पूछ होती है चैनल जमते ही मालिक करप्शन शुरू कर देते हैं और संपादक महोदय फिर सड़क पर आ जाते हैं.

इस मामले में दूसरा सबसे बड़ा सवाल बीजेपी पर उठा है. बीजेपी सबसे ज्यादा पेड मीडिया का हल्ला मचाती रही है. वो और उसके समर्थक अक्सर पेड मीडिया की बातें करते हैं. मीडिया को प्रेस्टीट्यूट कहते हैं. लेकिन बड़ा सवाल ये हैं कि मीडिया को खरीदने वाले तो खुद उनकी पार्टी के निकले. हो सकता है ये पहला कनफर्म केस है लेकिन सब जानते हैं कि मीडिया को खरीदने के लिए धन और संसाधन अगर सबसे ज्यादा किसी के पास हैं तो वो बीजेपी है. उनके पास सरकार भी है और धन्ना सेठ भी.

सत्ता से बाहर जाते ही कांग्रेस भले ही कंगाल हो जाए लेकिन बीजेपी फिर भी अरबों खर्च करती रहती है. इसमें से बड़ा पैसा मीडिया के पास ही जाता है.

यह है मामला
दतिया के पूर्व विधायक राजेंद्र भारती ने नरोत्तम मिश्रा पर वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में अखबारों में पेड न्यूज छपवाने का आरोप लगया था और धारा 10 ए के तहत चुनाव आयोग के समक्ष शिकायत की थी. पेड न्यूज का हिसाब चुनाव खर्च में नहीं देने पर उन्हें अयोग्य घोषित करने की मांग की गई थी.
चुनाव आयोग ने इस मामले को लेकर नरोत्तम मिश्रा को जनवरी 2013 में नोटिस जारी कर बयान के लिए बुलाय था. चुनाव आयोग की कार्रवाई से बचने के लिए उन्होंने हाईकोर्ट की युगल खंडपीठ में याचिका दायर की थी. इस याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था. इसके बाद चुनाव आयोग ने मिश्रा का चुनाव शून्य घोषित कर दिया.