आखिर मोदी के पास सूट बूट के पैसे कहां से आते हैं ?

मेघालय में राहुल गांधी ने एक जैकेट पहनी तो बवाल हो गया. बताया गया कि जैकेट की कीमत 63 हज़ार चार सौ रुपये हैं. कांग्रेस कह रही है ऐसी जैकेट तो 700 रुपये में आ जाती है. इस बहस में मोदी के दस लाख रुपये के सूट की बात भी हो रही है लेकिन पूरी चर्चा एक सूट के आसपास सिमट गई है कभी आपने सोचा कि पीएम नरेन्द्र मोदी के महंगे कपड़ों के लिए पैसे कहां से आते हैं ?

ये सवाल सीधे सीधे नैतिकता से भी जुड़ा है और ईमानदारी से भी. सवाल बेहद छोटा है लेकिन उतना ही गंभीर है. सवाल है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी महंगी महंगी पोशाकों के लिए पैसे कहां से लाते हैं.

हाल ही में केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रोज़ाना अपनी पोषाक पर 10 लाख रुपये खर्च करते हैं. इसके बाद दिल्ली के आरटीआई एक्टि.विस्ट रोहित सभरवाल ने आरटीआई के जरिए यह जानकारी मांगी थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह द्वारा पहनी गई पोशाकों पर कितना सरकारी खर्च आया है.

इस आरटीआई के जवाब के बाद रोहित सभरवाल ही नहीं हर इनसान का दिमाग घूम गया. जवाब था कि पीएम मोदी की पोषाक के लिए सरकार एक भी रुपया खर्च नही करती. ये निजी खर्च है और इसकी जानकारी सरकार नहीं दे सकती.

अंग्रेजी वेबसाइट टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार इसके जवाब में पीएमओ ने कहा कि यह सवाल व्यक्तिगत है और इसकी जानकारी पीएमओ के सरकारी दस्तावेत में नहीं दर्ज है. साथ ही पीएमओ ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्रियों की व्यक्तिगत पोशाकों के लिए सरकारी अकाउंट से पैसे खर्च नहीं किए जाते हैं.

अंग्रेजी वेबसाइट को दिए गए इंटरव्यू में सभरवाल ने कहा कि लोग यह सोचते हैं कि पीएम के पोशाकों पर सरकार काफी खर्च करती है. खासकर आप गूगल करके देख लीजिए, पीएम मोदी एक ड्रेस को दोबारा पहने नहीं दिखाई देंगे. आपको ऐसी एक भी तस्वीर नहीं मिलेंगी.

बड़ा सवाल ये है कि पीएम मोदी अगर सरकारी खजाने से पैसा खर्च नहीं करते तो उनकी पोषाकों का खर्च कौन उठाता है . क्योंकि बार बार ये कहा जाता रहा है कि पीएम मोदी सरकारी खजाने से वेतन नहीं लेते. अगर वो वेतन लेते भी हों तो पीएम का इतना वेतन नहीं होता कि वो कपड़ों पर इतना खर्च कर सके. आपको बताते हैं कि पीएम मोदी का वेतन है कितना.

प्रधानमंत्री को जो वेतन मिलता है वो सिर्फ 50 हज़ार रुपये होता है. इसके अलावा उन्हें तीन हज़ार रुपये व्यय विषयक भत्ता यानी खर्ची के लिए मिलते हैं. इसके अलावा रोजमर्रा के कामकाज के लिए पीएम को दो हज़ार रुपये रोज़ाना मिलते हैं. मोदी से ये अपेक्षा नहीं की जाती कि वो ये पैसे पोषाक पर खर्च कर देते होंगे. अगर वो ऐसी गड़बड़ करते भी हैं तो दो हज़ार रुपये रोजाना में ऐसे मस्त कपड़े कहीं नहीं मिल सकते.

इसके अलावा पीएम को 45000 रुपये सांसद भत्ता मिलता है. ये पैसा अपने चुनाव क्षेत्र के कामों के लिए सांसद को मिलता है . भत्ते का निजी इस्तेमाल भ्रष्टाचार है और मोदी से ऐसी उम्मीद नही की जा सकती.

इसके अलावा प्रधानमंत्री को अन्य भत्तों के तौर पर अपने निजी स्टॉफ, स्पेशल जेट, सरकारी आवास और अन्य भत्तों के रुप में मिलता है . ये पैसा भी पोषाक पर खर्च नही किया जा सकता. (यह 2013 में एक आरटीआई के जरिए मांगी गई जानकारी दिए गए थे. उसके बाद कुछ बदलाव हुआ हो तो इसकी कोई खबर नहीं है)

कुछ लोग ये कह सकते हैं कि प्रधानमंत्री अपने निजी खाते से पोषाकों पर खर्च करते हैं लेकिन पिछले 30 साल के रिकॉर्ड में प्रधानमंत्री मोदी ने कभी कोई नौकरी नहीं की जिससे वो अपने लिए पैसे इकट्ठा कर सकते. वो संघ के प्रचारक थे और बीजेपी में भी पूर्णकालिक कार्यकर्ता . जेबखर्च से ज्यादा पैसा कभी उन्हें मिला नहीं.

ऐसे में सवाल ये है कि प्रधानमंत्री अपने लिए पोषाकें लाते कहां से हैं. अगर उनके मित्र उन पर इतना खर्च करते हैं तो भी प्रधानमंत्री के तौर पर ये बेहद अनैतिक है. शीर्ष पद पर बैठा व्यक्ति इस प्रकार का सहयोग मित्रों से नहीं ले सकता. कोई कॉर्पोरेट उनकी पोषाक को स्पॉन्सर भी नही कर सकता क्योंकि ये भी पद की गरिमा के अनुरूप नहीं होगा. दूसरे नेता पारिवारिक कमाई और घर वालों के तोहफे के बहाने बना सकते हैं लेकिन मोदी का परिवार भी नहीं है. ऐसे में ये सवाल अनुत्तरित है कि प्रधानमंत्री की पोषाक के पैसे कहां से आते हैं?