स्कैनिया स्कैम क्या है? गडकरी के बाद मोदी का नाम कैसे आया? What is Scania scam? simple full hindi.

#gadkari #scania #scam #bus नितिन गडकरी को बीजेपी में पीएम पद के लिए मोदी के विकल्प के तौर पर पेश किया जाता रहा है. सरकार में उनका चौथा नंबर है क्या आप सोच सकते हैं कि वो छोटी मोटी रिश्वत भी ले सकते हैं. छोटी मोटी मतलब हमारे लिए फिर भी ब़ी है लेकिन मंत्री के लिए बहुत छोटी रिशव्त है और आगे बताएंगे कि कहां और किस तरह ग़डकरी के खिलाफ रिश्वत का खेल. आरोप इतने हल्के भी नहीं हैं कि आप हवा में उड़ा दें. सोचना तो पड़ेगा ही. आगे बढें खुला पहले सब्सक्राइब कर लें. कहानी शुरू होती है दस मार्च को .

स्वीडन की तीन बड़ी कंपनियों का खुलासा खुलासे में बताया गया कि स्कैनिया नाम की बस कंपनी ने सात अलग अलग राज्यों में अपनी बसें बेचने के लिए मोटी रिश्वत दी. खुलासा स्विस मीडिया में हुआ और धमक भारत तक आया कुछ अखबारों खास तौर पर इंडियन एक्सप्रेस ने इस पर खबर छापी और इसके बाद हंगामा खड़ा हो गया. खुद कंपनी ने अपनी जांच मे ये खुलासा किया. कंपनी के प्रवक्ता ने ये जानकारी दी. कंपनी ने 2017 में जांच की थी और जांच में भारत में कंपनी के पार्टनर के मारफ्त सीनिय मैनेजमेंट के द्वारा बसें बेचने के लिए रिश्वत दी गई. घोटाले में पीएम मोदी का नाम भी लपेटा जा रहा है. कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि सिद्धी बिनायक लॉजिस्टिक्स नाम की कंपनी ने सन 2013 में बड़ा ऑर्डर दिया था कंपनी ने पीएम मोदी तब के गुजरात के सीएम के मैगा कैम्पेन के लिए बसों की सप्लाई की थी. इसके मालिक रूपचंद बैद हैं. और उनपर बैंक घोटाले की सीबीआई जांच हो चुकी है. 2014 में स्कैनिया केसाथ इस कंपनी ने पार्टनरशिप की और इसका कारोबार मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद तेजी से बढ़ने लगा. पवन खेड़ा का आरोप है कि तबसे कंपनी 80 फीसदी सालाना ग्रोथ के साथ आगे बञड़ रही थी खेड़ा का कहना है कि ये कंपनी बैंक ऑफ महाराष्ट्र की सबसे बड़ी डिफॉल्टर रही है. कंपनी चालक से मालक स्कीम लाई. जिसमें ड्राइवरों को पुराने ट्रक किश्तों पर दिए गए. बैंक ऑफ महाराष्र ने ये ट्रक फायनेंस किए थे और पैसे फंस गए. इससे पहले आगे बढ़े स्कैनिया के बारे में बात करते हैं. स्कैनिया लक्जरी बस सैगमेंट में दो में से एक कंपनी है. इसकी मालिक फॉक्स वैगन कंपनी है. अचानक भारत में लगातार एकाधिकार रखने वाली वोल्वो कंपनी धीरे धीरे दौड़ से बाहर होने लगी. 2013 से 2017 के बीच दस राज्यों ने वोल्बो की जगह स्कैनिया को पसंद किया आरोप है कि ऊपर के दवाब के कारण इन राज्यों ने स्कैनिया खरीदी. अकेले राजस्थान को ही लें तो स्कैनिया ने जमकर माल कूटा 5 साल तक इन बसों के मेंटीनेंस का ठेका भी स्कैनिया को ही दिया गया। राजस्थान रोडवेज 1.52 रुपए प्रति किमी के हिसाब से स्कैनिया को मेन्टेनेन्स दे रहा है. इतना ही नहीं सत्ताईस बसें तीस करोड़ में खरीदी गई और करीब पैंतीस करोड़ रुपये इनके मेन्टेनेन्स के लिए कंपनी को दिए गे. इतना ही नहीं आरोपों की आंच परिवहन मंत्री नितिन गडकरी तक भी पहुंची कहा गया कि उनकी की शादी में कंपनी ने फ्री बस ली थी. बड़ा सवाल ये है कि एक करोड़ रुपये की बस जैसी छोटी सी रिश्वत ग़डकरी क्यों लेगे वो भी सिर्फ इस्तेमाल के लिए बस ली गई. लेकिन इस मामले में शादी में बस देने की सफाई कंपनी की तरफ से आई जो खुद रिश्वत देने की आरोपी है. लेकिन मामला इतना सीधा भी नहीं है. दिलीप मंडल इंडिया टुडे हिंदी के संपादक रहे हैं और जागरूक पत्रकार हैं दिलीप मंडल ने ट्वीट किया कि सेक्रेटरी ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट पद पर रह चुके आईएएस ऑफिसर विजय छिब्बर ने रिटायरमेंट के बाद 2017 में स्कैनिया कम्पनी की भारतीय इकाई में इंडिपेंडेंट डायरेक्टर के पद पर कैसे जा बैठे ?

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