क्या होगा अगर लालू सुप्रीम कोर्ट गए, क्या कहता है कानून ?

नई दिल्ली : बिहार में जिस अंदाज़ में इस्तीफा देकर नितीश कुमार ने पद नहीं छोड़ा बल्कि दूसरों को बाहर निकाला उस पर कानूनी जानकारों की नजरें लगी हुई है. जानकारों का कहना है कि अगर लालू सुप्रीम कोर्ट का रुख करते हैं तो तस्वीर बदल सकती है. हमने कानूनी जानकारों से बात की तो कई तरह के विकल्प सामने आए.  मामले का कानूनी पहलू देखना इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव  राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी के नीतीश कुमार को शपथ दिलाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने वाले हैं.

लालू प्रसाद यादव का मानना है कि विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी है, ऐसे में राज्यपाल को सबसे पहले सबसे बड़ी पार्टी को बहुमत साबित करने का अधिकार देना चाहिए था.

उत्तराखंड को लेकर ऐतिहासिक फैसला

मई 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड विधानसभा में जारी सियासी संकट को लेकर केंद्र की मोदी सरकार को झटका दिया. उस समय कोर्ट ने नए सिरे से बहुमत परीक्षण कराने का आदेश दिया था. जिससे हरीश रावत की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार की सत्ता में वापसी हो सकी थी और 27 मार्च को राज्य में लागू किया गया राष्ट्रपति शासन हटाना पड़ा था.

अरूणाचल प्रदेश मामला

ऐसा ही एक और मामला जुलाई 2016 में सामने आया था जब केंद्र सरकार को करारा झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अरूणाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बहाल करने का आदेश दिया था. उस समय कोर्ट ने अरूणाचल प्रदेश के राज्यपाल के जनवरी के सभी फैसलों को रद्द कर दिया जिसके चलते नबाम तुकी सरकार गिर गई थी. कोर्ट ने उस समय टिप्पणी की थी कि ये फैसले संविधान का उल्लंघन करने वाला था.

गोवा मामले में टिप्पणी

कोर्ट की टिप्पणी हालांकि मार्च 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने गोवा में मनोहर पर्रिकर के सीएम पद की शपथ पर रोक लगाने की कांग्रेस की मांग को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने मनोहर पर्रिकर को विधानसभा में बहुमत साबित करने का आदेश दिया, जिसे बाद में पर्रिकर सरकार ने साबित कर दिया था. इस मामले में देश की सबसे बड़ी अदालत ने स्पष्ट किया कि सरकार बनाने के लिए न्योता देना गवर्नर का विशेषाधिकार है. साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि जब पर्रिकर ने सरकार बनाने का दावा किया तो आप लोग कहां थे?