ये था ‘आप’ विधायकों के मामले में राष्ट्रपति भवन की अति सक्रियता का कारण ?

नई दिल्ली : भारत के राष्ट्रपति जैसे गंभीर पर पर बैठे व्यक्ति ने क्यों छुट्टी के दिन काम करके आम आदमी पार्टी के विधायकों की सदस्यता समाप्त करने के लिए दस्तखत किए थे और क्यों छुट्टी के दिन सरकारी छापाखाने में रातों राज गजट की छपाई हुई इसका जवाब आज मिल गया है.

जानकारों का मानना है कि राष्ट्रपति कार्यालय की इस अति सक्रियता और भारत सरकार की तत्परता का कारण अब साफ पता चल गया है. अगर एक दिन भी राष्ट्रपति ने देरी की होती तो सोमवार को मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई हो जाती.  अदालत में न्याय और सुनवाई का मौका न मिले इसलिए  इतनी जल्दबाज़ी दिखाई गई.

शायद ये भारत के इतिहास में पहला मौका है जब राष्ट्रपति भवन को बिना किसी राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे के इमरजेंसी मोड में काम करना पडा हो. चुनाव आयोग ने भी शुक्रवार के आधे दिन के बाद ऐसा ही मौका चुना. यहां तक कि हाई कोर्ट को आयोग के वकील ने नहीं बताया कि उसका एक्शन प्लान क्या है . सिफारिशें क्या हैं. हारकर हाईकोर्ट को सोमवार की तारीख देनी पड़ी . जबतक अगली तारीख आती हाईकोर्ट के काबू से ही सारा मामला बाहर निकल गया. वो किसी के सही या गलत होने पर टिप्पणी करने की हालत में भी नहीं बचा.

राष्ट्रपति के फैसले के कारण AAP के 20 विधायकों द्वारा दिल्ली हाई कोर्ट में दायर याचिका को सोमवार को वापस ले लिया. बताया जा रहा है कि राष्ट्रपति चुनाव आयोग की सिफारिश को अपनी मंजूरी दे चुके हैं, इसलिए अब इस याचिका का कोई मतलब नहीं रह जाता है. यानी अदालत में अब इस मामले पर कुछ नहीं हो सकेगा. इसके पहले जो मूल याचिका हाई कोर्ट में दायर की गई थी, उस पर सुनवाई जारी रहेगी. उसके लिए 20 मार्च की तारीख तय की गई है.

AAP ने पूरा दोष चुनाव आयोग पर मढ़ते हुए इसे राजनीतिक साजिश करार दिया. पार्टी के वरिष्ठ नेता आशुतोष ने इस फैसले को ‘असंवैधानिक तथा लोकतंत्र के लिए खतरा’ बताया. वहीं, आप के दिल्ली संयोजक गोपाल राय ने कहा कि राष्ट्रपति से न्याय की उम्मीद थी.

पार्टी ने उनसे मुलाकात का समय भी मांगा था, लेकिन राष्ट्रपति के सामने हमें अपनी बात रखने का मौका ही नहीं दिया गया. वहीं भाजपा और कांग्रेस ने इस फैसले को सही ठहराया है. चुनाव आयोग ने जून 2016 में इन विधायकों के खिलाफ आई शिकायत को सही ठहराते हुए शुक्रवार को सदस्यता रद करने की सिफारिश राष्ट्रपति से की थी.

इससे पहले रविवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर काम में अड़ंगा डालने का आरोप लगाया. केजरीवाल ने कहा कि 20 विधायकों के खिलाफ झूठे मामले गढ़े गए. मेरे ऊपर भी रेड कराए गए, लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला.