त्रिपुरा में संघ और बीजेपी कार्यकर्ताओं की तबाही, पूरे राज्य में जबरदस्त तोड़फोड़, हिंसा


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नई दिल्ली: त्रिपुरा में जीत के 48 घंटे के भीतर और सरकार बनने के पहले ही बीजेपी समर्थकों ने त्रिपुरा में जो बवंडर मचाया है वो इस बात का सही अंदाज़ा देने के लिए काफी है कि केरल में वामपंथियों और संघ के बीच हिंसा की वजह क्या रही होगी. इससे ये भी अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि अफगानिस्तान में तालिबान की शुरुआती हिंसा ऐसी ही रही होगी.

बात सिर्फ लेनिन की मूर्ति की नहीं है पिछले 48 घंटे में सीपीएम के एक एक दफ्तर पर चुन चुन कर हमले हो रहे हैं. कार्यकर्ताओं को पीटा जा रहा है और खून खराबा जारी है. नॉकिंग न्यूज ने कल ही खबर दी थी कि हिंसा लगातार जारी है. अब संघ कार्यकर्ताओं ने कम्युनिस्टों के आदर्श ब्लादिमीर लेनिन की मूर्ति ढहाने का आरोप लगा है. इस दौरान भारत माता की जय के नारे लगाए गए. कार्यकर्ताओं की भीड़ बाकायदा जेसीबी लेकर गई और मूर्ति ढहाई लेकिन पुलिस  कुछ नहीं कर सकी. आखिर जेसीबी चालक को गिरफ्तार कर कर्तव्य पूरा कर लिया गया

सीपीएम ने इसे जहां डर पैदा करने की राजनीति करार दिया है, वहीं बीजेपी ने पल्ला झाड़ते हुए कहा है कि वामपंथी शासन में दमन के शिकार लोगों ने मूर्ति को ढहाया. त्रिपुरा में भले ही बीजेपी ने सत्ता में आते ही मूर्ति ढहा दी हो, मगर कोलकाता में आज भी लेनिन की मूर्ति खड़ी है. जबकि 34 वर्षों वामपंथी सरकार को हराकर 2011 में ममता बनर्जी की सरकार बनी. ऐसे में त्रिपुरा में मूर्ति ढहाने को लेकर एक धड़ा आलोचना कर रहा है.

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक घटना करीब ढाई बजे की है. जब सैकड़ों की संख्या में बीजेपी कार्यकर्ता जुटे, उन्होंने एक बुल्डोजर मंगवाया फिर भारत माता की जय के नारे लगाते हुए रूसी क्रांति के हीरो लेनिन की मूर्ति ढहा दी. पुलिस ने बाद में चालक आशीष पाल को गिरफ्तार करने के साथ बुल्डोजर सीज कर दिया. यह मूर्ति सीपीएम शासन के 21 साल पूरे होने पर 2013 में त्रिपुरा के बेलोनिया में लगाई गई थी.

एसपी कमल चक्रवर्ती के मुताबिक बीजेपी कार्यकर्ताओं ने शराब पिलाकर चालक से मूर्ति पर जेसीबी चलवाई. सीपीआईएम नेता तापस दत्ता ने कहा, प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि बीजेपी कार्यकर्ताओं ने मूर्ति गिराने के बाद उसे तोड़ना शुरू किया. उन्होंने लेनिन के सिर से फुटबाल की तरह खेलना शुरू किया.”

सीपीएम ने हिंसा और हमलों की पूरी फेहरिश्त रिलीज़ की है

25 साल बाद सत्ता से बाहर हुई सीपीएम ने बीजेपी पर जीत के उन्माद में उत्पीड़न का आरोप लगाया है. कहा है कि जीत के बाद पार्टी के दफ्तरों और काडर पर बीजेपी कार्यकर्ता लगातार हमला कर रहे हैं. पार्टी के सांसद के मुताबिक अब दो सौ से ज्यादा हिंसा की घटनाएं हो चुकी हैं. उधर, लेनिन की मूर्ति तोड़ने की घटना पर सीपीएम ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा. कहा कि-, ”त्रिपुरा में चुनाव जीतने के बाद हुई हिंसा प्रधानमंत्री के लोकतंत्र पर भरोसे के दावों का मजाक है.”

लेनिन वैसे तो रूसी क्रांति के नायक थे लेकिन लेनिन ने कॉर्पोरेट या पूंजीवादी लूट को खत्म करके रूस के लोगों को जीने की ज़रूरी चीज़ों की गारंटी दी. वहां सबके पास रोटी कपड़ा और मकान था. इलाज भी मुफ्त था. किसी को अनाप शनाप दौलत इकट्ठा करने का हक नहीं था. वामपंथी ऐसी ही समानता की व्यवस्था लाना चाहते हैं जिस में भूख , गरीबी और बेरोजगारी को खत्म किया जाए. कोई अंबानी अडानी जैसा न हो जिसके पास समाज की ज्यादातर दौलत होती है.