कहीं आप वर्चुअल सैक्स के आदी तो नहीं?

नई दिल्ली: क्या होता है जब कोई पुरुष स्काइप पर किसी महिला के साथ वर्चुअल सेक्स रिलेशनशिप का आदी हो जाता है और अपनी असली ज़िंदगी नहीं जी पाता है ? दुनिया भर में धूम मचा रही बहुभाषीय फ़िल्म लेंस की कहानी का आधार यही है कई अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड जीतने के बाद अब ये फ़िल्म 12 मई को तमिल, अंग्रेज़ी और मलयालम में रिलीज़ हो रही है.

फ़िल्म के निर्देशक और अभिनेता जयप्रकाश राधाकृष्णनन कहते हैं, “आज सूचना प्राद्योगिकी के दौर में लोग अपनी निजता कैसे खो देते हैं और कैसे वर्चुअल सेक्स के आदी हो जाते हैं ये एक अहम विषय है और इस पर परिजनों को अपने बच्चों से बात करनी चाहिए.” राधाकृष्णनन सूचना प्राद्योगिकी के क्षेत्र में काम कर चुके हैं.

गैजेट्स का ख़तरा

फ़िल्म की कहानी पर जयप्रकाश कहते हैं, “गैजेट्स बहुत मददगार होते हैं और हमारी ज़िंदगी को आसान बना देते हैं लेकिन वो एक संभावित ख़तरा भी हैं और हमारी निजी जानकारियां वर्चुअल दुनिया को उपलब्ध करवा देते हैं.”

वो कहते हैं, “मैंने कनाडा की एक युवती की कहानी पढ़ी थी जिसने अपना निजी वीडियो ऑनलाइन लीक होने के बाद पड़ोसियों और अनजान लोगों के ताने से तंग आकर फ़ेसबुक के लाइव वीडियो पर आत्महत्या कर ली थी. ऐसे ही घटनाएं अब भारत में भी हो रही हैं.”

तमिल भाषा में लेंस फिल्म को रिलीज़ कर रहे वेत्रीमारन कहते हैं, “निजी वीडियो में दिख रहे व्यक्ति की नैतिकता पर सभी सवाल उठाते हैं लेकिन जो लोग वीडियो रिलीज़ करते हैं उन पर कोई सवाल नहीं उठाता. ऐसे भी मामले सामने आए हैं जब इन वीडियो की वजह से लोगों को ब्लैकमेल किया गया हो. लेंस फ़िल्म निजता के हनन पर विस्तार से बात करती है.”

पोर्न देखकर बढ़ता है तनाव

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेंटल हेल्थ के इंटरेनट डी-एडिक्शन सेंटर में काम करने वाले डॉ. मनोज कुमार शर्मा कहते हैं, “लोग शुरू में मानसिक तनाव कम करने के लिए इंटरनेट पोर्न वीडियो देखते हैं लेकिन बाद में जब वो ऐसे वीडियो नहीं देख पाते हैं तो उन्हें और भी ज़्यादा तनाव होता है.”

वो कहते हैं, “इंटरनेट पर पोर्न वीडियो देखने और वर्चुअल सेक्स संबंध रखने से शादीशुदा जीवन पर बुरा असर हो सकता है.”

वो कहते हैं, “हाल ही में हमारे सामने 25-40 की उम्र के पांच ऐसे मरीज़ आए हैं जो मोटी सैलरी कमाते हैं लेकिन अपने साथी के साथ अच्छे विवाहित संबंध नहीं बना पाते हैं.”

एक मरीज़ सुरेश (बदला हुआ नाम) का उदाहरण देते हुए डॉक्टर शर्मा कहते हैं, “सुरेश ने ख़ुद को शांत करने के लिए पोर्न वीडियो देखने शुरू किए लेकिन फिर इसकी आदत पड़ गई. जब भी टाइम मिलता, वो घर पर भी वीडियो देखने लगे. हालात ये हो गए कि वो कभी-कभी तीन चार घंटे तक सिर्फ़ पोर्न वीडियो ही देखते.”

आत्म नियंत्रण

डॉक्टर मनोज कहते हैं, “जब सुरेश से ख़ुद पर नियंत्रण नहीं होता तो वो ऑफ़िस में ही पोर्न वीडियो देखते. बाद में उनकी पत्नी उन्हें इलाज के लिए यहां लेकर आईं.”

सुरेश का छह महीने तक इलाज किया गया और डॉक्टरों ने उनसे कहा कि सिर्फ़ दवा और परामर्श से ही काम नहीं चल सकता, उन्हें ख़ुद भी अपना ख़्याल रखने की ज़रूरत है.

वर्चुअल सेक्स संबंधों से कैसे बाहर निकला जाए? इस सवाल के जवाब में सेक्स रोग विशेषज्ञ डॉक्टर कामराज कहते हैं, “जब ज़रूरत न हो फ़ोन का इंटरनेट कनेक्शन बंद कर दें और अपने इंटरनेट के इस्तेमाल को नियमित करें. थेरेपी लेने के बजाए पीड़ित व्यक्ति को ये स्वीकार करना होगा कि वो सिर्फ़ आत्म नियंत्रण से ही ठीक हो सकते हैं.”

हिंसक व्यावहार

कामराज कहते हैं कि सेक्स में रुचि न होने की शिकायत करने वाले बहुत से जोड़ों का इतिहास इंटेरनेट पोर्न देखने का रहा होता है.

वो कहते हैं, “हमारे सामने ऐसे भी मामले आते हैं जिनमें पुरुष की सेक्स संबंधों में रुचि नहीं होती बल्कि वो पोर्न देखकर हस्तमैथुन करना ज़्यादा पसंद करते हैं.”

वो कहते हैं, “पोर्न देखना और वर्चुअल दुनिया में एक्टिंग करने से ये विचार भी आता है कि वास्तविक जीवन उतना रुचिकर नहीं है.”

वो कहते हैं, “कई ऐसे पुरुष भी होते हैं जो पोर्न वीडियो की नकल करते हुए अपने पार्टनर के साथ हिंसक व्यवहार करते हैं.”

 

(courtsey-bbc, report-pramila krishnanan)