संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में भारत पर गंभीर आरोप, सरकार ने कहा ये बकवास है


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कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर संयुक्त राष्ट्र की बेहद आक्रामक रिपोर्ट सामने आई है. संयुक्त राष्ठ्र ने कहा है कि भारत में मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन हो रहे हैं.  संयुक्त राष्ट्र ने गुरुवार को कहा कि भारत ही नहीं पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में भी मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है. रिपोर्ट में ये तक कहा गया है कि कश्मीर में सामूहिक कब्रें खुदवाकर जांच होनी चाहिए.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत ने कश्मीर में बहुत ज़्यादा सुरक्षा बलों की तैनाती की है और 2016 के बाद से कई नागरिक मारे गए हैं.

कश्मीर पर 1947 में विभाजन के बाद से ही दोनों देशों के बीच विवाद है और कई बार दोनों देशों के बीच युद्ध की स्थिति बनी है.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार यूएन की रिपोर्ट का बड़ा हिस्सा भारत के जम्मू-कश्मीर पर केंद्रित है. इसमें जुलाई 2016 से अप्रैल 2018 के वाक़यों का ज़िक्र किया गया है.

रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि भारत प्रशासित कश्मीर में 130 से 145 के बीच नागरिक सुरक्षाबलों के हाथों मारे गए और इसी दौरान चरमपंथियों के हाथों 20 नागरिक मारे गए.

रिपोर्ट में लिखा गया है कि 2016 में विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ और इसकी प्रतिक्रिया में सुरक्षा बलों ने ज़्यादा ताक़त का इस्तेमाल किया.

संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकारों के उच्चायुक्त ज़ायद बिन राड अल हुसैन ने कहा है कि वो मानवाधिकार काउंसिल से अगले हफ़्ते नए सत्र के लिए कहेंगे, जिसमें एक जांच आयोग गठित करने पर विचार किया जाएगा.

अगर यह जांच आयोग बनता है तो कश्मीर में मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन की स्वतंत्र जांच की जाएगी.

भारत ने संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट को पूरी तरह से ख़ारिज करते हुए कहा है कि यह भारत की संप्रभुता का उल्लंघन और उसकी क्षेत्रीय एकता के ख़िलाफ़ है.

भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि यूएन की रिपोर्ट अपुष्ट सूचनाओं पर आधारित है और साथ ही पक्षपातपूर्ण है. भारत ने कहा है कि यह एक झूठे ब्यौरे के सिवाय कुछ नहीं है.

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भारत प्रशासित कश्मीर में कथित मानवाधिकारों के उल्लंघन पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट का स्वागत किया है.

यूएन की इस रिपोर्ट में पाकिस्तान से कहा गया है कि वो आतंकवाद विरोधी क़ानून का दुरुपयोग शांतिपूर्ण विरोध और असहमति को ख़त्म करने में नहीं करे.

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यूएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय सुरक्षाबलों पर कोई मुक़दमा नहीं चलता है, क्योंकि जम्मू-कश्मीर में इन्हें 1990 के नियम के तहत ज़्यादा अधिकार मिले हुए है.

ज़ायद ने कहा है कि कथित रूप से जम्मू-कश्मीर में सामूहिक क़ब्रों की जांच होनी चाहिए.

भारत ने इस रिपोर्ट को ख़ारिज करते हुए कहा है कि यह रिपोर्ट फ़र्ज़ी, ग़लत मंशा से और प्रेरित है.

भारत ने सवाल किया कि आख़िर इस रिपोर्ट को जारी करने की मंशा क्या है. भारत लंबे समय से आरोप लगाता रहा है कि पाकिस्तान चरमपंथियों को ट्रेनिंग देकर कश्मीर में घुसपैठ कराता है. दूसरी तरफ़ पाकिस्तान भारत के इन आरोपों को ख़ारिज करता रहा है.

यूएन का कहना है कि मानवाधिकारों का उल्लंघन दोनों तरफ़ हो रहा है. पाकिस्तान ने कहा है कि वो पहले से ही कश्मीर में भारतीय सेना द्वारा किए जा रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन की बात को उठाता रहा है.

वहीं पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर यूएन की रिपोर्ट पर पाकिस्तान ने कहा है कि इसकी तुलना भारत प्रशासित कश्मीर से नहीं की जा सकती.

कश्मीर के मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज़ ने रिपोर्ट का स्वागत किया है. उन्होंने रॉयटर्स से कहा कि यूएन की रिपोर्ट कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों की पुष्टि है.

कश्मीर के अलगाववादी नेता मीरवाइज़ फ़ारूक़ ने यूएन की रिपोर्ट का स्वागत किया है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ”कश्मीर के लोग संयुक्त राष्ट्र के शुक्रगुज़ार हैं. ख़ासकर मानवाधिकार उच्चायुक्त ज़ायद राड अल हुसैन का यह साहसपूर्ण क़दम प्रशंसनीय है. यह आत्मनिर्णय के अधिकारों का समर्थन है.”

भारत ने यूएन की रिपोर्ट पर कहा है, ”यह काफ़ी तकलीफ़देह है कि यूएन की रिपोर्ट में अंतरराष्ट्रीय रूप से चिह्नित और ख़ुद यूएन ने जिन समूहों को प्रतिबंधित किया है उसे ‘हथियारबंद समूह’ कहा है और चरमपंथियों को ‘लीडर्स’ कहा गया है. ऐसा तब है जब यूएन आतंकवाद के ख़िलाफ़ सख़्ती की बात करता है.”

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