देश में पत्रकारों पर बढ़ते हमलों के खिलाफ दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में 22 व 23 सितंबर को राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया.
‘कमेटी अगेंस्ट असाल्ट ऑन जर्नलिस्ट्स ’ (CAAJ) के संयुक्त तत्वावधान में हुए इस कार्यक्रम के दूसरे दिन‘Censorship and Surveillance’ पर पैनल डिस्कशन का आयोजन भी किया गया. ‘कारवां’ (Caravan) मैगजीन के पॉलिटिकल एडिटर हरतोष सिंह बल के नेतृत्व में हुए पैनल डिस्कशन में ओम थानवी, जोसी जोसेफ, पुण्य प्रसून बाजपेयी, सीमा आजाद, मनोज सिंह, शिव इन्दर सिंह और विश्वदीपक जैसे पत्रकार शामिल थे.
इस कार्यक्रम में ‘एबीपी’ (ABP) के पूर्व न्यूज एंकर पुण्य प्रसून बाजपेयी ने चैनल से उनकी विदाई को लेकर हुईं तमाम तरह की बातों को लेकर भी चर्चा की. लेकिन अपनी पूर्व में कही हुई बातों से यू-टर्न लेते हुए उन्होंने सभी को चौंका दिया. ऐसा लगा कि एबीपी न्यूज में उनके ऊपर कोई दबाव नहीं था .
बाजपेयी का कहना था, ‘इतनी निराशा नहीं है जितनी निराशा में आप लोग यहां बैठे हुए हैं. ऐसी स्थिति तो बिल्कुल नहीं है कि कोई आपको काम करने से रोक रहा है. हमें तो नहीं रोका गया.’
राडिया टेप मामले की रिपोर्टिंग के मामले में उन्होंने कहा, ‘ किसी भी चैनल ने इसे पूरे दिन नहीं दिखाया लेकिन मैंने अपने बुलेटिन में प्रसारित किया. मैं तो ऐसे भ्रष्ट पत्रकारों का नाम तक जानता हूं.’
उन्होंने कहा, ‘हम लोग बहुत निराशा में इसलिए हैं, क्योंकि हमें शायद काम करने से रोका जाता है. हम आपको साफ बता दें कि हमें काम करने से बिल्कुल नहीं रोका जाता है.’
पत्रकारों के समक्ष आ रहे दबावों के बारे में बाजपेयी ने कहा कि उन्होंने अब तक इसका सामना नहीं किया है. बाजपेयी ने कहा, ‘कोई भ्रम मत पालिए, हमारे ऊपर न ZEE में कोई दबाव था और न ही आज तक अथवा एबीपी न्यूज में कोई दबाव था. न सहारा में कोई दबाव था और न ही एनडीटीवी में हमारे ऊपर कोई दबाव रहा.’
वहीं सर्विलांस और सेंसरशिप के बारे में बाजपेयी ने कहा, ‘ये सर्विलांस और ये सेंसरशिप जो है, हमें लगता है कि महत्वहीन है. उसका तो काम है, रोजगार कैसे चलेगा अगर ये चीज नहीं चलेगी. ये तो एक पूरा प्रोसेस है कि आपको इस रूप में करना पड़ेगा.’ यह कहते हुए कि एक अकेला व्यक्ति परिवर्तन नहीं ला सकता है, बाजपेयी ने कहा कि आज मोदी है, कल कोई और होगा. 2019 में दूसरा शख्स आ जाएगा.
गौरतलब है कि कुछ समय पूर्व अपने एक आर्टिकल में बाजपेयी ने लिखा था कि भाजपा सरकार ने एबीपी न्यूज चैनल को दबाव में लेने के लिए कई कदम उठाए थे और उनके शो ‘मास्टर स्ट्रोक (MasterStroke) को सेंसर करने का प्रयास किया था.
इस आर्टिकल में बाजपेयी ने यह भी लिखा था कि कैसे 200 लोगों की टीम चैनल की मॉनीटरिंग कर रही थी और एडिटर्स को निर्देश दे रही थी कि क्या और कैसे दिखाया जाना है. बाजपेयी का कहना था कि इस टीम के एक सदस्य ने उनसे कहा था, ‘आपके मास्टर स्ट्रोक पर एक अलग रिपोर्ट तैयार की गई है और आपने अपनी रिपोर्ट में जो कुछ भी दिखाया है, उसके बाद कुछ भी हो सकता है. सावधान रहिए.’ (courtsey samachar4media)
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