नई दिल्ली: कल जब विपक्षी नेता राष्ट्रपति से मिले तो जस्टिस लोया की मौत की जांच एसआईटी से कराने की मांग की . उस मांग में दो और लोगों की मौत की जांच की मांग भी की गई. आखिर सवाल उठता है कि वो दो लोग कौन थे. आपको हम यहां बता रहे हैं पूरा मामला.
कांग्रेस के चार बड़े नेता और वकीलों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दो लोगों को पेश किया. इनमें से एक केस का पहला याचिकाकर्ता था और दूसरा उसका वकील है. इन दोनों के हवाले से कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि लोया पर फैसला बदलने के लिए दबाव था उन्हें बाकायदा फैसले का एक ड्राफ्ट दिया गया था और कहा गया था कि यही फैसला है जो जस्टिस लोया को सुनाना है.
कपिल सिब्बल ने सतीश उइके नाम को सज्जन को प्रेस कांफ्रेंस में पेश किया. सतीश उइके विसिल ब्लोअर हैं. सतीश उइके का दावा है कि जस्टिस लोया नो दो लोगों के ज़रिए उनसे संपर्क किया था. इन दो लोगों के जरिए उइके से अपील की थी कि वो पीआईएल के ज़रिए जस्टिस लोया के उपर पड़ रहे राजनीतिक दबाव से उन्हें बचाने की कोशिश करें. जस्टिस लोया ने इन्हें बताया था कि पहले से लिखा गया एक ऑर्डर उन्हें दिया गया है जिस पर दस्तखत करने के लिए दबाव है. ये दोनों लोग थे श्रीकांत खंडालकर और प्रकाश टोम्बरे. इन्होंने जस्टिस लोया से वीडियो कॉल पर बात भी की थी.
वीडियो कॉल में जज लोया ने बताया था कि वो दबाव में हैं. मेरे पास एक ड्राफ्ट ऑर्डर आया है जिसे 25 अक्टूबर से पहले दस्तखत करने को कहा गया है. उइके विसिल ब्लोअर हैं उन्होंने अपील की कि आप मदद कर सकते हो. इसके बाद खंडालकर . टोम्बरे और उइके तीनों को दिल्ली आना था. तीनों दिल्ली आए इसके बाकायदा फ्लाइट टिकट और होटल के रिकॉर्ड भी है. तीनों लोग प्रशांत भूषण से मिले. प्रशांत भूषण ने कहा कि सबूत पर्याप्त नहीं है इसलिए वो मदद नहीं कर सकेंगे. इसके बाद जस्टिस लोया नागपुर गए वहां उनकी मौत की कहानी सब जानते हैं.
इसके बाद अकटूबर 2014 में खंडालकर का उइके को फोन आया. कहा गया उन्हें भी नागपुर से धमकियां मिल रही हैं. इसके बाद खंडालकर की मौत 20 नवंबर को आठवीं मंजिल से गिरकर खंडालकर की मौत हो गई. उनका शव दो दिन बार मिला, परिवार ने भी इस पर शक जताया . अखबार में खबर छपी. इसके बाद टोम्ब्रे का भी 16 मई 2016 में टोम्ब्रे की भी मौत हो गई. वो रेल्में ऊपरी बर्थ से गिरे, उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई.
तीसरे शख्स उइके प्रेस कांफ्रेंस में बैठे थे. उन्होंने बताया कि हाल ही में उइके के दफ्तर के ऊपर 500 टन का वजनी कुछ सामान शेड पर गिरा और शेड गिर गया. दो मिनट पहले ही उइके वहां से निकले थे.
इसी प्रेस कांफ्रेंस में पोस्टमॉर्टम की बात भी बताई गई 1 दिसंबर 2014 को जस्टिस लोया की मौत के मामले में भी अहम सबूत पेश किए गये. कहा गया कि जस्टिस लोया और दूसरे दो लोगों के पोस्टमॉर्टम एक ही वक्त में हुए दिखाए गए हैं. जबकि एक पोस्टमॉर्टम में दो घंटे लगते हैं. वकील ने आशंका जताई कि पोस्ट मॉर्टम का रिकॉर्ड बाद में बदला गया.
जज लोया मामले में ये सबसे सनसनीखेज खुलासा है. राष्ट्रपति से उन्हीं लोगों ने बात की .