अमृतसर रेल हादसे में देवता बना राक्षस, 8 लोगों की जान बचाई और अपनी दे दी

रामलीला के मंच पर रावण का किरदार निभाने वाले दलबीर सिंह की कड़क आवाज साल दर साल लोगों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया करती थी. वह स्थानीय लोगों का पसंदीदा था. शुक्रवार (19 अक्टूबर) को उनके पसंदीदा ‘रावण’ ने 59 लोगों की जान लेने वाली तेज रफ्तार ट्रेन के नीचे आकर जान गंवाने से पहले कम से कम आठ जिंदगियां भी बचाईं थीं.

दलबीर सिंह का एक दोस्त राजेश रेल हादसे के वक्त घटना स्थल से कुछ मीटर की दूरी पर ही खड़ा था. राजेश ने याद करते हुए मीडिया को बताया,”मैं दलबीर को रोते हुए देखा और उसने लोगों की तरफ भागकर कम से कम 8 लोगों को ट्रैक से ढकेलकर बचा लिया लेकिन वह खुद को ट्रेन की चपेट में आने से नहीं बचा सका.

शुक्रवार (19 अक्टूबर) को, कार्यक्रम के बाद, दलबीर रेलवे ट्रैक के दूसरी तरफ स्थित अपने घर के लिए जा रहा था. इसी बीच वह रावण का पुतला दहन कार्यक्रम देखने के लिए ट्रैक पर ही खड़ा हो गया. जैसे ही वह ट्रैक पर पहुंचा, उसने देखा कि जालंधर-अमृतसर डीएमयू तेज गति से भीड़ की तरफ आ रही है. ठीक उसी वक्त उसने बेतहाशा भागकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को बचाने की कोशिश की. दलबीर की पिछले साल ही शादी हुई थी और हाल ही में उसने सोशल मीडिया पर अपनी 8 महीने की बेटी के साथ अपनी तस्वीरें पोस्ट की थीं.

दलबीर के एक पड़ोसी कृष्ण लाल ने कहा,” हम अक्सर उससे मजाक किया करते थे क्योंकि वह हर साल स्थानीय रामलीला में रावण का किरदार निभाया करता था. हम उसे लंकेश कहा करते थे. लेकिन शुक्रवार को उसने जो किया वह हीरो का काम था.”

दलबीर की मां और पत्नी ने उसका अंतिम संस्कार करने से इंकार कर दिया है. उन्होंने राज्य सरकार से मांग की है कि राज्य सरकार उनकी जिम्मेदारी ले. उन्होंने परिवार के लिए मुआवजे की मांग भी की है क्योंकि दलबीर परिवार का इकलौता कमाऊ सदस्य था.

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