इंटरनेट की लत ऐसे बना सकती है बच्चों को हत्यारा, ज़रूर पढ़ें

नई दिल्ली : दिल्ली से सटे नोएडा एक्सटेंशन में एक बच्चे ने अपनी मां और बहन की हत्या कर दी है.  पुलिस का कहना है कि इसके पीछे गेमिंग एडिक्शन एक कारण है. इस घटना के प्रकाश में हम आपके लिए ये जानकारी भरा लेख लेकर आए हैं ताकि आप सतर्क रहकर अपने बच्चों को बचा सकें.  इंटरनेट गेमिंग एडिक्शन की गिरफ्त में जाना आसान है लेकिन उससे बाहर निकलना काफी मुश्किल. एक्सपर्ट के मुताबिक इंटरनेट पर गेम खेलने की लत बच्चों को शारीरिक और मानसिक रुप से बीमार करती है और ये बच्चे के व्यक्तित्व विकास के लिए एक बड़ा खतरा है.  लड़के के मामा ने भी मीडिया से बातचीत के दौरान अपील की कि इस तरह के मोबाइल गेम बंद होने चाहिए, जिससे किसी की जान चली जाए.

क्या है इंटरनेट गेमिंग एडिक्शन

एक स्टडी के मुताबिक 12 से 20 साल के किशोर बच्चों में इंटरनेट गेमिंग डिसऑर्डर काफी आम है. यहां तक कि नॉर्थ अमेरिका और यूरोप के मुकाबले भारत जैसे देशों में इंटरनेट की रफ्तार बढ़ने के साथ साथ गेमिंग डिसऑर्डर के मामले ज्यादा हो गए हैं.

आपको अपने आसपास के साइबर कैफे में ऐसे बच्चे आम मिल जाएंगे जो रोज़ वहां आकर घंटों गेम्स खेलतेहैं. राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में ये चलन आम है. जिनके पास मोबाइल या कंप्युटर नहीं है वो भी इस लत के शिकार हैं.

कैसे करें एडिक्शन की पहचान

– अगर बच्चा रोजाना इंटरनेट पर ज्यादा वक्त बिता रहा है तो सतर्क हो जाइए.
– बच्चा गुमसुम रहने लगेगा और व्यवहार में बदलाव आएगा.
– एडिक्शन की वजह से बच्चा स्कूल और पढाई से जी चुराएगा.
– बच्चा सोशल लाइफ से दूरी बनाकर अकेले रहना पसंद करेगा.
– एडिक्शन की वजह से बच्चा चिड़चिड़ा हो सकता है. अग्रेसिव हो सकता है.
– बच्चे का रूटीन बदल जायेगा, खाने-पीने के साथ नींद भी डिस्टर्ब हो सकती है.
– गेम नहीं खेलने देने की वजह से बच्चा हिंसक भी हो सकता है.
क्यों इंटरनेट गेमिंग की तरफ बढ़ रहा है बच्चों का रुझान

इंटरनेट पर मिलने वाले रोमांचक ऑनलाइन गेम्स अब बच्चों के दिलों-दिमाग पर हावी हो रहे हैं. दरअसल ऑनलाइन गेमिंग के दौरान स्क्रीन हर सेंकड नए अवतार में नजर आती है. रोमांच ज्यादा होता है. कई ऑनलाइन गेम्स मल्टीप्लेयर होते हैं, जिसमें अनजान बच्चे भी ग्रुप बनाकर एकसाथ गेम खेलते हैं.

एक-दूसरे को हराने और जीतने की होड़ में बच्चे लगातार कई राउंड खेलते रहते हैं. 10 मिनट का गेम कब घंटे-दो घंटो में बदल जाता है बच्चों को पता ही नहीं चलता और यही से शुरू होता है गेमिंग एडिक्शन. जो कि बढ़ते बच्चों के विकास के लिए बहुत बड़ा खतरा है.

इंटरनेट गेमिंग एडिक्शन क्यों है खतरनाक

– ज्यादा वक्त इंटरनेट गेम्स खेलने वाले बच्चों की फोकस करने की क्षमता कम हो जाती है.
– ऐसे बच्चों का झुकाव ज्यादातर बुरी चीज़ों की ओर होने लगता है.
– बच्चों में धैर्य कम होने लगता है.
– बच्चे पावर में रहना चाहते हैं.
– सेल्फ कंट्रोल खत्म हो जाता है.
– कई बार बच्चे हिंसक हो जाते हैं.
– बच्चे सोशल लाइफ से दूर होकर अकेले रहना पसंद करने लगते हैं.
– बच्चे के व्यवहार और विचार दोनों पर इंटरनेट गेमिंग का असर देखा गया है.
– बच्चे मोटापे और डाइबिटीज का शिकार हो जाते हैं.
साइकोलॉजिस्ट डॉ पूजा शिवम जेटली के मुताबिक अगर एक बार बच्चे को इंटरनेट गेमिंग की लत लग जाती है तो फिर बिना इंटरनेट के रहना बच्चे के लिए मुश्किल हो जाता है. बच्चे इंटरनेट की जिद करते ही हैं. माता-पिता के मना करने पर कई बार बच्चे अग्रेसिव हो जाते हैं.

ऐसा नहीं है कि ऑनलाइन गेम्स खेलने वाला हर बच्चा गेमिंग एडिक्शन का शिकार है. लेकिन एक्सपर्ट के मुताबिक गेम खेलने का शौक कब आदत में बदल जाए, इसके लिए माता-पिता को बच्चे की गतिविधियों पर नजर बनाए रखना होगा.

कुछ जरुरी टिप्स 

– माता पिता ये तय करें कि बच्चे को किस उम्र में कौन सा गैजेट/गेम या डिवाइस देना है.
– नन्हे-मुन्नों को बिजी रखने के लिए मोबाइल पर गाने या Poem ना दिखाएं. ये आपका बच्चों को मोबाइल से जोड़ने का पहला कदम हो सकता है.
– बच्चों को इंटरनेट का इस्तेमाल पढाई सम्बन्धी जरुरी काम के लिए ही करने दें.
– अगर बच्चा इंटरनेट पर गेम खेलता है तो गेम्स खेलने का वक्त तय करें.
– आधे घंटे से ज्यादा इंटरनेट गेम्स न खेलने दें.
– आउटडोर गेम्स को बढ़ावा दें.
– अगर बच्चा इंटरनेट गेम्स को ज्यादा वक्त देने लगा है तो उसे रोकें.
– बच्चे इंटरनेट पर क्या करता है कौन सा गेम खेलता है उस पर नजर रखें.

अगर आपका बच्चे में ऐसे लक्षण हैं तो बिना देरी करे मनोचिकित्सक से मिलिए. बच्चे का मानसिक और भावनकत्मक रूप से ख्याल रखिए. लेकिन बच्चे के सुरक्षित भविष्य के लिए बढ़ते बच्चों को इंटरनेट का उतना ही इस्तेमाल करने दें जितना जरूरी है.