सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर सख्त फैसला सुनाया, लगाई तगड़ी बंदिश, जानिए पूरी खबर


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इस दिवाली पटाखे चलाने पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अब लोग दिवाली के दिन सिर्फ दो घंटे पटाखों का इस्तेमाल कर सकेंगे . शाम आठ बजे से दस बजे तक ही पटाखे चल सकेंगे. पहले पटाखे चलाने के लिए दस बजे तक का वक्त था लेकिन अब पटाखे चलाने की शुरुआत का वक्त भी तय कर दिया गया है. इतना ही नहीं वही पटाखे चल सकेंगे जो प्रदूषण की सीमा में लगते हैं. नया नियम क्रिसमस तक जारी रहेगा और नया नियम नये साल और क्रिसमस के साथ साथ शादियों पर भी लागू होगा.

नये साल पर 11 बजकर 45 मिनट से साढ़े बारह बजे तक ही पटाखे चला सकेंगे

आठ बजे से पहले भी लोग पटाखे नहीं चला सकेंगे. पटाखों के समय पर बंदिश के लिए इलाके के एसएचओ को ज़िम्मेदार ठहराया गया है.

न्यायमूर्ति ए.के. सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि तेज़ आवाज वाले पटाखों पर भी रोक रहेगी. इतना ही नहीं ज्यादा बारूद वाले पटाखों पर भी बंदिश रहेगी.

शीर्ष अदालत ने 28 अगस्त को वायु प्रदूषण के चलते बिगड़ते हालात को नियंत्रित करने के मद्देनजर पूरे देश में पटाखों पर प्रतिबंध लगाने वाली याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. अदालत ने याचिकाकर्ताओं, पटाखा निर्माताओं और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) का पक्ष सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा था.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि स्वास्थ्य का अधिकार और व्यापार या व्यवसाय चलाने के अधिकार के बीच सामंजस्य बनाने की जरूरत है. पटाखा निर्माण करने वालों ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि दिवाली के दौरान केवल पटाखे प्रदूषण बढ़ाने की एकमात्र वजह नहीं है. यह प्रदूषण बढ़ाना वाला एक कारक है और इस आधार पर पूरे उद्योग को बंद नहीं किया जा सकता.

अदालत ने सुनवाई के दौरान वायु प्रदूषण की वजह से बच्चों में सांस की समस्याओं के बढ़ने को लेकर भी चिंता जताई थी और कहा था कि वह इस पर निर्णय करेगी कि क्या पटाखे फोड़ने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाएगा या मुनासिब नियंत्रण स्थापित किया जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट ने पहले कहा था कि प्रतिबंध से जुड़ी याचिका पर विचार करते समय पटाखा उत्पादकों के आजीविका के मौलिक अधिकार और देश के 1.3 अरब लोगों के स्वास्थ्य अधिकार समेत विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखना होगा. कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन के अधिकार) सभी वर्ग के लोगों पर लागू होता है और पटाखों पर देशव्यापी प्रतिबंध पर विचार करते समय संतुलन बरकरार रखने की जरूरत है. कोर्ट ने केंद्र से प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिये उपाय सुझाने और यह बताने को कहा था कि पटाखे पर प्रतिबंध लगाने से व्यापक रूप से जनता पर क्या प्रभाव पड़ेगा.

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