अब किसी भी राज्य में बैन नहीं होगी पद्मावत, सुप्रीम कोर्ट का सख्त फैसला, राज्यों को आदेश

नई दिल्ली : संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत को सर्वोच्च न्यायालय से राहत मिली है. सर्वोच्च न्यायालय ने 4 राज्यों में फिल्म पर लगाए गए बैन को असंवैधानिक बताया है. साथ ही राज्य सरकारों को कानून व्यवस्था संभालने को कहा है. सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है. फैसले के तुरंत बाद राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार ने आपात बैठक बुलाई. मीटिंग के दौरान पद्मावत पर सरकार के अगले कदम पर विचार किया गया. राजस्थान पहला राज्य है जिसने फिल्म के खिलाफ नोटिफिकेशन जारी किया था.

सूत्रों के मुताबिक, सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद राजस्थान सरकार ने कहा है कि हमारे पास भी कुछ संवैधानिक अधिकार हैं. गुरुवार को राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर हम अफसरों के साथ बातचीत कर रहे हैं. जल्द ही इस बारे में हम कोई फैसला लेंगे.

दूसरी तरफ, सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि पद्मावत मुद्दे पर कांग्रेस ने अपने प्रवक्ताओं को कुछ भी बोलने से मना किया है. फिल्म को लेकर कांग्रेस में अलग-अलग राय देखी गई है. पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसे नेताओं ने पद्मावत में ऐतिहासिक छेड़छाड़ पर फिल्म का प्रदर्शन रोकने की बात कही थी. वहीं कई नेताओं ने फिल्म का समर्थन किया था. अब सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद किसी तरह के विवाद से बचने के लिए कांग्रेस की ओर से प्रवक्ताओं को कोई टिप्पणी करने से मना किया है.

सर्वोच्च न्यायालय ने क्या कहा

गुरुवार को चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया की बेंच ने कहा, राज्यों में क़ानून व्यवस्था बनाना राज्यों की जिम्मेदारी है. यह राज्यों का संवैधानिक दायित्व है. संविधान की आर्टिकल 21 के तहत लोगों को जीवन जीने और स्वतंत्रता के अधिकार का हनन है. बेंच ने राज्यों के नोटिफिकेशन को गलत बताया.

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, इस नोटिफिकेशन से आर्टिकल 21 के तहत मिलने वाले अधिकारों का हनन होता है. यह राज्यों का दायित्व है कि वह क़ानून व्यवस्था बनाए. राज्यों की यह भी जिम्मेदारी है कि फिल्म देखने जाने वाले लोगों को सुरक्षित माहौल मिले. इससे पहले अटार्नी जनरल ने राज्यों का पक्ष रखने के लिए सोमवार का वक्त मांगा. लेकिन कोर्ट ने पहले ही फैसला दे दिया.

इससे पहले निर्माताओं का पक्ष रखते हुए साल्वे ने कहा, राज्यों का पाबंदी लगाना सिनेमैटोग्राफी एक्ट के तहत संघीय ढांचे को तबाह करना है. राज्यों को इस तरह का कोई हक नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि लॉ एंड आर्डर की आड़ में राजनीतिक नफा नुकसान का खेल हो रहा है. बता दें कि वायकॉम 18 ने याचिका दायर कर चार राज्यों के बैन का विरोध किया था. उम्मीद है कि प्रतिबंध लगाने वाले चार राज्य सोमवार को अपना पक्ष रखें.