सोनिया गांधी ने मोदी के सामने किया संघ पर हमला, बोलीं, हमने कुर्बानी दी आपने क्या किया ?

नई दिल्ली: भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं सालगिराह पर लोकसभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बिना नाम लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक पर निशाना साधा है. सोनिया ने कहा कि कुछ ऐसे संगठन भी हैं जिन्होंने आजादी में कोई योगदान नहीं दिया और आजादी की बात करते हैं.
सोनिया ने कहा, ‘’हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि उस दौर में ऐसे संगठन और ऐसे व्यक्ति भी थे, जिन्होंने आजादी के आंदोलन में कोई योगदान नहीं दिया. ऐसे संगठन आजादी के आंदोलन का विरोध करते थे, लेकिन आज आजादी की बात करते हैं.’’
सोनिया ने आगे कहा, ‘’मुझे लगता है कि जब हम भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं सालगिराह बना रहे हैं, तब देशवासियों के मन में कई आशंकाए हैं कि क्या अधंकार की शक्तियां तेजी से नहीं फैल रही हैं.’’

सोनिया ने कहा कि ये आंदोलन हम सबको याद दिलाता है कि हम भारत के विचार को संप्रदायिक सोच का चेहरा नहीं बनने देंगे.
बता दें कि 9 अगस्त 1942 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन की चिंगारी छेड़ी थी. भारत को अंग्रेजी हुकूमत से आजादी दिलाने में इस आंदोलन की अहम भूमिका मानी जाती है.
सोनिया गांधी ने कहा कि बापू ने कांग्रेस को शपथ दिलाई थी कि करो या मरो. आंदोलन के दौरान नेहरू ने सबसे लंबा समय जेल में गुजारा वहीं कई कांग्रेस कार्यकर्ता जिंदा जेल से बाहर नहीं निकल सके. लोगों पर अत्याचार हुआ और कांग्रेस के लोगों पर गोलियां बरसाई गई. महिलाओं का उत्पीड़न किया गया और कैदियों को बर्फ पर नग्न करके बेहोश होने तक सुलाया गया.

इन अत्याचारों के बावजूद क्रांतिकारी डटे रहे. इस आंदोलन में हमारा परिवार भी था और हमें कई कुर्बानियां देनी पड़ी. आज जब हम स्वाधिनता संग्राम के दौरान सबसे पहली कतार में रहे लोगों को याद कर रहे हैं.
सोनिया गांधी ने आरएसएस का नाम लिए बिना निशाना साधते हुए कहा कि जब हम इस आंदोलन में योगदान देने वालों को याद कर रहे हैं तब हमें उन लोगों को भी याद करना चाहिए जिन्होंने इस आंदोलन का विरोध किया. उस समय कुछ संगठन और लोग ऐसे भी थे जिन्होंने आजादी के आंदोलन का विरोध किया. इन तत्वों का हमारे देश को आजादी दिलाने में कोई योगदना नहीं रहा.

उन्होंने भाजपा सरकार पर भी निशाना साधा और कहा कि आज देशवासियों के मन में कई आशंकाएं हैं. लोगों को लगता है कि कहीं अंधकार फिर छा रहा है, आजादी का माहौल था वहां भय फिर छा रहा है. विचारों, सामाजिक न्याय की आजादी पर पाबंदियां हैं. ऐसा लगता है कि सृष्टि पर नफरत और विभाजन के काले बादल नजर आ रहे हैं. हमें दमनकारी शक्तियों का विरोध करना होगा.
सोनिया गांधी ने आगे कहा कि क्या आज जनतंत्र को नुकसान पहुंचाने की कोशिश नहीं हो रही है? इस आंदोलन की साल गिरह याद दिलाती है कि इस विचार को संकीर्ण मानसिकता और संप्रदायवाद का कैदी नहीं बनने दे सकते. लगता है उदारवादी मुल्य खतरे में हैं.