ऐसे देश की सत्ता पर काबिज हुए मोदी, सब पैसे का खेल है भैया

प्रधानमंत्री मोदी के देश में दीवाने लगातार बढ़ रहे हैं. वो चुनावी तोड़फोड़ करते हैं लेकिन लोगों का प्यार खत्म नहीं होता. वो तोड़फोड़ करके  एक के बाद एक राज्यों पर कब्जा कर रहे हैं लेकिन मोदी के फैन टस से मस नही होते. मोदी नोटबंदी करके लोगों की ज़िंदगी तकलीफों से भर देते हैं. लोग उसमें राष्ट्रहित देखते हैं. सरकार जितने भी वादे करती है एक के बाद एक गलत निकलते जाते हैं लेकिन लोग कहते हैं थोड़ा टाइम तो देना चाहिए. नोटबंदी के फायदे गिनाए जातें हैं और नुकसान हो जाता है. सरकार खुद मानती है नुकसान हुआ लेकिन फैन नहीं मानते. यूं तो पाकिस्तान देश का दुश्मन है. उसका नाम लेना भी देश विरोधी माना जाता है लेकिन मोदी पाकिस्तान में बिना बुलाए पहुंच जाते हैं. नवाज शरीफ के मेहमान बनते हैं लेकिन फिर भी लोग उनके फैन बने रहते हैं. आपके दिमाग में बार-बार आता होगा कि इसकी वजह क्या है ? क्या वजह है कि अपनी सरकार के 10 फीसदी वादे भी पूरे करने में नाकाम रहने के बावजूद एक सरकार लोकप्रिय बनी रहती है? हमने इसी वजह को जानने की कोशिश की.

जाने माने विज्ञापन के जानकार और विश्लेषक आशीष सिंह कहते हैं कि प्रोडक्ट कैसा है ये इंपोर्टेंट नहीं होता आप उसे क्या कहकर बेचते हैं ये इंपोर्टेंट होता है. वो कहते हैं साबुन साबुन होता है लेकिन कोई उसे फिल्मी सितारों का सौदर्य साबुन बताकर बेचता है तो कोई ताज़गी दिखाकर. सिंह कहते हैं सबसे अच्छा उदाहरण फेयरनेस क्रीम का है. ये कारोबार करीब 2900 करोड़ रुपये का है. जबकि कोई क्रीम ऐसी आजतक नहीं बनी है जो किसी को गोरा कर सके. ये मार्केटिंग की पॉवर है. अगर बाज़ार में गोरेपन की मांग है तो आप कुछ भी दे दीजिए लोग ले लेंगे. ऐसे ही राजनीति में लोगों को जो चाहिए वो देने का वादा कीजिए. आप दे सकते हैं या नहीं ये इंपोर्टेंट है.

मार्केटिंग के पुराने खिलाड़ी राजन वाजपेयी सीधे मोदी की बात करते हैं. वाजपेयी कहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी की इमेज बनाने पर अकेले सरकार 11000 करोड़ खर्च करती है. वो भी सिर्फ इलैक्ट्रॉनिक मीडिया यानी टीवी और इंटरनेट पर. इसके अलावा अखबारों में होने वाला खर्च इससे कहीं ज्यादा है. ये आंकड़े तो सिर्फ केन्द्र सरकारी खाते से होने वाले खर्च के हैं. बीजेपी की राज्य सरकारें अलग से मोदी की इमेज बनाने के लिए काम करती हैं. रोज़ करीब 2 करोड़ सिर्फ मोदी के चेहरे की मार्केटिंग पर खर्च होता है.

अनुमानों के मुताबिक देश भर में 2 लाख लोग एक साथ मोदी की इमेज बनाने और उनके मुकाबले खड़े होने वाली हर इमेज को बिगाड़ने का काम करते हैं. इनमें 4000 लोग सिर्फ सोशल मीडिया सेल के फुल टाइम कर्मचारी है. ये टीम पिछले 5 साल से मोदी की इमेज बनाने में लगी है. राहुल गांधी जैसे नेताओं के चुटकुले बनाना, केजरीवाल को मफलर मैन बनाना इसी तरह के साइबर कार्यकर्ताओं का काम होता है.

हाल ही में आरटीआई ऐक्टिविस्ट रामवीर ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय से पूछा था कि मोदी सरकार के गठन से अगस्त 2016 तक विज्ञापनों पर कितना सरकारी धन खर्च हुआ है. मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी में कहा गया कि सरकार ने ब्रॉडकास्ट, कम्युनिटी रेडियो, डिजिटल सिनेमा, इंटरनेट, दूरदर्शन, प्रोडक्शन, एसएमएस और टेलीकास्ट पर 11 अरब रुपये खर्च किए. 1 जून 2014 से 31 मार्च 2015 तक लगभग 4.48 अरब रुपये खर्च किए गए. 1 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2016 तक 5.42 अरब रुपये और 1 अप्रैल 2016 से 31 अगस्त 2016 तक 1.20 अरब रुपये खर्च किए जा चुके हैं. इस तरह कुल 11 अरब, 11 करोड़ 78 लाख रुपये से अधिक का सरकारी धन मोदी सरकार के प्रचार पर खर्च हो चुका है.

जब किसी प्रोडक्ट पर इतना खर्च किया जाता है तो उसे पॉप्युलर होने से कोई नहीं रोक सकता. मोदी वैसे भी ऐसे प्रोडक्ट हैं जिन्हें हर ज़रूरत के इलाज के तौर पर बेचा जा सकता है. मार्केटिंग की भाषा में बात करें तो वे फेयरनेस क्रीम भी हैं और बाल बढ़ाने वाला लोशन भी और घुटने का दर्द ठीक करने वाला बाम भी. उनके भाषण भी मार्केटिंग स्ट्रेटजी के तहत ही तैयार किए जाते हैं. जहां वो जाते हैं वहां के लोगों की ज़रूरतों को दिमाग में रखकर भाषण तैयार किए जाते हैं.

वाजपेयी कहते हैं कि ज़रूरी नहीं कि आपने जो कहा वो करें लेकिन आप जो कह रहे हैं उस पर लोग भरोसा करें और उसे काम की जानकारी मांने. उन्हें ये लगना ज़रूर चाहिए कि वो कुछ करने वाले हैं. एक नेता को समाधान की तरह ही दिखना चाहिए.

सरकार अपने 2 साल के पूरे होने पर जश्न मनाती है. इंडिया गेट पर भव्य आयोजन किया जाता है.  देश के हर अखबार और देश के हर टी.वी. चैनल पर भारत सरकार के विज्ञापन दिखाई देते हैं.  ‘मेरा देश बदल रहा है, आगे बढ़ रहा है ‘. मैं इसमें एक और चीज़ जोड़ना चाहूंगा. मेरा देश आगे बढ़ रहा है और साथ ही विज्ञापन का खर्च भी बढ़ रहा है. इससे भी मोदी जैसे नेताओं की लोकप्रियता बढ़ती है.