एफडी पर ब्याज दर कम हुई, बुजुर्गों पर पड़ेगा असर, नोटबंदी का असर पड़ना जारी

नई दिल्ली: नोटबंदी के कारण बैंकों में बेतहाशा पैसे जमा हुए. इसका बोझ बैंकों पर ब्याज़ के रूप में पड़ा है. नतीजा ये हुआ है कि बैंक जनता पर बोझ बढ़ाकर बैंक भरपाई में लगे हैं. पहले बैंकों ने छोटी छोटी सुविधाओं पर भी शुल्क लगाया. बैंकों से पैसे निकालने पर भी चार्ज लगा दिया गया. इससे काम नहीं चला तो अब भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अपने ग्राहकों की जमा पूंजी पर उन्हें मिलने वाले ब्याज में कटौती कर दी है. एसबीआई ने अलग अलग जमा योजनाओं की ब्याज दरों में 0.50 फीसदी तक की कटौती कर दी है.

यह कटौती मध्यम और दीर्घावधि की एक करोड़ रुपये से कम की जमाओं पर लागू होगी. नए स्ट्रक्चर के मुताबिक दो साल से लेकर तीन साल से कम तक के लिए अगर आप अपने एसबीआई खाते में पैसे जमा करते हैं तो आपको अब सिर्फ 6.25 फीसदी की दर से ब्याज मिलेगा.

इससे पहले यह ब्याज दर 6.75 फीसदी थी. वहीं दूसरी ओर वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह दर 7.25 फीसदी से कम करके 6.75 फीसदी कर दी गई है. इसमे 0.50 फीसदी की कटौती की गई है.

वहीं तीन साल से लेकर 10 साल तक के लिए भी पैसे जमा करने पर मिलने वाली ब्याज दर में 0.25 फीसदी की कटौती की गई है. पहले यह दर 6.75 फीसदी थी, जिसे अब घटाकर 6.50 फीसदी कर दिया गया है. नई ब्याज दरें 29 अप्रैल 2017 से लागू हो गई हैं.

सात दिन से लेकर दो साल तक के जमा पर मिलने वाले ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है. वहीं बैंक एक साल से लेकर 455 दिन की जमाओं पर सर्वाधिक 6.90 प्रतिशत ब्याज दे रहा है.

साथ ही, बैंक ने मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स पर आधारित लेंडिंग रेट्स (एमसीएलआर) को भी नहीं बदला है. मौजूदा समय में एमसीएलआर की दर 8 फीसदी है. इससे पहले भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने एक अप्रैल, 2016 से पहले लोन ले चुके लोगों को राहत देते हुए अपनी ब्याज दर में 0.15 फीसदी की कटौती कर इसे 9.10 फीसदी कर दिया था, जो एक अप्रैल, 2017 से लागू हो गया है.

नोटबंदी के बाद चालू खाता और बचत खाता (सीएएसए) में जमा बढ़ा है.

यह दिसंबर 2016 में 46,55 प्रतिशत हो गया, जो सितंबर 2016 के आखिर में 42.74 प्रतिशत था. दिसंबर 2015 में निम्न दरों पर जमा का प्रतिशत 42.70 था. भारतीय स्टेट बैंक ने कहा कि ब्याज की आमदनी व मुनाफे को लेकर बैंक को चिंता है, क्योंकि कर्ज की मांग कमजोर बनी हुई है.

दिसंबर 16 में बैंक का ब्याज से शुद्ध मुनाफा (घरेलू) 0.10 फीसदी गिरकर 3.03 प्रतिशत रह गया. कर्ज की सुस्ती और उधारी दर कम होने की वजह से मुनाफा घटा है.