2019 में मोदी को पीएम नहीं देखना चाहता संघ ? घेराबंदी शुरू, विकल्प की तलाश भी !!!

नई दिल्ली :  2019 में संघ नहीं चाहता कि मोदी प्रधान मंत्री बने. कम से कम विश्लेषकों का तो यही मानना है. नॉकिंग न्यूज ने इस मामले में संघ के अंदरूनी लोगों और संघ की कार्यशैली से वाकिफ लोगों से बात की है इनमें ज्यादातर मानते हैं कि संघ की तरफ से मोदी के दिन पूरे हो चुके हैं. संघ बीजेपी के अंदर मोदी का विकल्प तलाश रही है ताकि मोदी की जगह उसे प्रोजेक्ट किया जा सके.

इस मामले में अलग अलग तरह के आकलन हैं लेकिन सबसे ज्यादा लोगों की राय यही है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने संघ की विचारधारा को आगे नहीं बढ़ने दिया. वो लगातार अपनी व्यक्तिगत छवि बनाते रहे और संघ से जुड़े वैचारिक मुद्दों के नजरअंदाज़ किया . मोदी की इस हरकत से संघ को जो लाभ मिलना चाहिए था वो नहीं मिला. बल्कि कई बार मोदी ने संघ की अवहेलना भी की. खास तौर पर पूंजीवादी एजेंडा थोपने के चक्कर में संघ के समर्थक व्यापारियों को मोदी ने परेशान किया. जबकि संघ मिश्रित अर्थ व्यवस्था चाहता रहा है.

जानकारों का मानना है कि संघ की मोदी के प्रति भृकुटि एक साल पहले ही तन गई थी. मोदी ने निजी मित्रों को सत्ता में अहमियत दी लेकिन संघ के समर्पित कार्यकर्ताओं को हमेशा नज़रअंदाज़ किया. स्मृति ईरानी और अरुण जेटली जैसे लोगों को अंधाधुध शक्तियां मिलीं जबकि नितिन गडकरी, उमा भारती. और राम माधव जैसे लोग मंत्रिमंडल में होते हुई भी हाशिए पर रहे. उमा भारती का तो संघ ने डिमोशन तक कर दिया. डॉक्टर हर्षवर्धन को उनके पसंदीदा स्वास्थ्य मंत्रालय से हटा दिया गया जबकि वो सबसे अच्ठा काम कर सकते थे.

हालांकि संघ रोज रोज के काम में दखल नहीं देता लेकिन सरकार पर उसकी पूरी नज़र रहती है. संघ इंदौर के रहने वाले संघ के एक प्रचारक ने बताया कि संघ मानता है कि जो लोग सरकार चला रहे हैं वो विचारधारा की ज़रूरत को मानते हैं. इसलिए उन्हें कुछ बताना ज़रूरी नहीं है लेकिन कोई अगर इसपर अमल नही करता तो संघ उससे निपटना जाननता है. इस विचारक का कहना था कि मोदी ऐसे पहले नेता थे जिन्हें संघ ने खुलकर चुनाव में समर्थन किया . स्वयंसेवकों ने प्रचार भी किया इसके बावजूद मोदी खुद को संघ से बड़ा समझने लगे.

हाल के कुछ समय में संघ ने अपनी नाराज़गी भी मोदी के सामने जाहिर की हाल ही में वृंदावन में हुई संघ की समन्वय बैठक में भी अमित शाह को बुलाकर साफ कर दिया गया कि सरकार ऐसे नहीं चलने वाली. हाल ही में संघ ने एकसर्वे भी किया था जिसमें मोदी की घटती लोकप्रियता का ग्राफ दिखाई दे रहा था. इसके बावजूद संघ की नाराज़गी दूर करने वाले कोई काम नहीं हुए. संघ ने उमा भारती को कैबिनेटसे निकालने पर भी नाराज़गी दिखाई थी और उन्हें वापस करवाया था.

इस बैठक के बाद से संघ और उससे जुड़े नेता लगातार मोदी के खिलाफ मुखर हो रहे हैं. यशवंत सिन्हा ने खुलकर मोदी सरकार पर हमला किया इतना ही नही उन्होंने ये भी कहा कि मोदी को बहाने नहीं बनाना चाहिए पिछली सरकार कुछ नहीं होती. वरुण गांधी भी मुखर होकर रोहिंग्या मामले पर मोदी को घेर रहे हैं. और तो और भारतीय मंजदूर संघ ने तो बेरोज़गारी बढ़ाने के लिए मोदी को ज़िममेदार माना .

संघ की नाराज़गी की सबसे बड़ी वजह मोदी का कद माना जा रहा है. संघ का पुराना सिद्धांत है नेता कितना भी बड़ा हो संघ से ऊपर नहीं है लेकिन मोदी अपनी हैसियत और शख्सियत खुद बनाने लगे हैं. यही वजह है कि संघ नाराज़ है.