सरकारी नौकरियों में एससी/एसटी वालों प्रमोशन में रिजर्वेशन देने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. अपने फैसल में सुप्रीम कोर्ट ने साल 2006 के अपने फैसले को ही बरकरार रखा है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस पर फिर से विचार करने की जरुरत नहीं है. साथ ही कोर्ट ने इस मामले को 7 जजों की संविधान पीठ के पास भेजने से भी इंकार कर दिया है. हालांकि मायावती ने पूरा फैसला पढ़ने के बाद ही अपनी प्रतिक्रिया देने की बात कही है. लेकिन उन्होने कहा कि अदालत ने आरक्षण देने का अधिकार राज्य सरकारों को दिया है.
क्या था साल 2006 का फैसलाः अक्टूबर, 2006 में नागराज बनाम भारत संघ के मामले में दिए अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्य पदोन्नति में रिजर्वेशन देने के लिए अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के पिछड़ेपन पर संख्यात्मक आंकड़ा देने के लिए बाध्य हैं. साथ ही रिजर्वेशन देने से पहले राज्य सरकार नौकरियों में एससी-एसटी वर्ग के अपर्याप्त प्रतिनिधित्व एवं प्रशासनिक कार्यकुशलता के बारे में रिपोर्ट पेश करे. इस मुद्दे पर केन्द्र सरकार का तर्क है कि देश के संविधान में एससी-एसटी को पिछड़ा ही माना गया है. इसलिए इस वर्ग के पिछड़ेपन और उनके सार्वजनिक रोजगार में प्रतिनिधित्व को दर्शाने वाले आंकड़े एकत्र करने की जरुरत नहीं है.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के अलावा इस पीठ में जस्टिस कूरियन जोसेफ, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस इंदु मल्होत्रा शामिल थीं. केन्द्र सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों ने भी मांग की थी कि सुप्रीम कोर्ट साल 2006 में दिए अपने फैसले पर पुनर्विचार करे. केन्द्र सरकार का इस पर तर्क था कि संविधान में एससी-एसटी को पिछड़े वर्ग का दर्जा दिया गया है. ऐसे में इस वर्ग के पिछड़ेपन और सार्वजनिक रोजगार में प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता दिखाने वाला मात्रात्मक डेटा एकत्र करने की जरूरत नहीं है.
इस दलील के साथ सरकार ने एससी-एसटी को प्रमोशन में रिजर्वेशन देने की वकालत की थी. केन्द्र की तरफ से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल अदालत में पेश हुए. केन्द्र का पक्ष रखते हुए केके वेणुगोपाल ने कहा कि एससी-एसटी समुदाय काफी समय से जाति के आधार पर भेदभाव झेलता आ रहा है. हालांकि इनमें से कुछ लोग इस पिछड़ेपन से बाहर आ गए हैं. लेकिन उन्हें प्रमोशन में रिजर्वेशन दिया जाना चाहिए. वहीं प्रमोशन में रिजर्वेशन का विरोध कर रहे वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि प्रमोशन में रिजर्वेशन नहीं होना चाहिए क्योंकि एससी-एसटी वर्ग के लोग जब सरकारी नौकरियों में आ जाते हैं तो उनका पिछड़ापन खत्म हो जाता है.
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