अमेरिका के चक्कर में दुश्मन के साथ खड़ा है हमारा जिगरी दोस्त, गलत नीति का नतीजा


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अमेरिका की जेब में घुसे रहने की मोदी सरकार की नीति का एक और बुरा नतीजा सामने आया है. बांग्लादेश युद्ध के समय भारत के लिए सातवां बेड़ा उतार देने वाला रुस  आज पाकिस्तान के साथ सैनिक अभ्यास कर रहा है. वो भी ऐसे समय जब भारत के 17 सैनिकों की आतंकवादी हमलों में जान जा चुकी है और पाकिस्तान पर परोक्ष युद्ध करने के आरोप लग रहे हैं. जिस अमेरिका के चक्कर में हमारा जाना परखा दोस्त रूस  दूर हुआ है वो अमेरिका पाकिस्तान के मामले में भारत को ज्ञान दे रहा है.

रूसी रक्षा मंत्रालय का कहना है कि पाकिस्तान के साथ शनिवार से शुरू हो रहे इस सैन्य अभ्यास से ‘दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग विकसित होगा और उसमें मजबूती आएगी.’ मंत्रालय के अनुसार इसके लिए रूस की माउंटेन इंफेट्री के लगभग 70 सैनिक शुक्रवार को पाकिस्तान पहुंच गए हैं.

यह सैन्य अभ्यास ऐसे समय में हो रहा है जब गुरुवार से रूस के सुदूर पूर्व में भारत और रूस के सैनिक भी साझा अभ्यास कर रहे हैं जिसमें दोनों तरफ से 250-250 सैनिक हिस्सा ले रहे हैं. शीत युद्ध के जमाने से भारत और रूस के बीच नजदीकी राजनीतिक और सैन्य संबंध रहे हैं. अब भी भारत रूसी सैन्य साजोसामान का सबसे बड़ा खरीददार है. लेकिन अब रूस पाकिस्तान के साथ भी संबंध विकसित करने की कोशिश कर रहा है. दोनों देश के इस पहले साझा सैन्य अभ्यास को इसी से जोड़ कर देखा जा रहा है. रूसी सैनिक दो हफ्ते तक पाकिस्तान में रहेंगे.

यह पांचवीं पीढ़ी का टैंक है. रूस ने इसे 2015 में लॉन्च किया. इस टैंक को रोबोटिक कॉम्बैट व्हीकल में भी बदला जा सकता है. हाल ही में रूस ने इस पर 152 एमएम की तोप लगाने का एलान किया है. रूसी उपप्रधानमंत्री दिमित्रि रोगोजिन के मुताबिक, यह तोप “एक मीटर मोटी स्टील की चादर को भेद सकती है.”

पिछले दिनों भारतीय मीडिया में खबरें आईं कि भारत इस युद्ध अभ्यास से खुश नहीं है. भारत को उम्मीद थी कि रूस पाकिस्तान के साथ सैन्य अभ्यास के अपने फैसले पर दोबारा विचार करेगा, लेकिन रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत को इस युद्ध अभ्यास से चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. रूसी विदेश मंत्रालय के मुताबिक ये युद्ध अभ्यास किसी विवादित क्षेत्र में नहीं होगा और इसके स्थल के बारे में भारत को जानकारी दे दी गई है.

बताया जाता है कि पाकिस्तान रूस से सैन्य साजोसामान खरीदने के बारे में भी विचार कर रहा है. एबटाबाद में 2011 में अमेरिकी सेना के एक अभियान में ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद से पाकिस्तान के रिश्ते अमेरिका से खराब हुए हैं. हाल में पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमान देने के समझौते को भी अमेरिकी सांसदों ने रोक दिया. वहीं अमेरिका के साथ भारत के रिश्ते मजबूत हुए हैं. ऐसे में पाकिस्तान ने अपनी विदेश नीति से जुड़े विकल्पों का दायरा बढ़ाने का फैसला किया है. पिछले 15 महीनों में पाकिस्तानी सेना, वायुसेना और नौसेना के प्रमुख रूस का दौरा कर चुके हैं.

रिपोर्ट: एके/वीके (एपी, पीटीआई)