विश्लेषण: 2019 को लेकर सामने आए बीजेपी के इरादे, माहौल बिगाड़कर जीतेंगे चुनाव ?

नई दिल्ली: क्या सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के जरिए यूपी की सत्ता में आई बीजेपी के इरादे 2019 तक देश को भगवा कर देने और समाज को धार्मिक आधार पर बांट देने का इरादा कर लिया है. यूपी की जीत के बाद पार्टी के हाथ में एक ऐसा खतरनाक भ्रम लग गया है जो इस देश को सांप्रदायिकता की आग में झोक सकता है. पार्टी ने योगी आदित्यनाथ को यूपी का सीएम बनाकर अपने इरादे साफ भी कर दिए हैं. आने वाला समय राम मंदिर, हिंदू मुसलमान और धर्मनिरपेक्ष लोगों के विरोध से भरपूर तनावपूर्ण वातावरण में बीतने वाला है. बीजेपी ने एक हफ्ता लगाकर पूरा विश्लेषण किया और आखिर वो फैसला कर लिया जिसके बारे में सोचकर भी अमन पसंद लोग कांप सकते थे.

यूपी के लोगों की गलती

सांप्रदायिक ध्रुवीकरण से 403 में 325 सीटों पर जीतकर प्रचंड बहुमत के साथ यूपी की सत्ता में आई बीजेपी के सामने सीएम के नाम को लेकर कोई दुविधा नहीं दिखी. बीजेपी को भरोसा हो गया है कि हिंदू मुसलमान का मुद्दा उठाने पर जनता साथ देती है. ये भी साफ है कि बीजेपी को अगर 2019 का लोकसभा चुनाव जीतना है तो धार्मिक उन्माद उसके सबसे बड़ा हथियार बनेगा. विकास के नाम पर जीत वैसे भी बीजेपी के लिए मुश्किल हो सकती है क्योंकि अबतक की मोदी सरकार की उपलब्धियां न के बराबर रही हैं.

कट्टर हिंदुत्ववादी के आइकन

गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर के महंत हैं और हिंदू युवा वाहिनी के संस्थापक भी. लव जेहाद और राम मंदिर जैसे मुद्दों को लेकर वे अपना कट्टर रुख अक्सर दिखाते रहे हैं. हिंदू वाहिनी के जरिए आदित्यनाथ हिन्दू युवाओं को एकजुट कर सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी मुद्दों पर पूर्वांचल में माहौल अपने पक्ष में रखने में कामयाब रहे हैं. राम मंदिर निर्माण के वादे के साथ यूपी की सत्ता में आई बीजेपी के लिए योगी आदित्यनाथ की ये छवि काफी काम आ सकती है.

पूर्वांचल पर फोकस

2014 में जब नरेंद्र मोदी वाराणसी से लोकसभा का चुनाव लड़ने उतरे थे तभी संकेत मिल गया था कि यूपी की जंग जीतने के लिए बीजेपी पूर्वांचल पर पूरा फोकस रखेगी. लोकसभा की 80 में से 73 सीटें बीजेपी और सहयोगियों ने जीत ली. अब विधानसभा चुनाव में भी पूर्वांचल की अधिकांश सीटें बीजेपी के खाते में गई हैं. ऐसे में सीएम पूर्वांचल से होगा इसके बारे में लंबे समय से कयास लग रहे थे. वैसे भी धर्म की राजनीति के हिसाब से पूर्वांचल हमेशा से फायदे की जगह रही है.