दिल्ली की पुराना किला की झील अब बदल चुकी है. जिस कुदरती झील में दिल्ली वाले कभी नाव की सवारी किया करते थे वो अब तरह तरह की लाइटें और फव्वारों से ये सज गया है. पुराने किले की पुरानी इमारत पर भी तरह तरह की रंगीन रौशनी की गई है. लेकिन यहां लोग चिर परिचित बोटिंग का मज़ा नहीं ले सकेंगे. माहौल भी कुदरती नहीं बचा है. झील कुछ कुछ नगर निगम के पार्क्स के म्युजिकल फाउंटेन जैसी हो गई है.
फिलहाल झील में बोटिंग का लुत्फ पर्यटक नहीं उठा पाएंगे. झील को जीवित करने और किले को रोशन करने का काम एनबीसीसी ने किया है. बुधवार को केंद्रीय संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने इसका उद्घाटन किया.
झील और इसके आसपास के इलाके को इस तरह विकसित किया गया है जिससे लोग आकर्षित होंगे. नपुराना किला के बाहर स्थित टिकट काउंटर को भी सुंदर बनाया गया है. झील के पानी की सफाई व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी. झील के चारों ओर के इलाके को पक्का बनाया गया है और पर्यटकों के बैठने के लिए जगह-जगह बेंच लगाई गई हैं. झील के चारों ओर लोहे की ऊंची रेलिंग लगाई गई है.
पर्यटकों के घूमने के लिए झील के किनारे पाथ-वे बनाया गया है. झील के कायाकल्प के साथ ही पुराने किले को रोशन किया गया है. किले के बाहर और अंदर भी कई इमारतें रोशनी से जगमगाएंगी. किले के मेन गेट, बाहरी दीवारों के साथ-साथ अंदर मौजूद किला-ए-कुहना भी रात में रोशनी से जगमगाएंगे.
बता दें कि पुराना किला के निर्माण के समय ही यहां पर एक कृत्रिम झील बनाई गई थी. इसमें यमुना नदी से पानी भरा जाता था. समय गुजरने के साथ यमुना नदी किले से दूर चली गई. इसके बाद झील में बोरिंग के माध्यम से पानी भरा जाने लगा.
पुराने किले की झील को फिर से जीवित करने को लेकर पर्यावरणविदों ने सवाल भी उठाए है. सबसे बड़ा सवाल था कि झील की सतह पर शीट बिछाई गई है साथ ही झील के किनारे कंक्रीट का पाथ-वे बनाया गया है. यह मामला एनजीटी में चल रहा है. हाल ही में एनबीसीसी ने एनजीटी को बताया था कि आईआईटी रूड़की की सलाह और एएसआई के अप्रूवल के बाद ही यह काम किया जा रहा है.
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